The Lallantop

19 साल पहले हुए फेक एनकाउंटर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर लगाया 7 लाख का जुर्माना

कोर्ट ने कहा 19 साल तक राज्य मशीनरी पुलिसवालों को बचाती रही, मृतक का पिता भटकता रहा.

Advertisement
post-main-image
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के सारे सबूत हैं कि मशीनरी ने Fake Encounter के आरोपियों को बचाया. (फोटो- PTI)
उत्तर प्रदेश में साल 2002 में हुए एक फर्जी मुठभेड़ (Fake Encounter) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य सरकार पर सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. पुलिस ने एक युवक को एनकाउंटर में मार दिया था. यह रकम मृतक के पिता को मिलेगी, जो अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए पिछले लगभग दो दशक से भटक रहे थे. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कुछ कड़ी टिप्पणियां भी की हैं. जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा,
"इस पूरे मामले में जिस ढिलाई के साथ सरकार पेश आई है, वो अपने आप में बताता है कि राज्य मशीनरी कैसे अपने पुलिसकर्मियों को बचा रही थी. मशीनरी के व्यवहार के कारण ही मृतक के पिता को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. हम आमतौर पर इस तरह की याचिकाओं पर जल्दी सुनवाई नहीं करते, लेकिन इस बार हमें लगा कि याचिकाकर्ता को न्याय मिलना चाहिए, जिसके लिए वो लगभग दो दशक से भटक रहा है."
इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे मामले में पूरा प्रशासन दागी पुलिसवालों को 19 साल तक बचाता रहा. यह सब कुछ तब हुआ, जब सूबे की तमाम सरकारें कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने का वादा करती रहीं. चाहें फिर बात मायावती सरकार की हो, मुलायम सरकार की, अखिलेश सरकार की या फिर योगी सरकार की. सैलरी पाते रहे आरोपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह फर्जी मुठभेड़ सिकंदराबाद के आढ़ा तिराहे के पास 3 अगस्त, 2002 को हुई थी. इसमें एक छात्र की हत्या कर दी गई थी. उस समय राज्य की मुख्यमंत्री मायावती थीं. लेकिन आरोपी पुलिसवालों को गिरफ्तार नहीं किया गया. वो आराम से घूमते रहे. सरकारी तनख्वाह पाते रहे. सरकार के खर्च पर ही अपने केस की पैरवी कराते रहे.
इस बीच पुलिस ने इस पूरे मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. हालांकि, एक निचली अदालत ने साल 2005 में इस क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया. इसके बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया. हालांकि, एक आरोपी की गिरफ्तारी पर ट्रायल कोर्ट ने ही रोक लगाई थी.
सिकंदरबाद में हुआ था Fake Encounter. उस समय मायावाती सूबे की मुख्यमंत्री थीं.
सिकंदरबाद में हुआ था Fake Encounter. उस समय मायावाती सूबे की मुख्यमंत्री थीं.

मामला हाईकोर्ट पहुंचा. हाई कोर्ट ने साल 2017 में आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया. लेकिन इसके बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. यही नहीं, 2018 में निचली अदालत की तरफ से आरोपी पुलिकर्मियों की तनख्वाह रोकने का आदेश दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, इस आदेश के बाद भी केवल एक ही आरोपी की सैलरी रोकी गई.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि उसके आदेश के बाद इस साल एक सितंबर को पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया. एक आरोपी ने पहले ही सरेंडर कर दिया. हालांकि, चौथा आरोपी अभी भी फरार है. वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि चौथा आरोपी रिटायर हो चुका है और उसके सारे भुगतान किए जा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर अपनी नाराजगी जताई.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement