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H-1B वीजा पर इन लोगों को नहीं देने होंगे 88 लाख रुपये, नए नियम पर एक बड़ा 'कन्फ्यूजन' दूर हुआ

Donald Trump ने H-1B Visa पर भारी-भरकम फीस लगाने का फैसला लिया, जिससे भारतीय कर्मचारियों के बीच घबराहट बढ़ गई. अब व्हाइट हाउस ने इस मसले पर एक और बयान जारी किया है.

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पहले माना जा रहा था कि 88 लाख रुपये की फीस सालाना होगी. (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने शनिवार को H-1B वीजा के लिए 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का आवेदन शुल्क लगाने का एलान किया था. इस फैसले के बाद अमेरिका में काम कर रहे भारतीय कर्मचारियों के बीच घबराहट बढ़ गई. हालांकि, बाद में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह वन टाइम फीस होगी, जो केवल नए आवेदकों पर लागू होगी, पुराने वीजा रिन्यू करने पर नहीं. 

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सीनियर अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि जो लोग देश छोड़ रहे हैं या भारत जा रहे हैं, उन्हें 100,000 डॉलर का शुल्क देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि नया शुल्क केवल नए आवेदकों के लिए है, मौजूदा वीजा होल्डर्स के लिए नहीं. वहीं, व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने ‘X’ पर पोस्ट किया-

  • यह कोई सालाना फीस नहीं है. यह वन टाइम फीस है जो केवल नए पिटीशन पर लागू होती है.
  • जो लोग पहले से ही H-1B वीजा होल्डर हैं और इस समय देश से बाहर हैं, उनसे दोबारा एंट्री के लिए 100,000 डॉलर की फीस नहीं ली जाएगी.
  • यह केवल नए वीजा पर लागू होता है, रिन्यू पर नहीं और न ही मौजूदा वीजा होल्डर्स पर.

रिपोर्ट के मुताबिक, यह शुल्क केवल 21 सितंबर को रात 12 बजे या उसके बाद आईं नई एप्लीकेशन पर लागू होगा, न कि उन लोगों पर जिनके पास पहले से ही वीजा है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति के एलान ने शुरुआत में चिंता पैदा कर दी थी. यहां तक कि मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टॉप कंपनियों ने अपने H-1B वीजा होल्डर्स कर्मचारियों को अगले 24 घंटों के भीतर अमेरिका वापस लौटने के लिए तक कह दिया था. कई लोगों को डर था कि 1,00,000 डॉलर का शुल्क दोबारा एंट्री पर भी लागू होगा.

ये भी पढ़ें: मेटा-माइक्रोसॉफ्ट ने कर्मचारियों से कहा- 'जहां हो, जल्द लौटो', H-1B वीजा वालों को ये मेल क्यों भेजे?

बताते चलें कि अमेरिका में H-1B वीजा प्रोग्राम उन लोगों के लिए आरक्षित है जो खास पेशे में काम करते हैं, खासकर तकनीकी क्षेत्र में. इनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, टेक प्रोग्राम मैनेजर और दूसरे IT प्रोफेशनल्स शामिल हैं. ये वीजा तीन साल के लिए वैध होते हैं और फिर इन्हें अगले तीन साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है. ज्यादातर मामलों में नौकरी देने वाली कंपनियां वीजा का ये खर्चा उठाती हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, H-1B वीजा धारकों में 71 प्रतिशत भारत से आते हैं. वहीं, चीन का हिस्सा 11.7 प्रतिशत है.

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वीडियो: दुनियादारी: अमेरिका जाने के लिए भारतीयों का फ़ेवरेट H1B वीजा बंद होने वाला है?

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