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रांची हिंसा: अस्पताल में भर्ती युवक बोला, 'प्रदर्शन में नहीं था, 6 गोलियां लगीं, 4 निकाली गईं'

अफसर के परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर चार गोलियां तो निकाल दी हैं, लेकिन बाकी की दो गोलियों को तीन-चार दिन बाद निकाला जाएगा. परिजनों का भी कहना है कि अफसर प्रोटेस्ट में शामिल नहीं था.

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रांची हिंसा की फोटो. (फोटो: पीटीआई)

पैगंबर मोहम्मद पर पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के खिलाफ झारखंड की राजधानी रांची में 10 जून को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. इस दौरान  बेकाबू भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने फ़ायरिंग की. इस पूरे घटनाक्रम में 20 लोग घायल हो गए, वहीं दो की मौत हो गई. फिलहाल घायलों का इलाज रांची के राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज RIMS में इलाज चल रहा है. इधर खबर आई है कि प्रदर्शन के दौरान एक युवक को 6 गोलियां लगी थीं. चार गोलियां निकाल दी गई हैं. घायल का कहना है कि वो प्रदर्शन में शामिल भी नहीं था, फिर भी उसे गोली लगी है.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिस युवक को छह गोलियां लगी हैं उसका नाम अफसर है. अफसर का इलाज रिम्स में चल रहा है. उसने मीडिया को बताया,

''मैं सामान लेने के लिए मार्केट गया था. इस बीच भगदड़ हो गई. जब वापस आ रहे थे, तो गोली लग गई. हम प्रदर्शन में नहीं थे. सामान लेकर आ रहे थे. पुलिस फायरिंग कर रही थी और इधर से पत्थर चल रहे थे. वहां से निकलने की कोशिश की तो गोली लग गई. छह गोली लगी हैं, जिनमें से चार निकल गई हैं. दो अभी नहीं निकलीं. ''

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अफसर के परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर चार गोलियां तो निकाल दी हैं, लेकिन बाकी की दो गोलियों को तीन-चार दिन बाद निकाला जाएगा. परिजनों का भी कहना है कि अफसर प्रोटेस्ट में शामिल नहीं था. गोली लगने से घायल एक अन्य युवक तवारक का कहना है कि वो भी प्रदर्शन में शामिल नहीं था. तवारक ने बताया कि 

''मैं वहां से आ रहा था. भगदड़ हुई, तो हम भी दौड़ने लगे. इस बीच हमको भी गोली लग गई. उन्होंने बताया कि प्रदर्शन नहीं कर रहे थे, लोग दौड़े तो हम भी दौड़ने लगे.''  

दो की मौत 

वहीं रांची में प्रदर्शन के दौरान दो युवकों की गोली लगने से मौत हो गई है. मृतक साहिल के परिजनों का कहना है कि जहां हिंसा हुई, उसी के करीब साहिल काम करता था. वहीं घटनास्थल पर मौजूद मोहम्मद अमुर खुराजा का कहना है कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था. दंगे जैसा हालात नहीं थे. मंदिर के पास कुछ लोगों ने पथराव किया. इस पर मौजूद कुछ बच्चों ने भी पथराव किया. जिसके बाद भीड़ तितर-बितर हो गई. तभी प्रशासन ने बिना किसी चेतावनी के फायरिंग शुरू कर दी. वहीं दूसरा मृतक एक 16 साल का लड़का था, जो प्रोटेस्ट के दौरान नारे लगा रहा था, इसी दौरान उसे गोली लग गई थी. मृतकों के परिजनों की मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए. और साथ ही साथ उन्होंने सरकार से इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. इधर इस हिंसा की जांच के लिए SIT का गठन हो गया है. 

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