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ये 5 सवाल किसी भी शादीशुदा लड़की को बुरे लग सकते हैं

ऐसे सवाल न केवल लड़की को असहज करते हैं, बल्कि बहुत सेक्सिस्ट भी होते हैं.

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कई बार तो शादी के एक हफ्ते बाद ही रिश्तेदार ऐसे सवाल दागने लगते हैं. भई, ये बायोलॉजिकली भी पॉसिबल नहीं है.
वैसे तो शादी करना एक पर्सनल मसला है, लेकिन इसे पर्सनल समझता कौन है. शादी के बाद लोग ऐसे सवाल पूछते हैं मानो शादी कर के कुछ अनूठा काम कर दिया हो. सब कुछ जान लेने कि उनमें ऐसी ललक होती है, जैसे इन सवालों का जवाब पाकर वो UPSC एग्ज़ाम क्लियर कर लेंगे.
इन सवालों में कुछ ऐसे होते हैं जो बस लड़कियों को ही सुनने पड़ते हैं. केवल रिश्तेदार ही नहीं, बल्कि दफ्तर, पार्टी या गेट-टुगेदर में भी कैज़ुअली या मज़ाक में भी ये सवाल पूछ लिए जाते हैं. लेकिन ये नहीं पूछे जाने चाहिए. ये न केवल लड़की को असहज करते हैं बल्कि अपने कोर में ये बहुत सेक्सिस्ट भी होते हैं.
मैं जानती हूं आपमें से बहुत से लोग कॉनशियस रहते होंगे कि कोई ऐसी बात ना बोल दें जो सेक्सिस्ट हो, लेकिन अनजाने में हम बहुत कुछ ऐसा बोल जाते हैं. इसलिए आज उन सवालों के बारे में बात करेंगे जो आपको किसी भी शादीशुदा महिला से नहीं पूछना चाहिए.

अनजाने में सेक्सिस्ट हो जाने को क्या कहते हैं?

तो आज जिस मुद्दे पर बात कर रहे हैं, उसे 'सटल सेक्सिज़्म' कहते हैं. आसान भाषा में कहें तो वो फ़ालतू कि बातें जो आप किसी लड़की से सिर्फ इसलिए कह देते हैं क्योंकि वो लड़की है. अगर उस लड़की की जगह लड़का होता तो आप कभी वो बातें ना कहते.
एक शादी में दोनों के अपने-अपने रोल और ज़िम्मेदारी होती है
एक शादी में दोनों के अपने-अपने रोल और ज़िम्मेदारी होती है

घरों में भी नई बहुओं से ही ऐसी बातें कहीं जाती है. कि, "बिटिया, लड्डू कबे खवा रही हो?" "अरे दीदी, मौसी कब बना रही हो?" "ताई/नानी/ दादी कब बना रही हो?"
कई बार तो शादी के एक हफ्ते बाद ही रिश्तेदार ऐसे सवाल दागने लगते हैं. भई, ये बायोलॉजिकली भी पॉसिबल नहीं है कि शादी के एक हफ्ते बाद ही लड़की आपको खुशखबरी सुना दे, या बच्चा पैदा कर के हाथ में दे दे.
शरीर की बनवाट ऐसी है कि बच्चा एक लड़की ही पैदा कर सकती है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं की शादी के बाद उसका काम बच्चे पैदा करना है. बच्चे के पैदा होने के बाद उसकी ज़िम्मेदारी होती है. जब दो लोग शादी करते हैं, उसका मतलब ये होता है कि आगे की जिंदगी के फैसले दोनों साथ मिलकर प्लान करेंगे और लेंगे. बच्चे की परवरिश करने की ज़िम्मेदारी दोनों की होती है. ऐसा नहीं होता कि औरत का काम केवल बच्चे पैदा करना है और आदमी का काम पैसे कमाकर बच्चे की परवरिश करना. लाइफ इतनी सिंपल नहीं होती दोस्त.
एक आम धारणा है कि एक शादीशुदा औरत तब तक पूरी नहीं होती जब तक उसका बच्चा नहीं होता. जब आप ऐसे सवाल पूछते हैं कि बच्चे के बारे में क्या सोचा, तब आप इसी सोच को बढ़ावा दे रहे होते हो.
तीसरी बात, बच्चा पैदा करना या करना किसी की निजी फैसला होता है. कई बार किसी महिला में या पुरुष में कोई कौम्प्लिकेशन भी हो सकता है. जिससे वो ऑलरेडी जूझ रहे हों या इलाज करा रहे हों. और सबसे इम्पॉर्टेन्ट बात - हो सकता है किसी को बच्चा नहीं पैदा करना हो. या उस वक़्त ना करना हो. ये बहुत निजी बात है, जिसे सार्वजनिक तौर पर नहीं पूछना चाहिए.

