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मेटा-माइक्रोसॉफ्ट ने कर्मचारियों से कहा- 'जहां हो, जल्द लौटो', H-1B वीजा वालों को ये मेल क्यों भेजे?

कहानी बदल जाए, उससे पहले वापस आ जाइए, दुनिया में जहां भी हों... Meta और Microsoft ने अपने उन कर्मचारियों को कुछ ऐसा ही मेल भेजा है, जिनके पास H-1B Visa है. मेल में अपील की गई है कि जो लोग अभी अमेरिका से बाहर हैं, वे 24 घंटे के भीतर अमेरिका वापस लौट आएं. लेकिन ऐसा ये कंपनियां क्यों कर रही हैं?

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Meta and Microsoft are calling H-1B visa holders
कंपनियां अपने H-1B वीजा होल्डर कर्मचारियों को अमेरिका वापस बुला रही हैं. (फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
20 सितंबर 2025 (Updated: 20 सितंबर 2025, 03:19 PM IST)
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने H-1B वीजा के लिए सालाना 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का आवेदन शुल्क लगाने का एलान किया. इस फैसले के बाद मेटा (Meta) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) जैसी टॉप कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को अगले 24 घंटों के भीतर अमेरिका वापस लौटने के लिए कहा है. ये कंपनियां बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों को इसी वीजा प्रोग्राम के तहत नौकरी पर रखती हैं, जिनमें से ज्यादातर भारतीय हैं.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने उन कर्मचारियों को मेल भेजा है, जिनके पास H-1B वीजा है. मेल में अपील की गई है कि वे ‘कुछ समय तक’ देश न छोड़ें. मेटा ने H-1B और H4 वीजा होल्डर्स को कम से कम 14 दिन तक अमेरिका में रहने की सलाह दी है और जो लोग अभी अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें 24 घंटे के भीतर अमेरिका लौटने के लिए कहा है. 

वहीं, दूसरी तरफ, माइक्रोसॉफ्ट ने भी अमेरिका में अपने कर्मचारियों से कहा है कि वे यहीं रहें ताकि उन्हें वापस आने से रोका न जाए. कंपनी ने देश के बाहर काम करने वाले कर्मचारियों को भी जल्द से जल्द वापस लौटने के लिए कहा है. 

बताते चलें कि अमेरिका में H-1B वीजा प्रोग्राम उन लोगों के लिए आरक्षित है जो खास पेशे में काम करते हैं, खासकर तकनीकी क्षेत्र में. इनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, टेक प्रोग्राम मैनेजर और दूसरे IT प्रोफेशनल्स शामिल हैं. ये वीजा तीन साल के लिए वैध होते हैं और फिर इन्हें अगले तीन साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है.

इस बीच, वकीलों ने बताया कि H-1B वीजा के लिए नया शुल्क ‘यूएस फेडरल इमिग्रेशन लॉ’ का उल्लघंन करता है और इस वजह से तत्काल मुकदमा दायर किया जाएगा. 100,000 डॉलर का नया शुल्क, पिछली फीस से काफी ज्यादा है, जो आमतौर पर 1,700 डॉलर (करीब डेढ़ लाख रुपये) से 4,500 डॉलर (करीब 4 लाख रुपये) तक था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, H-1B वीजा धारकों में 71 प्रतिशत भारत से आते हैं. चीन का हिस्सा 11.7 प्रतिशत है.

ये भी पढ़ें: अमेरिका में बाहर से काम करने आना है तो देने होंगे 88 लाख रुपये... ट्रंप ने एक और तगड़ी चोट दे दी

1990 के बाद से सबसे बड़ा बदलाव

1990 में अमेरिका ने H-1B वीजा की शुरुआत कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए की थी. अब ट्रंप के इस फैसले को इस कार्यक्रम में हुआ अब तक का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है. वर्तमान में H-1B आवेदक लॉटरी में प्रवेश के लिए एक मामूली शुल्क का भुगतान करते हैं. और अगर उनका चयन हो जाता है, तो अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है. ज्यादातर मामलों में नौकरी देने वाली कंपनियां वीजा का ये खर्चा उठाती हैं.

वीडियो: दुनियादारी: अमेरिका जाने के लिए भारतीयों का फ़ेवरेट H1B वीजा बंद होने वाला है?

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