मध्यप्रदेश सरकार ने रविवार, 13 अगस्त को एक अधिसूचना जारी करके मऊगंज को अलग जिला घोषित कर दिया. अब मध्यप्रदेश में 53 जिले होंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी साल 4 मार्च को रीवा के मऊगंज में आयोजित संबल योजना के कार्यक्रम में इस इलाके को अलग जिला बनाने की घोषणा की थी. अब इस घोषणा को अमली जामा पहनाते हुए मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने विधिवत आदेश जारी कर मऊगंज को जिला घोषित कर दिया. लेकिन प्रदेश के नए जिले से ज्यादा चर्चा हुई इसकी ‘चार घंटे वाली कलेक्टर’ सोनिया मीना की.
मऊगंज की 4 घंटे वाली कलेक्टर, कौन हैं सोनिया मीना जिन्हें DM बनते ही पद से हटा दिया गया?
मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने विधिवत आदेश जारी कर मऊगंज को जिला घोषित कर दिया. लेकिन प्रदेश के नए जिले से ज्यादा चर्चा हुई इसकी ‘चार घंटे वाली कलेक्टर’ सोनिया मीना की.


मऊगंज जिला बनने की घोषणा होते ही नए कलेक्टर और कप्तान की नियुक्ति की गई. रविवार शाम 5:45 बजे मध्यप्रदेश शासन का आदेश आया कि 2013 बैच की आईएएस सोनिया मीना जिले की पहली कलेक्टर होंगी. लेकिन चार घंटे बाद ही सोनिया मीना को जिले की पहली कलेक्टर बनाने वाला आदेश बदल दिया गया.

रात 10:45 बजे प्रशासन की तरफ से दूसरा आदेश आया कि मऊगंज जिले के पहले कलेक्टर 2013 बैच के ही आईएएस अजय श्रीवास्तव होंगे.

वर्तमान में अजय श्रीवस्ताव आदिवासी विकास अपर आयुक्त हैं. सोनिया मीना इसी विभाग में आदिवासी क्षेत्रीय विकास योजना संचालक पद पर हैं. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मऊगंज कलेक्टर पद से हटाए जाने के बाद सोनिया अपने पूर्व पद पर बनी रहेंगी.
कौन हैं सोनिया मीना?सोनिया मीना मध्यप्रदेश कैडर की चर्चित अफसर हैं. ताजा मामले से पहले भी कई बार इनका नाम सुर्खियों में आता रहा है.
सोनिया मीना मूलरूप से राजस्थान की रहने वाली हैं. साल 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में उन्हें 36वी रैंक हासिल हुई. उन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला. सोनिया मीना अलग-अलग पदों पर कई जिलों में रह चुकी हैं. सोनिया उमरिया की एडीएम और जिला पंचायत एग्जीक्यूटिव अफसर रह चुकी हैं. छतरपुर के राजनगर में एसडीएम और अनूपपुर जिले में कलेक्टर पद पर भी रहीं हैं. सोनिया की तैनाती मुरैना जिले में भी रही. छतरपुर और अनूपपुर में अपने कार्यकाल के दौरान वो लगातार सुर्खियों में रहीं. मीडिया में उन्हें ‘सख्त, कड़क और दबंग अफसर’ कहा जाता है.
साल 2017 में छतरपुर के राजनगर में हुई एक घटना के चलते सोनिया मीना पहली बार चर्चा में आईं. तब उन्होंने धड़ल्ले से अवैध खनन कर रहे माफियाओं पर कार्रवाई करते हुए हड़कंप मचा दिया था. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार 8 फरवरी 2017 को सोनिया मीना ने खनन माफिया अर्जुन सिंह बुंदेला के रेत भरे वाहनों को सीज़ कर दिया था. तब खनन माफिया ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. सोनिया मीना पर जानलेवा हमला भी हुआ था. अधिकारी ने इसे लेकर प्रशासन से अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की थी. प्रशासन ने सोनिया को अतिरिक्त सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.
इस इलाके में खनन माफियाओं का तंत्र बहुत मजबूत और जटिल बताया जाता है. मुरैना, शिवपुरी, छतरपुर, अनूपपुर सहित कई इलाकों में आए दिन पुलिस और वन विभाग के लोगों से खनन माफियाओं की मुठभेड़ होती रहती है. सोनिया ने इस संगठित खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने की हिम्मत दिखाई थी. ये बात इस तथ्य से और महत्वपूर्ण हो जाती है कि उनसे पहले मुरैना में तैनात रहे आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की खनन माफियाओं ने गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी थी.
नरेंद्र कुमार 2009 बैच के आईपीएस थे. उन्होंने भी खनन माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया था. 8 मार्च, 2012 को वो मुरैना जिले के बामौर कस्बे में रेत माफिया पर कार्रवाई करने गए थे. तब उन्हें रेत भरे वाहन से कुचल कर मार दिया गया था. मौत से ठीक 10 दिन पहले ही नरेंद्र कुमार ने रेत से भरे ट्रक जब्त किए थे.
अनूपपुर में कलेक्टर रहने के दौरान सोनिया मीना का एसपी अखिलेश कुमार के साथ विवाद भी काफी चर्चित रहा. उन्होंने एसपी पर कर्मचारियों को परेशान और मनमानी करने का आरोप लगाया था. उस समय जिला अभियोजन अधिकारी ने बताया था कि उन्हें जान का खतरा है. उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर सोनिया मीना से सुरक्षा की मांग की थी. उसके बाद अनूपपुर जिले से पहले कप्तान अखिलेश सिंह हटाए गए, फिर कलेक्टर सोनिया मीना को ट्रांसफर करके भोपाल भेज दिया गया.
सोशल मीडिया में पॉपुलरआईएएस सोनिया मीना सोशल मीडिया में सक्रिय रहती हैं. वो इंस्टाग्राम पर मोटिवेशनल वीडियोज पोस्ट करती हैं. ट्रैवेल और अपने काम से जुड़ी तस्वीरें शेयर करती हैं. सोनिया अपने स्टाइल के लिए भी सोशल मीडिया पर बहुत पॉपुलर हैं. उन्हें यूथ आइकॉन और लड़कियों के लिए प्रेरणा के तौर पर भी देखा जाता है. अब उनके नए जिले का कलेक्टर बनने के महज चार घंटे के भीतर पद से हटाए जाने पर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं.
(यह स्टोरी हमारे साथी अनुराग अनंत ने की है.)
नोट: अनूपपुर में कलेक्टर रहने के दौरान सोनिया मीना को नहीं, बल्कि तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी की जान को खतरा था और उन्होंने सोनिया मीना से सुरक्षा की मांग की थी. स्टोरी में जरूरी बदलाव किए गए हैं.
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