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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, क्या यूपी सरकार पाकिस्तान में उद्योगों को बैन करना चाहती है?

प्रदूषण पर यूपी सरकार के एक जवाब पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की है

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बाएं से दाएं. Pollution को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव करता नगर निगम कर्मचारी और सुप्रीम कोर्ट (फोटो: PTI)
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Air Pollution) को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन के फैसले को लागू करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने ये आदेश केंद्र और दिल्ली सरकार को दिए हैं. इससे एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद आयोग ने कई फैसले लिए थे. आज 03 दिसंबर को इन फैसलों के बारे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को जानकारी दी. लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि कमीशन ने 'इमरजेंसी टास्क फोर्स' और 'फ्लाइंग स्क्वाड्स' बनाने का फैसला लिया है. टास्क फोर्स का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि कमीशन के फैसले लागू किए जाएं. कोर्ट को यह भी बताया गया कि कमीशन ने उन उद्योंगों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है, जो PNG या फिर दूसरे साफ ईंधन का प्रयोग नहीं कर रहे हैं. ऐसे उद्योगों को सप्ताह के आखिर में बंद किया जाएगा. साथ ही साथ दिल्ली में प्रवेश की 124 जगहों पर टीम्स को तैनात किया गया है, ताकि राजधानी के अंदर CNG का प्रयोग ना करने वाले ट्रक ना घुस पाएं. 'पाकिस्तान से आ रहा प्रदूषण' कमीशन की तरफ से साफ ईंधन का प्रयोग ना करने वाले उद्योगों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने आपत्ति जताई. यूपी सरकार की तरफ से कहा गया कि इस प्रतिबंध से उत्तर प्रदेश के गन्ना और दूध से जुड़े उद्योगों पर बुरा असर पड़ेगा. यूपी सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि दिल्ली में ज्यादातर प्रदूषित हवा पाकिस्तान से आ रही है. इस दलील के जवाब में CJI एनवी रमना ने पूछा कि क्या यूपी सरकार पाकिस्तान में उद्योंगों पर प्रतिबंध लगाना चाहती है. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यूपी सरकार अपनी सारी चिंताएं एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन के सामने रख सकती है. दूसरी तरफ अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो हल्की बारिश के बाद भी दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना अभी भी दूभर है. दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता अभी भी 400 के ऊपर है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. हॉस्पिटल निर्माण जारी रहेगा इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हॉस्पिटल निर्माण जारी रहने देने की दिल्ली सरकार की याचिका पर भी विचार किया. इस याचिका को केंद्र सरकार का भी समर्थन मिला. अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा कि निर्माण कार्य पर बैन लगाने से हेल्थ सेंटर्स और अस्पतालों के निर्माण पर बुरा असर पड़ रहा है. दिल्ली सरकार की इस दलील के बाद कोर्ट ने हॉस्पिटल निर्माण जारी रखने की मंजूरी दे दी. इस संदर्भ में अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर भी आपत्ति जताई, जिनमें यह बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो वो सरकार चलाने के लिए किसी और को नियुक्त कर देगा. कोर्ट ने भी माना कि उसने ऐसी टिप्पणी कभी नहीं की और मीडिया को जिम्मेदार तरीके से रिपोर्टिंग करनी चाहिए. कोर्ट की तरफ से कहा गया कि मीडिया का एक हिस्सा उसे विलेन के तौर पर पेश करने की कोशिश करता है.