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3 साल में 35 हजार स्टूडेंट्स ने की सुसाइड, जातिगत भेदभाव वाला आंकड़ा क्यों नहीं बता पाई सरकार?

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री अब्बैया नारायणस्वामी से सवाल पूछा गया कि जातिगत भेदभाव की वजह से कितने SC-ST छात्रों ने आत्महत्या की?

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इसी साल की फरवरी में IIT-बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की कथित आत्महत्या के बाद विरोध प्रदर्शन हुए थे. (सांकेतिक फ़ोटो - सोशल मीडिया)

2019 और 2021 के बीच भारत में 35,000 से ज़्यादा छात्रों ने आत्महत्या की है. आंकड़ों के मुताबिक़, 
- 2019 में 10,335 केस, 
- 2020 में 12,526 केस
- और, 2021 में 13,089.

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जातिगत आत्महत्याओं पर क्या आंकड़ा?

मंगलवार, 5 दिसंबर को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री अब्बैया नारायणस्वामी से लोकसभा में सवाल पूछा गया कि जातिगत भेदभाव की वजह से कितने SC-ST छात्रों ने आत्महत्या की? मंत्री ने लिखित जवाब में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का डेटा शेयर किया, जहां ये 35,000 वाली संख्या सामने आई. 

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SC-ST छात्रों का अलग से क्या आंकड़ा है, इस पर मंत्री ने कहा,

"देश में सामाजिक भेदभाव की वजह से आत्महत्या की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है."

हालांकि, मंत्री अब्बैया नारायणस्वामी ने बताया कि सामाजिक भेदभाव से निपटने के लिए शिक्षा विभाग ने संस्थाओं में काउंसलिंग सेल, SC/ST सेल, समान अवसर मुहैया कराने वाला सेल और छात्र शिकायत समिति जैसे अलग-अलग डिपार्टमेंट स्थापित किए हैं.

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अनुसूचित जातियों-जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराधों को SC-ST ऐक्ट, 1989 के तहत केस दर्ज किया जाता है. ये अधिनियम SC-ST समुदाय के ख़िलाफ़ अत्याचारों पर प्रतिबंध लगाता है. इसमें हेट क्राइम, हमले या अपमान के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं.

NCRB की 'क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट, 2022' के मुताबिक़, 2022 में SC समुदाय के ख़िलाफ़ कुल 57,582 मामले दर्ज किए गए हैं. और, अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराध के कुल 10,064 मामले दर्ज किए गए हैं. ये दोनों ही 2021 की तुलना में 13-14 फ़ीसदी ज़्यादा है. हालांकि, अलग-अलग प्रावधानों के ब्लैंकेट की वजह से ये साफ़ नहीं है कि जाति के ख़िलाफ़ जो अपराध हो रहे हैं, वो कौन से अपराध हैं? क्योंकि NCRB ऐसे डेटा रजिस्टर ही नहीं करता कि जातिगत भेदभाव की वजह से कितने लोगों ने सुसाइड किया? 

सूसाइड का आंकड़ा अलग से निकालना जटिल काम है. लेकिन राज्य के पास खांचे-वार आंकड़े होते हैं. राज्य अलग से इसकी जानकारी निकाल भी सकता है और दे भी सकता है. 

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NCRB के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2021 की तुलना में 2022 में महिलाओं के ख़िलाफ़, SC-ST के ख़िलाफ़, बच्चों के ख़िलाफ़, साइबर क्राइम और राज्य के ख़िलाफ़ अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. क्राइम की ये सालाना रिपोर्ट और ADSI यानी ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड रिपोर्ट’, बीते दिन चार राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद जारी हुई हैं. जबकि साल 2022 में क्राइम रिपोर्ट अगस्त में ही पब्लिश हो गई थी.

छात्र आत्महत्याओं से इतर आत्महत्याओं की संख्या भी बढ़ी है. साल 2021 में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की थी. इसकी तुलना में साल 2022 में ये संख्या 1,70,924 हो गई. इसी तरह साल 2021 में एक्सीडेंटल डेथ्स यानी हादसों में होने वाली आकस्मिक मौतों का आंकड़ा 3,97,530 था, जो साल 2022 में बढ़कर 4,30,504 हो गया.

सनद रहे! ये संख्या केवल संख्या नहीं, ज़िंदा सांस लेते लोग थे. जो अब नहीं हैं.

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