The Lallantop

रिश्तेदारों को सामने पति को नपुंसक कहा, कर्नाटक हाई कोर्ट ने इसे क्रूरता बता दिया

कोर्ट ने कहा कि पत्नी अपने आरोप साबित नहीं कर पाई और ये पति का मानसिक उत्पीड़न है.

Advertisement
post-main-image
पति ने पत्नी से तलाक लेने की अर्जी डाली थी. (सांकेतिक फोटो)

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 जून को तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह कहा कि अगर पत्नी की तरफ से बिना किसी सबूत के अपने पति पर नपुसंकता का आरोप लगाया जाता है, तो ये भी मानसिक उत्पीड़न की कैटेगरी में आएगा. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पति अपनी पत्नी से अलग होने के लिए याचिका दायर कर सकता है. तलाक के लिए इस आरोप को आधार बनाया जा सकता है.

Advertisement
क्या है मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला बेंगलुरु के धारवाड़ का है. यहां रहने वाले एक व्यक्ति ने कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. ये याचिका धारवाड़ फैमिली कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी. हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि धारवाड़ कोर्ट के उस आदेश को रद्द किया जाए, जिसमें व्यक्ति की तलाक अर्जी को खारिज कर दिया गया था. कोर्ट ने महिला के आरोपों के बारे में बताया,

"पत्नी ने आरोप लगाया है कि उसका पति शादी के दायित्वों को पूरा नहीं कर रहा है और यौन गतिविधियों में असमर्थ है. उसका पति अक्सर उससे दूर रहता है. लेकिन वो पति के साथ रहना चाहती है. इसलिए उसे संदेह है कि उसका पति नपुसंक है."

Advertisement

इधर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया, 

"उसकी पत्नी ने वैवाहिक जीवन के लिए शुरू के कुछ महीनों सहयोग दिया, लेकिन उसके बाद उसका व्यवहार बदल गया. वो घर के काम करने से भी मना कर देती है. उसकी पत्नी ने बार-बार अपने रिश्तेदारों से कहा कि वो संबंध बनाने में असमर्थ है. इस बात से वो अपमानित महसूस करता है और इसलिए उसने अपनी पत्नी से अलग होने की मांग की है."

कोर्ट का फैसला 

कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और कहा,

Advertisement

"पत्नी ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया. इसलिए ये बेबुनियाद आरोप पति की गरिमा को ठेस पहुचाएंगे. पति द्वारा बच्चे पैदा करने में असमर्थता का आरोप मानसिक उत्पीड़न के समान है."

पीठ ने याचिकाकर्ता को महिला की दूसरी शादी होने तक उसे हर महीने आठ हजार रुपये भत्ता देने का आदेश दिया. याचिकाकर्ता और महिला की साल 2013 में शादी हुई थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मेडिकल टेस्ट के लिए भी तैयार होने की बात कही. इधर महिला याचिकाकर्ता पर लगाए गए नपुंसकता के आरोपों को साबित करने में विफल रही.

Advertisement