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बच्चे का जिद करना, सामान तोड़ना, लड़ाई करना नॉर्मल नहीं, लेकिन कब और क्यों?

ध्यान खींचने वाला व्यवहार कोई बीमारी नहीं, पर ये आगे चलकर किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

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कई बार माता-पिता भी बच्चे के इस व्यवहार को बढ़ावा देते हैं (सांकेतिक फोटो)

पिछले दिनों सेहत पर हमें दिल्ली से अनुष्का गुप्ता का मेल आया. अनुष्का बताती हैं कि कुछ महीनों से उनके 7 साल के बेटे अयान का व्यवहार एकदम बदल गया है. स्कूल से उसके टीचर्स लगातार ये कंप्लेन कर रहें हैं कि अयान दूसरे बच्चों से लड़ाई करता है. टीचर्स की बात भी नहीं मानता. घर पर वो जिद करता है और अनुष्का की बात नहीं सुनता. 

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कुछ महीने तक जब अयान के बिहेवियर में बदलाव नहीं आया तो वो उसे एक साइकोलॉजिस्ट के पास ले गईं. कुछ सेशंस के बाद साइकोलॉजिस्ट ने उन्हें बताया कि अयान के बिहेवियर में बदलाव आने का कारण है उसके पापा का दूसरे शहर में ट्रांसफ़र. जिस वजह से अनुष्का अकेले घर संभाल रही हैं और अयान को पहले के जितना टाइम नहीं दे पा रहीं. इस बदलाव को अयान समझ नहीं पाया, वो जो महसूस कर रहा है उसके बारे में वो बता नहीं पा रहा है. इस वजह से अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए वो ऐसा कर रहा है. 

अयान में आए इस बदलाव को अटेन्शन सीकिंग बिहेवियर (Attention Seeking Behavior) कहते हैं. इसको अच्छे से समझने के लिए हमने डॉक्टर से बात की.

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बच्चों में 'अटेंशन सीकिंग बिहेवियर' क्या है?

ये हमें बताया क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट राक़िब अली ने.

( राक़िब अली, कंसल्टेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, फाउंडर-डायरेक्टर क्यूब क्लिनिक्स )

बच्चे कई तरह के व्यवहार करते हैं और हर व्यवहार के अलग-अलग कारण हो सकते हैं. जैसे कि कई बार बच्चे खाने की चीजों के लिए ध्यान खींचते हैं, कई बार बच्चे खेलकूद करने के लिए भी ध्यान खींचते हैं. कुछ बच्चे किसी मेडिकल दिक्कत की वजह से ऐसा व्यवहार करते हैं. और कुछ बच्चे सिर्फ अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए भी अजीब व्यवहार करते हैं. एक उम्र तक बच्चों में ऐसा व्यवहार पूरी तरह से नॉर्मल है. जैसे कि छोटे बच्चे (5 से 8 साल की उम्र तक) अपनी ओर ध्यान खींचने की कोशिश करते हैं. वहीं कुछ बच्चों में अपनी ओर ध्यान खिंचना एक व्यावहारिक समस्या बन जाता है. ऐसा होने पर उनके माता-पिता और परिजनों को परेशानी हो सकती है. दिक्कत इस बात से नहीं होती कि वो अपनी तरफ ध्यान खींच रहा है, बल्कि वो किन हरकतों से अपनी तरफ ध्यान खींच रहा है ये दिक्कत दे सकता है. जैसे सामान तोड़कर, किसी दूसरे को परेशान करना, खुद को चोट पहुंचाना, या फिर ऐसा व्यवहार करना जिससे दूसरे उन पर हंसे. इसे 'क्लाउनिंग' कहते हैं.

माता-पिता को बच्चों की किन हरकतों पर ध्यान रखना चाहिए?

> दिक्कत ये है कि बच्चे किस तरह के व्यवहार से ध्यान खींच रहें हैं.

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> बचपन में ठीक से शारीरिक और मानसिक विकास न होने के कारण 'डेवलपमेंटल डिसऑर्डर' (Developmental Disorder) हो सकता है.

> बच्चों का ध्यान खींचने के लिए अजीब व्यवहार करना डेवलपमेंटल डिसऑर्डर का एक लक्षण हो सकता है. या फिर डेवलपमेंटल डिसऑर्डर के कारण भी बच्चे ध्यान खींचने की कोशिश कर सकते हैं.

> जैसे कि Attention-deficit/hyperactivity disorder (ADHD) में इस तरह का व्यवहार काफी देखने को मिलता है.

> कई बार बच्चे गलती से भी इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं.

> या कई बार उन्हें टैग करने से यानी उन्हें शरारती कहने से उनका ये व्यवहार और बढ़ जाता है.

> सीखने और समझने में कमी के कारण या डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के कारण भी बच्चे ऐसा व्यवहार करते हैं.

> दिनभर में तारीफ और अटेंशन न मिलने के कारण बच्चे ऐसा व्यवहार सीखने की कोशिश करते हैं जिससे उन पर सबका ध्यान जाए.

> और इस तरह का व्यवहार नेगेटिव होता है.

> कई बार बच्चे बिना बात के नियमों को तोड़ते हैं, ताकि उन पर ज्यादा ध्यान जाए

क्या इस व्यवहार के चलते आगे कोई मानसिक बीमारी हो सकती है?  

> इस तरह की संभावना कम होती है.

> लेकिन अगर बच्चा बार-बार ऐसा व्यवहार कर रहा है,  तो ये बच्चे में मानसिक समस्या की ओर इशारा करता है जिस वजह से वो बड़ों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है.

> या ऐसा व्यवहार बचपन में ठीक से विकास न होने की ओर भी इशारा करता है  

बचाव

> जब भी बच्चा ध्यान खींचने की कोशिश करता है तो माता-पिता को अलर्ट हो जाना चाहिए.

> कई बार माता-पिता भी जाने-अनजाने बच्चे के ध्यान खींचने वाले व्यवहार को बढ़ावा देते हैं

> जैसे कि बच्चा किसी को मार रहा है, तो परिवार के लोग खुश हो जाते हैं या अगर वो सामान तोड़ता है तो ये कहते हैं कि वो इंजीनियर बनेगा.

> यानी बच्चे के गलत व्यवहार पर परिवार वालों का खुश होना ठीक नहीं.

> माता-पिता को भी ये समझना होगा कि कहीं वे बच्चे के इस व्यवहार के जिम्मेदार तो नहीं.

> यानी ध्यान खींचने वाला व्यवहार कोई बीमारी नहीं, पर ये आगे चलकर किसी बीमारी का लक्षण हो बन सकता है.

> और भविष्य में व्यवहार से जुड़ी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

यानी कई बार जाने-अनजाने परिजन भी बच्चों में अटेन्शन सीकिंग बिहेवियर को बढ़ावा देते हैं. और अगर आपके बच्चे में भी इस तरह के लक्षण दिखाए दे रहें हैं, तो उस पर ध्यान दें, उससे बात करें ताकि समय रहते इस बिहेवियर को रोका जा सके.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: बच्चे का स्कूल में लड़ाई करना, जिद और सामान तोड़ना अटेन्शन सीकिंग बिहेवियर हो सकता है

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