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मां बाप से ये 5 बातें सुन- सुनकर थक चुकी है बेटियां

अगर आप अपनी बेटी से सचमुच प्रेम करते हैं तो कभी नहीं कहेंगे ये बातें

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10 बजे तक सो रही हो, ससुराल में जब 7 बजे से किचन में लगना पड़ेगा तब पता चलेगा. कुछ पापा की परियों को छोड़ दें तो लगभग हर मिडिल क्लास लड़की को ये वाक्य बोलकर जगाया जा चुका है. और जिन्हें नहीं जगाया गया, उनसे मुझे बहुत जलन है. लेकिन उनके घर वालों के लिए बहुत सम्मान है. एक बड़ी प्यारी लाइन मैंने कहीं पढ़ी थी. और मेरे बिल्ले ने इसपर मेरा भरोसा बढ़ाया- if you love someone, let them sleep. अगर किसी से प्रेम करते हो तो उन्हें सोने दो. पंखा बंद करके झाड़ू मत लगाओ यार उस कमरे में.   खैर ये सब तो हैं बेकार की बातें. झाड़ू कमरे में समय से लगना ज़रूरी है, चाहे आप अपने लैपटॉप में तीन फ़िल्में निपटाकर सुबह 6 बजे सोये हों. अपने बच्चों को समय से जगाने के लिए आप कुछ भी कर लें. बड़ी होती बेटियों को दुनिया के तौर तरीके सिखाने ज़रूरी हैं, आप सिखाएं. घर के काम सिखाएं, बैंक के काम सिखाएं, गाड़ी का टायर बदलना सिखाएं. मगर कुछ बातें ऐसी हैं जो आपको बिलकुल नहीं बोलनी चाहिए.   पहली बात   Bolywood Mom   अरे आप अपनी बेटी को सभी तरह के शऊर सिखाइए. मगर इसलिए सिखाइए क्योंकि उसे एक दिन घर से बाहर निकलना होगा, पढ़ाई के लिए, नौकरी के लिए. ऐसा क्यों है कि 'एडल्ट वर्ल्ड' की परिभाषा आपने लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग गढ़ रखी है. आपको ऐसा क्यों लगता है कि ससुराल जाकर ही आपकी बेटी दुनिया भर के स्ट्रगल सीख पाएगी. आप उससे ये क्यों नहीं कहते कि खाना बनाना सीख लो, वरना मेस का का खाना खाना पड़ेगा.   दूसरी बात   Adjust Karna Seekho सुनना सीखो, सहना सीखो. पीरियड क्रैंप्स हैं, थोड़ा बर्दाश्त करना सीखो. आगे चलकर बच्चा करोगी तब तो और दर्द होगा. भाई ये कैसी बात हुई कि फ्यूचर में पेन होगा तो मैं अभी पेन किलर न खाऊं. क्या आप अपने बेटे को बोलते हैं कि अभी फ्रैक्चर है तो इलाज मत करवा, 50 की उम्र के बाद तो हड्डियां कमज़ोर हो ही जाएंगी. और बात केवल फिजिकल दर्द सहने की नहीं. पड़ोसी से न लड़ो, सड़क पर उल्टा-सीधा चलने वालों से मत लड़ो, दुकानदार से मत लड़ो, क्लास के लड़कों से मत लड़ो, किसी रिश्तेदार ने कुछ उल्टा-सीधा बोल दिया है तो चुप रहकर सुन लो, दादी की दकियानूसी बकवास सुन लो. थोड़ा एडजस्ट करना सीखो. चुप रहना सीखो. काश इसके बजाय अपनी बेटियों को बोलना सिखाते तो कभी ऑफिस में, कभी पराये शहर में मकानमालिक के यहां, कभी किसी सीनियर के द्वारा, कभी फेसबुक पर किसी फ्रॉड के द्वारा उसे बेवकूफ न बनाया जा रहा होता. चुप रहने की जगह अगर आप अपनी बेटी को सवाल पूछना सिखाएंगे तो वो देश की बेहतर नागरिक बनेगी. बशर्ते आप उसे खुद एक नागरिक मानते हों, दान में दी जाने वाली भेड़-बकरी नहीं.   तीसरी बात मम्मी मैं ऋषिकेश चली जाऊं. नहीं. पति के साथ जाना. ये सब कपड़े पति के सामने पहनना. ये शौक पति पूरे करवाएगा. पति खिलाने ले जाएगा तुम्हें उम्हारी पसंद का सब चटर पटर. और कमाल की बात तो है ये कि ये सब बात कहते हुए मम्मियां मन ही मन क्यूट भी फील कर लेती हैं. आपको लिटरली कोई आईडिया नहीं है कि पति कैसा व्यक्ति होगा. एक लड़की को हम सक्षम बनने के लिए क्यों नहीं कहते कि वो खुद कमाकर अपने शौक पूरे कर ले. क्यों हमें उसके पति और पति की इनकम को बीच में लेकर लाना ज़रूरी है.   