The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

'क्या हम पुतिन को युद्ध रोकने का आदेश दे सकते हैं', सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

यूक्रेन में फंसे बच्चों को निकालने से जुड़ी याचिका पर आई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी.

post-main-image
बाएं से दाएं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत का सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: एपी/पीटीआई)
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई थी. इसमें मांग की गई थी कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को राहत देने के लिए कोर्ट भारत सरकार को निर्देश दे. गुरुवार 3 मार्च को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने पूछा कि क्या कोर्ट रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध बंद करने के लिए कह सकता है? इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस ने पूछा,
"हम इस मामले में क्या कर सकते हैं? कल आप हमसे कहेंगे कि पुतिन को आदेश जारी करो. क्या हम युद्ध रोकने के लिए पुतिन को आदेश दे सकते हैं? हमारी पूरी चिंता और संवेदनाएं छात्रों के साथ हैं. भारत सरकार अपना काम कर रही है."
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका यूक्रेन में फंसे एक बच्चे के माता पिता ने डाली थी. याचिका में कहा गया था कि भारतीय छात्र मोलडोवा-रोमानिया बॉर्डर पर फंसे हुए हैं और भारत सरकार की तरफ से उनकी कोई सहायता नहीं की जा रही है. याचिका में ये भी कहा गया कि ये बच्चे वहां करीब 6 दिन से फंसे हैं और उन्हें रोमानिया जाने की मंजूरी नहीं मिल रही है. खबर के मुताबिक याचिका में आरोप लगाया गया है कि बॉर्डर पर फंसे छात्रों को भारतीय अधिकारियों से जवाब नहीं मिल रहा है कि उन्हें फ्लाइट मिलेगी या नहीं. ऐसे में मांग की गई कि यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने के लिए कोर्ट सरकार को प्रभावी कूटनीतिक कदम उठाने का आदेश दे. यूक्रेन में फंसे हुए छात्र के माता पिता ने अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट भारत सरकार से कहे कि वो फंसे हुए छात्रों को आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराए. इन सेवाओं में मेडिकल सहायता और रहने खाने की सेवाएं शामिल हैं. सरकार ने क्या कहा? संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार सुबह याचिका को चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली बेंच के सामने तुरंत सुनवाई के लिए पेश किया गया. सीनियर एडवोकेट एम डार ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलीलें पेश कीं. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से इस पूरे मामले को देखने को कहा. इधर सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि भारत सरकार ने अपने मंत्रियों को इन देशों में भेजा है ताकि वो पूरी प्रकिया पर नजर रख सकें और सुनिश्चित कर सकें कि एक बार छात्र जब यूक्रेन की सीमा को पार कर लें, तो उन्हें घर आने के लिए फ्लाइट मिल जाए.