ये 5 सवाल तो कतई नहीं पूछने हैं -

- एक सवाल जो लगभग हर नौकरी करने वाली शादीशुदा महिला को सुनना पड़ता है - 'घर और ऑफिस कैसे मैनेज कर लेती हो?'
काम तो पति और पत्नी दोनों करते हैं. लेकिन ये सवाल सिर्फ लड़कियों से पूछा जाता है. और ये अपने आप में बहुत पेट्रिआर्कल है. घर और ऑफिस कैसे मैनेज करती हो के पीछे का भाव ये निकलता है कि घर संभालना लड़की की ही ज़िम्मेदारी है. वर्क-लाइफ बैलेंस करना मानो लड़की का ही काम है. पर ऐसा नहीं है. घर हमेशा लोगों से मिलकर बनता है. उसमें सभी के अपने अपने रोल और ज़िम्मेदारी होती है. शादी के बाद हो सकता है ज़िम्मेदारी बढ़ जाए या उसमें कोई फर्क ना आए. लेकिन ये तो पति और पत्नी दोनों के साथ हो सकता है.
- 'शादी के बाद ग्लो आ गया है' या 'शादी के बाद निखार आ गया है'.
ये बात अकसर शादीशुदा लड़की या यूं कहें कि नई नई शादीशुदा लड़की को सुनने मिलती है. लोगों को लगता है कि ऐसा कहकर वो उस लड़की को कॉम्प्लीमेंट कर रहे हैं. पर ये असल में कॉम्प्लीमेंट नहीं है. इस कॉम्प्लीमेंट के पीछे का भाव ये होता है कि बड़ी खुश हो. इसके कारण ग्लो आ गया है. 'खुश' यहां पर सेक्स लाइफ के कॉन्टेक्स्ट में बोला जाता है. हो सकता है आप ये कहते वक़्त इसे मीन ना करते हों. अगर यही मीन करते हुए आपने ये बात बोली हो, तो आइंदा मत बोलिए. ये बहुत पर्सनल बातें होती है जो किसी को भी असहज कर देती हैं. और पर्सनल बात पर मैंने शुरू में ही लेक्चर दे दिया है. उसे रिपीट नहीं करूंगी. अगर आप भूल गए हों, तो ऊपर जा के पढ़ लीजियेगा. हम आगे बढ़ते हैं.
- शादी के बाद अकसर लड़कियों को ये सुनने मिलता है कि "अपने पति को कुछ खिलाया पिलाया करो" या "अब इनका खान-पान थोड़ा कम करो, बहुत वज़न बढ़ गया है."
ये बात कई बार कंसर्न में कही जाती है. लेकिन ये बात लड़की को कहना गलत है. उसका पति एक इंडिविजुअल है, उस लड़की की ज़िम्मेदारी नहीं. उसके पति के खान पान की ज़िम्मेदारी उस लड़की की नहीं है. ज़्यादातर घरों में किचन लड़कियां ही संभालती हैं, इसलिए हो सकता है आप ये बात उनसे कह दें. लेकिन हर घर का मामला ऐसा नहीं होता. और ये भी ज़रूरी नहीं कि बेचारा पति बस घर का खाना खाता हो, जो पत्नी या कोई और बना कर देता हो. ये मत मां लीजिये की बड़ी ज़ालिम पत्नी है, कुछ नहीं करती. बेचारे पति को खाना नहीं देती इसलिए सूखा जा रहा है या बेचारे पति को बाहर जाकर खाना पड़ता है इसलिए मोटा रहा है.
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शादी, दो वयस्कों के बीच होती है. दोनों एक दूसरे का ख़्याल रखते हैं, लेकिन दोनों के अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व होते हैं. (सांकेतिक तस्वीर)

- किसी भी शादीशुदा लड़की से या उस लड़की से जिसकी शादी होने वाली है ये मत पूछिए कि 'अब जॉब का क्या? जॉब करोगी या छोड़ दोगी?'
इस सवाल को ना पूछने के वजह अब मैं नहीं एक्सप्लेन करूंगी. आप खुद सोचिये, क्या आप ये सवाल किसी लड़के से करेंगे? "ब्रो, शादी होने वाली है. नौकरी का क्या सोचा? छोड़ दोगे?" नहीं न? क्योंकि शादी के बाद कौन ही लड़का नौकरी छोड़ता है. ये सवाल ही कितना कुतार्किक है. या आप सोचोगे नौकरी करना तो उसका काम है. पैसे कमाना तो उसकी ज़िम्मेदारी है. पर ब्रो, नौकरी करना लड़की की भी ज़िम्मेदारी हो सकती है. या उसकी चॉइस हो सकती है. ये उसकी निजी जिंदगी का सवाल है. वो सॉर्ट आउट कर लेंगे कि किसे घर संभालना है और किसे नौकरी करनी है. या दोनों को नौकरी करनी है और दोनों को साथ मिलकर घर संभालना है. वही पर्सनल वाला लेक्चर यहां भी अप्लाई होता है.
- और भी ऐसे कई सवाल हैं. जैसे 'इन-लॉज़ के साथ सही बनती है?'
हां भाई, ये टीवी सीरियल नहीं है. इसमें सास बहु के बीच लड़ाई नहीं चलती रहती. न ही सास तीन बार थप्पड़ मारती है. न ही राशी बहु रसोड़े में साज़िश रच कर आती है. यहां सब सही है. सब सही बनती है.
'तुम्हारा पति तुम्हे पार्टी करने देता है? हाउ लकी यू आर!' या 'पति घर के कामों में मदद करता है' या 'अपना सरनेम कब बदल रही हो?'
प्लीज़ ये सब कहना तुरंत बंद कर दीजिये. आपको लग साकता है कि जिससे आप ये बात कह रहे हैं, वो आपका दोस्त है या वो तो इतना क्लोज है कि उससे ये बाते कही जा सकती है. आप तो लाइटर नोट में या हंसी मज़ाक में ये कह रहे हैं. पर ऐसा नहीं है. ये बातें इतनी सेक्सिस्ट हैं कि आपको पता भी नहीं चलता और सामने वाला असहज हो जाता है. उसके लिए सिचुएशन बड़ी ऑक्वर्ड हो जाती है. ऐंड आई एम श्योर आप ऐसा फील करवाना नहीं चाहते होगे.
तो ये थी कुछ टिप्स आपकी मदद के लिए. आई होप ये आपके काम आएंगी और आपको आज के एपिसोड से बहुत कुछ सीखने मिला होगा. अपना फीडबैक ज़रूर दीजियेगा.