The Lallantop

दहेज के जीवन बदल देने वाले ये 'फायदे' आपको मालूम हैं?

'दहेज के प्रेशर में अब घरवाले लड़कियों को पढ़ाने लगे हैं, क्योंकि नौकरीपेशा लड़कियों से कम दहेज मांगा जाता है.'

Advertisement
post-main-image
ऑथर ने बताया कि यह भारत में एक प्रमुख पाठ्य पुस्तक प्रकाशन घर से प्रकाशित नर्सों के लिए एक सोश्यलॉजी की किताब है. (फोटो - ट्विटर)
लोग शादी करते हैं. शादियों में होता है खाना. मिलते हैं तोहफे. लेकिन तोहफों में तोहफा होता है- दहेज. इससे पहले कि आप जज करें. मुझसे कहें- तुम तो लड़के हो, तुम तो कहोगे ही. मैं बता दूं कि दहेज लड़कों के लिए तो फायदेमंद होता ही है, लड़कियों के लिए भी इसके ढेरों फायदे हैं. अब फायदों की ये लिस्ट हमने अपने मन से तो बनाई नहीं है. ये लिस्ट छपी है नर्सेज़ को पढ़ाई जाने वाली सोशियोलॉजी की एक किताब में. जो हम तक पहुंची अपर्णा नाम की ट्विटर यूज़र के जरिए. टाइटल- मेरिट ऑफ डाउरी यानी दहेज के लाभ. अंदर लिखा है-
- दहेज नया घर बनाने में सहायक होता है. हमारे भारत के कई हिस्सों में दहेज के रूप में बेड, गद्दे, टेलीविज़न, पंखा, रेफ्रिजरेटर, बर्तन, कपड़े और यहां तक कि वाहन जैसे नए घरेलू सामान देने का रिवाज है. - प्रॉपर्टी का पैतृक हिस्सा. दहेज के रूप में लड़कियों को उनकी पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलता है. - लड़कियों में शिक्षा का प्रसार. दहेज के बोझ के कारण कई माता-पिता ने अपनी लड़कियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है. जब लड़कियां शिक्षित होंगी या नौकरी भी करेंगी तो दहेज की मांग कम होगी. इस प्रकार यह एक इन्डायरेक्ट लाभ है. - आकर्षक दहेज हो तो 'बदसूरत' दिखने वाली लड़कियों की शादी अच्छे लड़कों के साथ आसानी से हो जाती है.
अब देखिए, शादी के बाद कपल अपना घर बसाता है. नए घर में फर्नीचर, किचन का सामान, गाड़ी-वाड़ी तो लगता ही है न. अब एक तो लड़का आपकी कम सुंदर लड़की से शादी कर रहा है, तो उसकी एवज में घर का सामान देने में बुराई क्या है. और ये जो प्रॉपर्टी राइट्स की बात इतनी होती है आजकल, तो दहेज उसी प्रॉपर्टी का ही तो हिस्सा है. वैसे इस ज़रूरी इंफॉर्मेशन के लिए राइटर टीके इंद्राणी को थैंक यू बोलना तो बनता है. किताब का नाम है- A Textbook of Socialogy for Nurses. ऐमजॉन पर 4.5 स्टार रेटिंग के साथ अवेलेबल है. Dowry के इन 'फायदों' पर लोग क्या कह रहे? SK नाम के एक यूज़र ने लिखा,
कुछ दिन में ये लोग जाति प्रथा के लाभ भी बताने लगेंगे.
कॉमन मैन नाम के एक अकाउंट से लिखा गया,
आखिरी पॉइंट को अवॉर्ड मिलना चाहिए. इसे संसद की दीवार पर उकेरा जाना चाहिए.
एक यूज़र ने तो पॉइंट-दर-पॉइंट इस चैप्टर की ऐसी तैसी कर दी. लिखा,
1 - इसका अर्थ है कि दहेज के बिना गृहस्थी की स्थापना असम्भव है. 2 - वास्तव में लड़की पक्ष द्वारा दिया गया दहेज ज्यादातर लड़के पक्ष के पास होता है, क्योंकि लड़की शादी के बाद उसके पति की संपत्ति होती है. और यह लाइन कि दहेज लड़की को माता-पिता की संपत्ति एक हिस्से के रूप में प्राप्त होती है, यह दर्शाता है कि वे दहेज को लड़के और लड़की के समान अधिकार के रूप से मान रहे हैं.
ऐसा ही एक मामला अक्टूबर 2017 में सामने आया था. इसी तरह के कॉन्टेंट के लिए एक रेफरेंस बुक से दहेज पर एक चैप्टर वायरल हुआ था. चैप्टर में विस्तार से बताया गया था कि इस प्रथा के क्या लाभ हैं. कॉन्टेंट लगभग एक जैसा ही था. 'बदसूरत लड़कियों को पति मिलने में आसानी', 'गरीब वर्गों के मेधावी लड़कों को अपनी मेहनत का पे-बैक', 'बेटी को हाइयर क्लास में प्रवेश दिलाकर अपना दर्जा बढ़ाना' और 'बेटियों को पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा मांगने से रोककर परिवार में सद्भाव और एकता बनाना' टाइप बातें थीं. बात निकली तो ये बात भी सामने आ गई. राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मामले पर आपत्ति ज़ाहिर की और केंद्रीय शिक्षा मंत्री से इस किताब को हटाने की मांग की है. लिखा,
"मैं श्री धरमेंद्र प्रधान जी से अनुरोध करती हूं कि ऐसी किताबें सर्कुलेशन से हटाई जाएं. दहेज के गुण बताने वाली किताब हमारे पाठ्यक्रम में मौजूद है, ये हमारे देश और संविधान के लिए शर्म की बात है."
Dowry Deaths के आंकड़े डराने वाले हैं शादी में अगर कोई परिवार अपनी बेटी को अपनी खुशी से तोहफे के रूप में कुछ देता है तो वो दहेज के दायरे में नहीं आता है. लेकिन अगर लड़के वालों की तरफ से रुपयों या किसी सामान की डिमांड होती है तो दहेज कहलाएगा. चाहे ये मांग डायरेक्ट हो या इनडायरेक्ट. आपको बता दें कि भारत के कानून में दहेज एक दंडनीय अपराध है. IPC का सेक्शन 498 दहेज से जुड़े मामलों से डील करता है. दहेज मांगने पर पांच साल तक की कैद हो सकती है. इसके साथ 15 हज़ार रुपये या फिर दहेज के सामान की कीमत में जो भी ज्यादा हो उतना जुर्माना लगाया जाता है. ये केवल दहेज के लिए है, दहेज हिंसा के लिए और कड़ी सज़ा दी जाती है. अब एक नज़र आंकड़ों पर डालते हैं. NCRB के डेटा के मुताबिक, - 2020 में भारत में दहेज के 10,366 मामले दर्ज हुए.  - 2020 में 6966 मौतें दहेज हिंसा से हुईं. उससे पहले 2018 और 2019 दोनों साल 7100 से ज्यादा महिलाओं की मौत दहेज हिंसा से हुई. लेकिन आप सोचिए क्या एक ऐसी चीज़ को किसी भी तर्क से जस्टिफाई किया जा सकता है जिसकी वजह से हर साल इतनी औरतों की हत्या कर दी जा रही है?

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement