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वरिष्ठ पत्रकार रवीश तिवारी का निधन, कैंसर से जूझ रहे थे

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरी राजनीतिक हस्तियों ने जताया शोक.

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रवीश तिवारी ने इंडिया टुडे के साथ भी काम किया था. (फोटो: सोशल मीडिया)
दी इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार रवीश तिवारी का निधन हो गया. रवीश इस अंग्रेज़ी अखबार में नेशनल पॉलिटिकल एडिटर और नेशनल ब्यूरो चीफ के पद पर थे. 40 साल के रवीश पिछले दो साल से कैंसर से जूझ रहे थे. 19 फरवरी की सुबह उनका देहांत हो गया. उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी और भाई हैं. रवीश के निधन की खबर आने के बाद पत्रकारिता जगत में मातम पसर गया. वहीं देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत राजनीति के दिग्गज चेहरों ने भी शोक व्यक्त किया.   पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा,
"किस्मत ने रवीश तिवारी को भी जल्द छीन लिया. मीडिया जगत में एक उज्ज्वल करियर का अंत हो गया. मुझे उनकी रिपोर्ट पढ़ने में मज़ा आता था और मैं समय-समय पर उनसे बातचीत भी करता रहता था. वह अंतर्दृष्टिपूर्ण और विनम्र थे. उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदना है."
रवीश दी इंडियन एक्सप्रेस से पिछले 12 साल से जुड़े थे. इससे पहले वो इंडिया टुडे और इकॉनमिक्स टाइम्स के साथ भी काम कर चुके थे. रवीश केंद्रीय सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्र और राज्यों के चुनावों के साथ साथ स्ट्रैटेजिक अफेयर्स और डिप्लोमेसी भी कवर करते थे. रवीश ने अपने पत्रकारिता करियर में देश के अलग अलग राज्यों के चुनावों को कवर किया. वहां की राजनीति, मुद्दे, ग्रामीण इलाकों और खेती से जुड़े मुद्दों पर अनेकों लेख लिखे. दी इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर राज कमल झा ने भी रवीश के निधन पर शोक व्यक्त किया.   राज कमल झा ने लिखा,
"रवीश ने जो मुकाम हासिल किया है, उनकी जगह कोई नहीं ले सकता. उनकी मौजूदगी हमारे न्यूज़रूम में हमेशा बनी रहेगी. उनके लिए प्रार्थना करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद."
रवीश को उनकी देश, विदेश, राजनीतिक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर समझ की वजह से ना सिर्फ एक पत्रकार बल्कि एक इंटेलेक्चुअल के तौर पर भी देखा जाता था. रवीश की प्रारंभिक शिक्षा नवोदय विद्यालय से हुई. उसके बाद रवीश ने IIT बॉम्बे से B.Tech किया. रवीश 2005-06 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गए. वो उस साल रोड्स स्कॉलरशिप हासिल करने वाले 6 लोगों में से एक थे. हालांकि अंत में रवीश ने पत्रकारिता को ही चुना.

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