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कौन है बगदादी के लिए काम कर चुका अबु मोहम्मद अल-जुलानी? जिसने असद को सत्ता से उखाड़ फेंका

Syria में विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया. हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ग्रुप के विद्रोहियों ने Bashar al-Assad के 24 साल पुराने शासन का अंत कर दिया. इस ग्रुप का लीडर Abu Mohammad al Julani है.

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अबु मोहम्मद अल जुलानी के नेतृत्व में विद्रोहियों ने सीरिया सरकार को उखाड़ फेंका (फोटो: AP)

सीरिया (Syria) में बशर अल असद (Bashar al-Assad) की सरकार का अंत हो चुका है. पिछले कुछ दिनों में अचानक बदले घटनाक्रम के दौरान विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया. हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ग्रुप के विद्रोहियों ने बशर अल असद के 24 साल पुराने शासन का अंत कर दिया. हज़ारों लोग कारों में सवार होकर या पैदल दमिश्क के मेन चौराहे पर इकट्ठे हो गए हैं और उन्होंने हाथ हिलाते हुए ‘आज़ादी’ के नारे भी लगाए हैं. जिसके बाद असद के सीरिया छोड़कर जाने की भी खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो असद ने अपने परिवार समेत रूस में राजनीतिक शरण ली है.

सीरिया में हो रहे इस सिविल वॉर में विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे हैं, अबु मोहम्मद अल-जुलानी (Abu Mohammed al Julani). जो पूरे अभियान की कमान संभाल रहे हैं. 1982 में सऊदी अरब में पैदा हुए अल-जुलानी हैं कौन, आइये जानते हैं. 

कौन है Al Julani?

अबु मोहम्मद अल-जुलानी का जन्म सऊदी अरब में हुआ था. बाद में वो सीरिया की राजधानी दमिश्क आ गया. उससे पहले जुलानी के दादा गोलान हाईट्स में रहते थे. गोलान हाइट्स, सीरिया में एक इलाका है जिस पर 5 जून, 1967 को इजरायली सेना ने कब्ज़ा कर लिया था. 1967 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान जुलानी के दादा वहां से चले गए. जुलानी एक ऐसा इंसान था जो बचपन से ही संघर्ष और जंग देखते हुए बड़ा हुआ था. अरब की सियासत और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष ने उस पर अपनी गहरी छाप छोड़ी थी.

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साल 2000 में हुए दूसरे इंतिफादा में भी उसकी भूमिका रही. फिर जब 2003 में अमेरिका ने इराक़ में अपनी सेना उतारी, उस समय जुलानी बग़दाद चल गया और अमेरिका के खिलाफ जंग लड़ने लगा. 2013 में अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया. 

अब चूंकि देश में गृहयुद्ध जारी था, और इसी गृहयुद्ध के दौरान एक क्रूर आतंकी संगठन को यहां अपने पैर जमाने का मौका मिल गया. ये संगठन था इस्लामिक स्टेट. 2013-14 के दौरान ISIS चीफ अबु बक्र अल बगदादी ने अल-जुलानी को इराक से सीरिया भेजा. इस्लामिक स्टेट की ब्रांच स्थापित करने. जिसे जबात अल-नुसरा फ्रन्ट का नाम दिया गया. इस ग्रुप का उद्देश्य था 2011 में भड़के गृहयुद्ध के दौरान बशर-अल-असद की सेना से लड़ाई. अल-जुलानी बगदादी का लेफ्टिनेंट था.   

इस बीच जुलानी और इस्लामिक स्टेट के सरगना अबु-बकर-अल-बग़दादी के बीच मतभेद हुए और जुलानी ने अपने संगठन को पड़ोसी मुल्क इराक में अल-कायदा का एक स्वतंत्र फ्रन्ट घोषित कर दिया. 2016 में संगठन का नाम बदला और नया नाम रखा जबहत-फतह-अल-शाम. जबकि इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक साल 2017 में कई अन्य समूहों के साथ विलय के बाद इस ग्रुप का नाम हयात तहरीर अल-शाम (HTS) हो गया.

इस बीच इस्लामिक स्टेट के पांव उखड़ने शुरू हो चुके थे. 2017 आते-आते जबहत-फतह-अल-शाम ने सीरिया के कुछ और हथियारबंद गुटों से हाथ मिला लिया और यहीं से नींव पड़ी इस नए संगठन हयात-तहरीर-अल-शाम  (HTS) की. जिसके बैनर तले विद्रोहियों ने बशर-अल-असद सरकार को उखाड़ फेंकने की मुहिम शुरू की . रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गुट को तुर्किए और कतर जैसे देश सपोर्ट करते हैं.

बताते चलें कि सीरिया में तख्तापलट के बाद देशभर में विद्रोही जश्न मना रहे हैं. विद्रोही शहर के केन्द्रों पर एकत्रित होकर बशर अल-असद के पतन का जश्न मना रहे हैं. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सीरिया के ताजा घटनाक्रम को ऐतिहासिक करार दिया है. बाइडन के मुताबिक असद शासन का पतन सीरियाई लोगों के लिए ऐतिहासिक अवसर का क्षण है.

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