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प्रधानमंत्री की 3 गाड़ियों में ऐसा भी क्या है जो सड़क पर चलने की इजाज़त नहीं मिल रही?

SPG ने मांग की थी कि Prime Minister की सुरक्षा के लिए ये तीन गाड़ियां ज़रूरी हैं, इसीलिए उनके रजिस्ट्रेशन आगे बढ़ाए जाएं. लेकिन NGT ने ये मांग ठुकरा दी है.

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NGT ने SPG की मांग को ठुकरा दिया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर - आजतक)

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने तीन विशेष डीजल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन आगे बढ़ाने से साफ मना कर दिया है. ये विशेष गाड़ियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सुरक्षा में लगने वाली गाड़ियां थीं. इसके लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने अर्जी दाखिल की थी. मांग की थी कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए ये तीन गाड़ियां ज़रूरी हैं.

22 मार्च के अपने आदेश में NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. ए सेंथिल वेक की पीठ ने SPG की मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने अक्टूबर 2018 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें 10 साल से ज़्यादा पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली की सड़कों पर चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. बेंच का कहना था,

"हमें ये पता है कि ये तीन गाड़ियां विशेष उद्देश्य की गाड़िया हैं, जो सामान्य रूप से उपलब्ध नहीं हैं. हमें ये भी पता है कि ये गाड़ियां पिछले दस सालों में बहुत कम चली हैं और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के स्पेशल मकसद के लिए इनकी ज़रूरत है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का 29 अक्टूबर 2018 का आदेश है. इस आधार पर आपकी अर्जी को मंजूरी नहीं दी जा सकती. इसीलिए हमें इसे खारिज करना पड़ेगा."

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, SPG ने NGT से मांग की थी कि वो परिवहन विभाग, NCT दिल्ली/रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी को 3 विशेष बख्तरबंद वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय को पांच साल यानी 23 दिसंबर 2029 तक बढ़ाने की मंजूरी देने का निर्देश दें. SPG का तर्क था कि ये गाड़ियां तकनीकी लॉजिस्टिक्स का ज़रूरी और अभिन्न अंग हैं. ये तीन रेनॉल्ट एमडी -5 गाड़ियां 2013 में बनी थीं और दिसंबर 2014 में पंजीकृत हुई थीं. ये पिछले 9 सालों में क्रमशः लगभग 6000कि.मी., 9500कि.मी. और 15,000कि.मी. की दूरी तय कर चुकी हैं. उनका इस्तेमाल सिर्फ़ विशिष्ट सामरिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. अपनी दलीलों में SPG ने गाड़ियों के पंजीकरण बढ़ाए जाने की मांग के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की कुछ नोटिफिकेशंस का ज़िक्र किया था. इन नोटिफिकेशंस में विशेष मामलों में रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ छूट दी गई है.

हालांकि, NGT ने कहा कि सरकारी नोटिफिकेशंस सामान्य प्रकृति की थीं, जबकि डीज़ल वाहनों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश विशेष रूप से दिल्ली NCR के लिए था. बता दें, SPG ने परिवहन विभाग से तीनों गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन को आगे बढ़ाने के लिए 19 मई 2023 में मांग की थी. इसे रजिस्ट्रेशन ऑथोरिटी ने 6 जून 2023 को NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना बताते हुए मंजूरी देने से मना कर दिया था. SPG ने बताया कि ये गाड़ियां डिज़ाइन और तकनीकी/सामरिक खासियतों के मद्देनज़र जरूरी हैं और ये बाज़ार में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. NGT का ये मानना था कि ये SPG वाहन पुराने होने के कारण पुराने उत्सर्जन मानदंडों के आधार पर भारत स्टेज III के अनुरूप थे.

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क्या कहते हैं नियम

दिल्ली NCR में वाहनों के लिए नियम है कि 15 साल पुराने हो चुके पेट्रोल वाहन स्क्रैप हो जाएंगे और सड़कों पर नहीं चलेंगे. वहीं डीजल वाहनों के लिए ये नियम 10 साल के बाद से ही लागू होता है. दिल्ली NCR के 15 साल पुराने वाहनों की उम्र पूरी होने के बाद तीन विकल्प दिए गए थे. नियमों के मुताबिक या तो वाहन मालिक परिवहन विभाग से NOC लेकर अपने वाहन को अन्य राज्यों में पंजीकृत करा लें. या इन वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलवा लें. या फिर इन्हें स्क्रैप करा लें.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़, दिसंबर 2029 तक 15 साल के समय के लिए पंजीकृत इन वाहनों को दिसंबर 2024 में 10 साल पूरे होने पर अपंजीकृत कर दिया जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश से पहले NGT ने ख़ुद अप्रैल 2015 में एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में 10 साल से ज़्यादा पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली NCR की सड़कों पर चलने पर रोक लगा दी थी. इसने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को 10 साल से ज़्यादा पुराने किसी भी डीजल वाहन का पंजीकरण नहीं करने का आदेश दिया था. एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली NCR में वायु गुणवत्ता में सुधार के उपायों के रूप में ये आदेश जारी किए थे.

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