जैसे जब 11 बरस की बच्ची को ससुराल के गांव में बाकी बहुओं की तरह कुंए से पानी भरकर लाना पड़ता है और लौटते हुए कुछ लड़के उसका घड़ा तोड़ देते हैं. तब छेद देने वाली आंखों से देखते हुए वो पलटकर गाली देती है और दर्शक सुन्न हो जाता है.
जब उसका पति उस बच्ची के साथ रेप करता है और उसकी कराह पूरे घर में गूंजती है.
जब गांव में ऊंची जाति का लड़का उसके साथ बद्तमीजी करता है लेकिन विरोध करने पर पंचायत बैठती है और आरोपी लड़कों में से ही एक कहता है, "वो कह रही थी उसे चुल्ल उठ रही है."
फिर वो कठोर छवि भी है जब उसे पूरी तरह निर्वस्त्र करके कुंए पर पानी लेने भेजा जाता है और सारा गांव देखता है.
फिर जब उसके साथ बार-बार रेप किया जाता है.
जब शादी के बाद उस बच्ची को उसके घर से रवाना किया जा रहा होता है और गाना गूंजता है - "छोटी सी उमर परणाई ओ बाबोसा, कांई थारो करयो म्हे कसूर." स्थानीय औरतों और बाद में नुसरत की आवाज़ में. गीत का अर्थ होता हैः- छोटी सी उमर में क्यों मेरा ब्याह कर दिया पिता, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था. तुम्हारे ही घर जन्मी थी, तुम्हारे ही घर खेली थी, अब मुझे दूसरे घर भेज रहे हो. अब मुंह से क्या बोलूं, मेरे आंसू बोल रहे हैं, कलेजा दुख से भरपूर भर चुका है.
https://www.youtube.com/watch?v=WPBMJR1qDLc
इस फिल्म को कितनी बार भी देखा जाए ये हर बार उतनी ही मारक लगती है. ये एक बहुत अधिक एंगेजिंग सिनेमा भी है और बेहद सार्थक कोशिश भी. क्योंकि इसमें हम escape का रास्ता छोड़ सामाजिक हकीकतों को उसके मूल रूप में देखते हैं और जागरूक होते हैं.
फूलन की कहानी दर्शकों को एक बार फिर दिखाई देगी, एक इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फीचर में जिसका शीर्षक है - 'फूलन.' निर्माण जारी है. इसे प्रोड्यूस कर रहे हैं अमेरिका के जैक सिल्बरमैन जिन्होंने 40 से ज्यादा डॉक्यूमेंट्री लिखीं, डायेरक्ट की और प्रोड्यूस की हैं. 'फूलन' के राइटर-डायरेक्टर होसैन मार्टिन फाज़ेली ईरान मूल के हैं और फिल्मी दुनिया में 15 साल का अनुभव रखते हैं. इन लोगों ने पहले भी रेलेवेंट और प्रशंसित डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई हैं.
अपने स्टेटमेंट में डायरेक्टर होसैन कहते हैंः
"फूलन के बारे में मुझे जो बात उत्साहित करती है, वो है भयंकर कठिनाइयों के सामने भी लड़ने का इंसानी जज़्बा. ये इश्यू भी मेरे दिल के करीब है. कि लोग अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठते हैं तो किस वजह से? इस तरह के उनके काम दुनिया भर के उन करोड़ों लोगों को क्या संदेश दे सकते है जिन्हें रोज़ उनका बुनियादी सम्मान भी नहीं दिया जाता है? कि (फूलन जैसे लोगों के) ये एक्ट कितने सशक्त करने वाले हो सकते हैं?फूलन की कहानी कहते हुए गरीबी, बाल विवाह, यौन हिंसा, मानवाधिकारों के हनन और दलितों के राजनीतिक रूप से अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसे मसले भी एजेंडे में रखे गए हैं. फिल्म का पहला ट्रेलर इसके फेसबुक पेज पर मंगलवार को शेयर किया गया. हालांकि इसे काफी पहले से वीमियो पर सार्वजनिक किया जा चुका है. पिछले साल नवंबर में लॉस एंजेल्स में इसे अवॉर्ड मिला था. ट्रेलर में उन सब जगहों के लोग दिखते हैं जहां-जहां से फूलन की कहानी गुजरी. फूलन के समर्थन में भी बातें इसमें दिखती हैं और उसके हाथों मारे गए लोगों के परिवार वाले भी रोते दिखते हैं.
भयंकर गरीबी और अत्याचार के माहौल में पैदा हुई फूलन ने अधीन होकर जिंदगी जीना कुबूल नहीं किया. उसने पलटकर मुकाबला किया. सम्मान और न्याय पाने की अपनी इस मांग के कारण आखिर में वो अपने से भी ताकतवर लोगों के सामने जीती.
वो कुंआ जहां नंगा करके सबके सामने फूलन को पानी लेने भेजा गया.
उसी गांव में एक साल बाद 22 राजपूत पुरुषों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भुनवा दिया गया.
फिर राजनीति में आई फूलन वी. पी. सिंह और रामविलास पासवान के साथ.
डॉक्यूमेंट्री की एक वर्किंग स्टिल जिसमें फूलन अपने प्रतिशोध के बारे में कहती हैं.
मेरे लिए इस फिल्म को बनाने के साथ एक निजी पहलू भी जुड़ा है. मैं ईरान में पैदा हुआ था और 80 के दशक के आखिर में एक शरणार्थी की तरह कैनेडा आया. क्रांति-पश्चात के ईरान में मैंने खुद अन्याय का अनुभव किया. मैंने अपने परिवार के कई लोगों को खो दिया जिन्हें गोली मार दी गई, वो भी विरोधी विचार वाले परचे बांटने और मानव अधिकार समूहों से जुड़ने जैसे मामूली पोलिटिकल 'अपराधों' के नाम पर. मुझे पता है कि अलग राय, अलग विचारधारा और अलग धर्म का होने के कारण आपसे आपका सम्मान छीन लिया जाना कैसा होता है."
देखें ट्रेलरः
2017 के आखिर तक डॉक्यूमेंट्री फीचर 'फूलन' रिलीज हो सकती है.
देखें और भी
वीडियो :
फूलन की हत्या के तार क्या मुलायम सिंह से भी जुड़े थे?
https://www.youtube.com/watch?v=RQPzF4hlDQ4
चंबल का मंगलाकाली मंदिर जिसमें फूलन और दूसरे डाकुओं की बड़ी आस्था थी
https://www.youtube.com/watch?v=nOXI1rq1SaU
डाकू ददुआ के किस्से सुना रहे हैं उनके गांव के लोग
https://www.youtube.com/watch?v=Ff1WBmFimwA
यमुना में नाव चलाने वाले बताते हैं कैसे डकैतों को नदी पार कराते थे
https://www.youtube.com/watch?v=ShuRSoC4lcY