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क्या होता अगर महिलाओं की बजाय पुरुषों को मासिक धर्म यानी पीरियड्स आते?

समाज मासिक धर्म को महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह और भेदभाव के साथ देखता है, और मासिक धर्म को कमज़ोरी और अशुद्धता का संकेत मानता है.

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ग्लोरिया स्टाइनम ने 47 साल पहले मिस मैगज़ीन में लिखे गए एक निबंध में एक अध्ययन का जिक्र किया था. इसमें पूछा गया कि “क्या होता अगर महिलाओं की बजाय पुरुषों को मासिक धर्म यानी पीरियड्स होता?” समाज किस तरह मासिक धर्म को महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह और भेदभाव के साथ देखता है, और मासिक धर्म को कमज़ोरी और अशुद्धता का संकेत मानता है. इस वीडियो में हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं जहां पुरुषों को मासिक धर्म होता है, एक ऐसी दुनिया जहां मासिक धर्म पुरुषत्व और गर्व का प्रतीक होगा, जिसे रीति-रिवाजों, सरकारी सहायता और सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ मनाया जाएगा. क्या है ग्लोरिया के उस अध्ययन की कहानी, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.

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