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कुरान जलाने वाले Salwan Momika को कुरान जलाकर दी 'श्रद्धांजलि', कौन हैं Rasmus Paludan?

29 जनवरी को Salwan Momika को एक अपार्टमेंट में गोली मार दी गई थी. सलवान ने 2023 में एक मस्जिद के सामने कुरान की प्रतियां जलाई थीं, जिसको लेकर उनको काफी आलोचना हुई थी. अब Rasmus Paludan ने Quran जलाकर ही उन्हें 'श्रद्धांजलि' दी है.

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डेनमार्क में तुर्की दुतावास के बाहर कुराने की प्रतियां जलाने के बाद रामसस पोलुदीन ने वीडियो पोस्ट किया. (तस्वीर:'एक्स'/रामदास पोलुदीन)

सलवान मोमिका की हत्या के बाद अब डेनमार्क के रासमस पालुदन ने कुरान की प्रति जलाकर उन्हें ‘श्रद्धांजलि’ दी है. रामसस पालुदन डेनमार्क के दक्षिणपंथी नेता हैं और वो कुरान को जलाने के लिए दुनियाभर में ‘कुख्यात’ हैं. इससे पहले 29 जनवरी की रात को सलवान मोमिका को स्टॉकहोम के एक अपार्टमेंट में गोली मार दी गई. सलवान ने 2023 में एक मस्जिद के सामने कुरान की प्रतियां जलाई थीं, जिसको लेकर उनको काफी आलोचना हुई थी.

कुरान जलाने के बाद वीडियो किया पोस्ट

रामसस पालदुन ने 1 फरवरी, 2025 को डेनमार्क में तुर्की दूतावास के सामने कुरान की प्रति जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया. इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्ट किया. इसमें उन्होंने कहा,

“मैं कोपेनहेगन में तुर्की के दूतावास के सामने कुरान की कुछ प्रतियों के साथ खड़ा हूं. जैसा कि आप देख सकते हैं इनमें से एक प्रति को जला दिया गया है. यह सालवान मोमिका और उनकी इस्लाम की आलोचना के प्रति श्रद्धांजलि है. कल, कोपेनहेगन पुलिस ने मेरे विरोध प्रदर्शन को प्रतिबंध करने का फैसला किया था. लेकिन मुझे पुलिस को यह बताना था कि मैं प्रदर्शन कर रहा हूं. मुझे यह किताब जलाकर काफी मज़ा आया.”

पालुदन डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में तीन मस्जिदों के बाहर प्रदर्शन करना चाहते थे. यह प्रदर्शन इस्लाम के खिलाफ सलवान मोमिका की लड़ाई को याद करने के मद्देनज़र था. लेकिन डेनमार्क की सुरक्षा सर्विस (PET) ने उन्हें ऐसा करना से मना कर दिया. PET ने कहा कि वे पालदुन की सुरक्षा की जिम्मदारी नहीं उठा पाएंगे.

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कौन हैं रामसस पालदुन

डेनमार्क में 2 जनवरी, 1982 को पैदा हुए रामसस पालुदन इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं. 43 साल के पालुदन एक डेनिश-स्वीडिश दक्षिणपंथी नेता होने के अलावा वकील और एक्टिविस्ट भी हैं. उन्होंने साल 2017 में ‘स्टैम कुर्स’ नाम की एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी. हालांकि, उनकी पार्टी 2019 में डेनमार्क में हुए चुनावों में कुछ खास कमाल नहीं कर सकी. पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी.

पालदुन का विरोध केवल डेनमार्क तक सीमित नहीं है. प्रवासियों, खासकर मुसलमानों के निर्वासन की वकालत करने की उनकी मुहिम बेल्जियम और स्वीडन तक फैली है. इसलिए दोनों देशों ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी थी.

स्वीडन की एक जिला अदालत में नवंबर, 2024 में पालदुन को मुसलमानों के खिलाफ आंदोलन के लिए चार महीने जेल की सजा सुनाई गई थी. मानवीय सूचकांक की रैंकिंग में टॉप पर रहने वाले स्वीडन में इस तरह का यह पहला मामला था जिसमें किसी व्यक्ति को कुरान का अपमान करने के लिए सजा सुनाई गई.

रामसस पालुदन को साल 2020 में इसी तरह के आरोप में डेनमार्क में भी दोषी ठहराया गया था. इनकी हरकतों का आलम ये है कि डेनमार्क को सार्वजनिक रूप से कुरान जलाए जाने पर रोक लगाने के लिए दिसंबर 2023 में एक कानून बनाना पड़ा था. रामसस पालुदन को नस्लवाद टिप्पणियों, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कई आरोपों के तहत भी दोषी ठहराया जा चुका है.

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