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JNU राजद्रोह केस में मुकदमे की मंजूरी पर कन्हैया कुमार ने तगड़ी बात कही है

केजरीवाल सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है.

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9 फरवरी 2016 को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में नारेबाजी के वीडियो सामने आए थे. इसी वीडियो के आधार पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ था. (फाइल फोटो)
कन्हैया कुमार. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी JNU के पूर्व छात्र. कथित देश विरोधी नारे लगाने के मामले में उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलेगा. 28 फरवरी को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कन्हैया के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने चलाने की मंजूरी दे दी. चार साल बाद. दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी, 2018 को चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस ने कहा था कि कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे लगाए. इस मामले में उमर खालिद, अनिर्बान, आकिब हुसैन, मुजीब, बशरत अली, उमर गुल और खालिद बशीर को भी आरोपी बनाया गया. उस समय दिल्ली सरकार ने चार्जशीट दाखिल करने को मंजूरी नहीं दी थी. तब से मामला अटका हुआ था.
पिछले दिनों दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. इसमें दिल्ली पुलिस ने बताया था कि अभी तक दिल्ली सरकार से राजद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं मिली है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को निर्देश दिया कि वो दिल्ली सरकार को खत लिखकर इस पर रुख साफ करने को कहे.
इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने केजरीवाल सरकार को पत्र लिखा. और कन्हैया कुमार समेत अन्य के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने की फिर से अनुमति मांगी. अब केजरीवाल सरकार ने स्पेशल सेल को मुकदमा चलाए की अनुमति दे दी है.
दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद कन्हैया कुमार का जवाब आया. उन्होंने ट्वीट कर कहा,
सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरूरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरुपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है.
उन्होंने एक और ट्वीट किया,
दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद. दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए. सत्यमेव जयते.
Kanhaiya Kanhaiya

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कन्हैया ने कहा,
पहली बार चार्जशीट तब दाखिल की गई, जब मैं चुनाव लड़ने वाला था और अब बिहार में फिर से चुनाव होने वाले हैं. बिहार में एनडीए सरकार है. राज्य सरकार ने एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया है. यह स्पष्ट है कि यह मामला राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया और लटकाया गया.
आरोपी उमर खालिद ने भी ट्वीट कर कहा कि दिल्ली सरकार के फैसले से हमें कोई परेशानी नहीं होगी. उमर ने ट्वीट किया,
'मेरे और अनिर्बान की तरफ से बयान, दिल्ली सरकार की तरफ से देशद्रोह केस में हमारे खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से हमे कोई दिक्कत नहीं होगी. हमें भरोसा है कि हम निर्दोष हैं. हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम खुद इस मामले की कोर्ट में सुनवाई की मांग कर रहे थे.'
उन्होंने आगे कहा,
कोर्ट में सुनवाई से साबित हो जाएगा कि सत्तारूढ़ सरकार की तरफ से कराया जा रहा मीडिया ट्रायल झूठा और राजनीतिक से प्रेरित है. हम काफी समय से इन झूठे आरोपों के साए में जी रहे हैं. आखिरकार, सब दूध का दूध और पानी का पानी होगा. हम कोर्ट में अपना बचाव करेंगे, हम सत्तारूढ़ सरकार के झूठ और उनके राष्ट्रवादी होने के झूठे दावे की पोल खोलेंगे'
Umar

क्या है मामला?

9 फरवरी 2016 को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में नारेबाजी के वीडियो सामने आए थे. 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ 124 ए यानी राजद्रोह और 120बी आपराधिक साजिश के तहत वसंतकुंज थाने में केस दर्ज कर किया था. 12 फरवरी को जेएनयू के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उनके बाद उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी गिरफ्तार किया गया. दिल्ली सरकार की मजिस्ट्रेट जांच के बाद मार्च 2016 में कन्हैया को अंतरिम जमानत दे दी. अगस्त 2016 में कन्हैया को रेगुलर जमानत दे दी गई.
2018 के पहले महीने में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी. लेकिन दिल्ली सरकार ने चार्जशीट को मंजूरी नहीं दी. उस समय दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि जेएनयू वाले केस में देशद्रोह का मामला नहीं बनता है. लेकिन अब दिल्ली सरकार ने अपने रूख में बदलाव किया है. उसने दिल्ली पुलिस को राजद्रोह के लिए मंजूरी दे दी है.


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