ब्राज़ील के शहर रियो डी जेनेरियो की मूर्ति 'क्राइस्ट दी रिडीमर' के ऊपर अलग-अलग अवसरों में लेजर लाइटिंग से अलग-अलग चित्र या अलग-अलग लेख बनाए/लिखे गए हैं. इस बार कोरोना काल में इसपर 'fome' यानी 'भूख' लिख दिया गया. (सभी चित्र: AP)
ब्राज़ील का शहर रियो डी जेनेरियो. ईसा की सबसे उंची मूर्ति है यहां. Christ the Redeemer नाम है इस मूर्ति का. पिछले रविवार 10 तारीख़ को इस मूर्ति पर लेज़र लाइट से लिखा गया 'Fome'. मतलब 'भूख'. पूरी दुनिया हैरान रह गई.

भूख की भी कई क़िस्में होती हैं. कहते हैं, चालीस दिन उपवास करने के बाद यीशू से शैतान ने पूछा ‘अगर तू पत्थर को भी रोटी में बदल देगा तो भी क्या तुझे भूखा नहीं रहना पड़ेगा?’ जवाब में यीशू ने कहा ‘इंसान सिर्फ़ रोटी से ही ज़िन्दा नहीं रहता’. शायद ठीक ही कहा था यीशू ने, इंसान रोटी की उम्मीद में भी ज़िन्दा रह जाता है. उम्मीद की ये कहानी ब्राज़ील में यीशू की सबसे बड़ी मूर्ति के साथ दुहराई गई. मूर्ति पर लिख दिया गया ‘भूख’.

क़ाश सलीब पर टांगे जाने से पहले ईसा अपने पिता से ‘माफ़ी’ की जगह ‘रोटी’ मांगते. रोटी आत्मा का आख़िरी संगीत है. हर मुल्क के आख़िरी आदमी की तरह, जो ईश्वर को याद करता रहा और आदमी को सब भूल गए. सबके पास रोटी हो तो दुनिया को शायद ‘माफ़ी’ की ज़रूरत ही ना पड़े. शहर के हर कोने से दिखते ईसा के इस बुत पर टंका हुआ ये सिर्फ़ एक शब्द नहीं है, बल्कि इस वक़्त इंसानियत का सबसे ज़रूरी सवाल है. ये महामारी यूं ही नहीं लौट जाएगी. ये लौटेगी बच्चों की क़िताबों और बड़ों की नौकरियों के साथ. दुनिया भर में बच्चे अब राक्षसों को खोजने के लिए पलंग के नीचे नहीं झांकते, क्योंकि बच्चों ने भूख के असली माने समझ लिए हैं.

अब बच्चे बात-बात पर पहले की तरह रूठते नहीं. बारिश से रूठकर कोई क्या कर लेगा. उसे ही मुंह फेरना होगा. क्योंकि बारिश आसमान की ओर नहीं बरस सकती. ईश्वर भी बारिश की तरह होते हैं. वापस नहीं जा सकते. इसीलिए, ये ईश्वर से लिया गया सबसे कारगर बदला है, कि तुम उसकी छाती पर लिख दो -'भूख'.
Tasveer: Rio De Janeiro, Brazil में Jesus की Statue पर Fome क्यूं लिखा? -