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बेंगलुरु एयरपोर्ट की इस तस्वीर में ऐसा क्या है कि इसकी इतनी तारीफ हो रही?

सुखादा नाम की एक सोशल मीडिया यूज़र ने बेंगलुरु एयरपोर्ट पर पुरूषों के वाशरूम में डायपर चेंजिंग रूम देखा तो वो हैरान हो उठी. उन्होंने वॉशरूम की तस्वीर ली और ट्वीटर पर शेयर की

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पुरुषों के वॉशरूम में बच्चो के डायपर चेंजिंग रूम की तस्वीर हो रही है वायरल

बेंगलुरु के केम्पैगौड़ा एयरपोर्ट में एक नई चीज़ हुई है. पुरुषों के वॉशरूम्स में बच्चों के डायपर बदलने के लिए एक कमरा बनाया गया है. अब तक केवल महिलाओं के वॉशरूम में डायपर बदलने के लिए कमरे या फिर स्टेशंस बनाए जाते थे. ऐसे में बेंगलुरु एयरपोर्ट अथॉरिटी का ये कदम लोगों को खूब पसंद आ रहा है. लोग इसे जेंडर स्टीरियोटाइप को तोड़ने वाला कदम बता रहे हैं.

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सुखदा नाम की एक यूज़र ने पुरुषों के वॉशरूम में बने डायपर चेंजिंग रूम की फोटो पोस्ट की. फोटो के साथ उन्होंने लिखा कि इस बदलाव का जश्न मनाने की ज़रूरत है. उन्होंने लिखा,

“बच्चों का ख्याल रखना केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं है.”

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इस फोटो पर खूब सारे पॉज़िटिव रिएक्शंस आ रहे हैं. 

सौरभ नाम के यूज़र लिखते हैं,

”मैं इसे अक्सर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में देखता हूं! लेकिन भारत को धीरे-धीरे जेंडर समानता की तरफ बढ़ता देखना अच्छा  लगता है."

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ड्रीमआइलैंड नाम के एक अकाउंट से लिखा गाय,

“यह अपवाद के बजाय हर जगह होना चाहिए.”

पल्लवी नाम की यूज़र लिखती हैं, 

“बदलाव जो मुझे आशान्वित महसूस कराता है. जो भी थिंकिंग टीम का हिस्सा था, वह समावेशी और समान जिम्मेदारी की दृष्टि से सोचता था.”

 

ये तो हुई लोगों के रिएक्शन की बात. बेंगलुरु एयरपोर्ट अथॉरिटी ने भी इस ट्वीट पर जवाब दिया. अथॉरिटी ने लिखा,

सराहना के लिए धन्यवाद सुखदा.  एयरपोर्ट पर डायपर चेंज स्टेशन हमारे वॉशरूम की एक विशेषता रही है. चाहे वह किसी भी लिंग का हो. वे अच्छी तरह से सुसज्जित हैं और माता-पिता को  बच्चे का डायपर गोपनीयता और आराम से बदलने में सक्षम बनाते हैं.

वैसे ये फोटो सामने आई तो एक और जानकारी सामने आई. क्रिंज एलिमेंट नाम के एक अकाउंट से लिखा गया,

“जहां तक मुझे याद है बेंगलुरु एयरपोर्ट में सेपरेट बेबी केयर रूम भी है. वॉशरूम के बाहर भी. जब हमारा बेटा डायपर पहनने की उम्र में था तो कई बार मैं और मेरी पत्नी साथ में वहां गए हैं.”

इस पर अर्जुन शर्मा नाम के यूज़र ने एक फोटो पोस्ट करते हुए जवाब दिया,

“हां और वो काफी मेंटेन्ड भी हैं. ये तब का है जब मेरा बेटा चेंजिंग टेबल पर फिट हो जाता था.”

यानी बेंगलुरु एयरपोर्ट को जेंडर संवेदनशील एयरपोर्ट कहा जा सकता है. अमूमन बच्चा संभालने, बच्चे के डायपर बदलने की जिम्मेदारी को मां की जिम्मेदारी मान लिया जाता . लेकिन जिस तरह बच्चे पर माता-पिता का अधिकार बराबर होता है, उसी तरह उसकी जिम्मेदारियां दोनों की बराबर होती हैं. इसलिए सार्वजिनक सुविधाओं की जगहों पर जेंडर न्यूट्रल सुविधाओं का रखा जाना ज़रूरी है.

 

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