'इस प्रोडक्ट की जांच कोलकाता की सेंट्रल फूड लेबोरेटरी में की गई. जांच में उसे इस्तेमाल के लिए सही नहीं पाया गया. पतंजलि ने आर्मी की सभी कैंटीनों से आंवला जूस को वापस ले लिया है.'कोलकाता की रेफरल गवर्नमेंट लेबोरेटरी वही लैब है, जिसने दो साल पहले मैगी नूडल्स में गड़बड़ी की बात कही थी. इस लैब ने घोषणा की थी कि उसने नेस्ले मैगी नूडल्स के सैंपल्स में लेड की मात्रा लिमिट से ज्यादा पाई. जिसका नतीजा ये हुआ था कि नेस्ले को पूरे भारत से मैगी ब्रैंड को वापस लेना पड़ा था. कंपनी ने फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के ऑर्डर की न्यायिक समीक्षा के लिए कानूनी याचिका दायर की थी. इससे पहले भी पतंजलि आयुर्वेद अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी को लेकर चर्चा में रह चुका है. इससे पहले बिना लाइसेंस के नूडल्स और पास्ता बेचने के लिए रेग्युलेटर्स के साथ विवादों में घिरी है. 16 अगस्त साल 2012 में उत्तराखंड के फ़ूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने एक पतंजलि के आउटलेट पर छापा मारकर सरसों तेल, नमक, बेसन, शहद, काली मिर्च और पाइन एप्पल जैम के सैंपल भरे थे. इनको उत्तराखंड की राजकीय प्रयोगशाला में जांच को भेजा था. इसमें सभी उत्पादों में 'मिस-ब्रांडिंग' और 'मिस-लीडिंग' का दोषी पाया गया था, यानि उत्पादों के लेवल पर किए गए दावे झूठे और भ्रामक बताए गए थे. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पतंजलि का कहना था कि जिन प्रोडक्ट की जांच हुई वो प्रोडक्ट पतंजलि के हैं ही नहीं. पिछले साल भी एफएसएसएआई ने सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वह पतंजलि को उसके खाद्य तेल ब्रैंड के एड को लेकर 'कारण बताओ' नोटिस जारी करे. उस विज्ञापन पर गुमराह करने वाली जानकारी देने का इल्ज़ाम था.
कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट
सीएसडी की शुरुआत 1948 में की गई थी. इसका मैनेजमेंट रक्षा मंत्रालय संभालता है. इसके तहत 3901 कैंटीन और 34 डिपो हैं. इसके रिटेल आउटलेट्स में 5300 प्रॉडक्ट्स बेचे जाते हैं, जिनमें बिस्किट्स से लेकर बीयर, शैंपू और कार तक शामिल हैं. इस कैंटीन के करीब 1.2 करोड़ कस्टमर हैं. इन कस्टमर में आर्मी, नेवी, एयरफोर्स के लोग और उनकी फैमिली के अलावा एक्स-सर्विसमेन और उनकी फैमिली शामिल हैं.ये भी पढ़िए :



















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