इससे ये पता चलता है कि आज के दौर में भी लड़कियों के करियर और प्रोफेशन को हम बस उनके साइड काम की तरह देखते हैं. और प्राइमरी काम आज भी बीवी और बहू की भूमिका को मानते हैं. वो एक गाना है न, मैनू लैंगा लै दे मैंगा, या फिर चिट्टियां कलाइयां जिसमें लड़की कहती है कि तू मुझे शॉपिंग करा दे. फ्रैंकली, उस हिरोइन के पेरेंट्स ने अगर उसे खुद कमाने के लिए लिए ट्रेन किया होता तो वो पति के भरोसे नहीं होती. Kanyadaan चलो बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी ख़त्म हुई. ये वो वाक्य है जो बेटी के लिए दूल्हा फाइनल करने के बाद कही जाती है. जबसे बेटी पैदा होती है, उसकी शादी की टेंशन आप सर पर ले लेते हैं. ये वही देश है जहां आज भी लोग बेटों की चाह में बेटियों को गर्भ में मार रहे हैं और उसके पीछे यही मानसिकता है. इस बात से आप ऑफेंड होंगे. कहेंगे हम अपनी बेटी को बोझ समझें, ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन जिस दिन आप उसकी शादी को अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं, उसी दिन आप अनकहे तौर पर बेटी को बोज बना लेते हैं. एक प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट कर दो, शादी में काम आएगी. यहां पैसा लगा दो, बेटी की शादी में निकालना. कमाल की बात है कि अधिकतर परिवारों में बेटी के पैदा होते ही ख़याल उसकी शादी का आता है, उसके करियर का नहीं. और उससे भी कमाल की बात ये है कि उसकी शादी की टेंशन के बीच आप अपना खुद का रिटायरमेंट भी प्लान नहीं करते.   चौथी बात Kyun Chahiye Alag Kamra इसी से जुड़ी है वो चौथी बात जो आपको बेटियों से कहनी बंद कर देनी चाहिए- "आगे चलकर शादी भी करनी है". हर परिवार आर्थिक रूप से इतना सक्षम नहीं होता कि अपने बच्चों की हर डिमांड पूरी करे. मां-बाप हमें बड़ा करते हैं तो खुद अपनी इच्छाओं का गला घोंट देते हैं. तब जाकर हमारे लिए सेव करते हैं. मगर बच्चों की डिमांड को आप क्या कहकर नकारते हैं, ये भी सोचने वाली बात है. लड़का हो तो कहते हैं, इतनी हमारी हैसियत नहीं है, बहन की शादी भी करनी है. लड़की से कहते हैं, या तो तुम्हारे शौक पूरे कर पाएंगे, या तुम्हारी शादी करवा पाएंगे. लड़के के ऊपर एक अनकहा बोझ रहता है कि वो जल्दी कमाना शुरू करे जिससे बहन की शादी अच्छे से हो सके. यकीन मानिए, कोई भी बेटी ये नहीं चाहेगी कि आप अपने शौक पूरे नहीं कर पाए क्योंकि आपको अपनी बेटी की शादी करनी थी.   पांचवी बात अब आती हूं पांचवीं और उस फाइनल बात पर. जो मुझे लगता है बेटियों से कभी नहीं कही जानी चाहिए. अक्सर मम्मी या फिर पापा मम्मी के ज़रिये बेटियों को ये कहलवाते हैं कि वज़न घटा ले, शादी करनी है. या वेट बढ़ा ले, शादी करनी है. लासिक ऑपरेशन करवाकर इसका चश्मा हटवा दो, वरना शादी में दिक्कत होगी. बाल छोटे मत रखो, शादी में दिक्कत होगी. दांतों को तार बंधवाकर सीधा कर लो, वरना शादी में दिक्कत होगी. अब बड़ी हो रही हो, ठीक से रहा करो. Fat Girl जवान होती कोई भी लड़की सबसे ज्यादा अपनी बॉडी को लेकर कॉन्शियस रहती है. उसकी बॉडी में बदलाव आ रहे हैं. बाज़ार और टीवी के विज्ञापन उसके लिए पहले ही सुन्दरता के ऐसे मानक तय कर चुके हैं जिनके बराबर वो खुद को नहीं पा रही है. उसमें आप ही बेटी को उसकी बॉडी के बारे में कॉन्शियस कर देंगे तो तो उसके कॉन्फिडेंस का क्या होगा? आप एक्चुअली अपनी बेटी को एक ऐसी चीज़ के लिए तैयार कर रहे हैं जो उसके व्यस्क होने के भी कई साल बाद होने वाली है. इन फैक्ट आप उसको नुमाइश के लिए तैयार कर रहे हैं, कि ग्राहक उससे निराश न हो. आप अगर खुद ही अपनी बेटी को एक सुंदर गुडिया में तब्दील कर देंगे तो अगले के लिए भी वो एक वस्तु ही रह जाएगी.   तो आप सोचिएगा इन पांच बातों के बारे में. और ये भी सोचिएगा कि अगर आप अपनी बेटी से सचमुच प्रेम करते हैं तो क्या आपके जीवन का एकमात्र लक्ष्य उसकी शादी और उसे अच्छी बहू बनाना होना चाहिए. अपनी राय लिखिए कमेंट बॉक्स में.