नटराजन चंद्रशेखरन. (फाइल फोटो: पीटीआई)
टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को एयर इंडिया का अगला चेयरमैन नियुक्त किया गया है. कंपनी के बोर्ड ने सोमवार, 14 मार्च को चंद्रशेखरन की नियुक्ति को मंजूरी दे दी. हालांकि अभी तक एयर इंडिया के सीईओ को ढूंढा नहीं जा सका है. टाटा सन्स की देश में 100 से अधिक फर्म चल रही हैं. एन चंद्रशेखरन साल 2016 में इसके बोर्ड में शामिल हुए थे. जनवरी 2017 में वो इसके अध्यक्ष बने थे. तब से वो ही ये पद संभाल रहे हैं. हाल ही में बोर्ड ने उन्हें अगले 5 सालों के लिए भी कंपनी को लीड करने का जिम्मा सौंपा था.
कौन हैं एन चंद्रशेखरन?
1963 में तमिलनाडु के मोहानुर में जन्मे एन चंद्रशेखरन भारतीय उद्योग जगत का एक बड़ा नाम हैं. उन्होंने तमिलनाडु के त्रिची स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर्स किया है. एन चंद्रशेखरन और टाटा ग्रुप का रिश्ता बहुत पुराना है. उन्होंने 1987 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जॉइन कर ली थी. तब से ही कंपनी से जुड़े हुए हैं. एन चंद्रेशखरन टाटा सन्स के अलावा टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टीसीएस सहित ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड के भी अध्यक्ष हैं. इनमें से कइयों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुके हैं. टीसीएस में करीब 30 सालों के करियर के बाद उन्हें चेयरमैन बनाया गया था. ये भी बता दें कि चंद्रशेखरन पहले गैर-पारसी व्यक्ति हैं, जो टाटा ग्रुप का नेतृत्व कर रहे हैं. टाटा में काम करने के अलावा एन चंद्रशेखरन भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड में एक निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं. उन्होंने 2015-16 में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के लिए काम किया है. उससे पहले 2012-13 में उन्होंने NASSCOM के अध्यक्ष के रूप में काम किया था. भारत के द्विपक्षीय व्यापार मंचों पर भी चंद्रशेखरन की सक्रिय भूमिका रही है. वे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं.
आइची क्यों नहीं बने थे सीईओ?
इससे पहले तुर्की के एविएशन एक्सपर्ट इल्कर आइची (Ilker Ayci) को एयर इंडिया का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनाने की बात चल रही थी. कुछ समय पहले आई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि आइची को एयर इंडिया का सीईओ नियुक्त कर दिया गया है. खुद आइची ने ट्विटर पर इसकी खुशी जताई थी. लेकिन बाद में उन्होंने ये जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था. आइची की तरफ से कहा गया कि भारतीय मीडिया की कुछ रिपोर्टों में उनकी नियुक्ति को गलत रंग दिया गया, जिसके कारण उन्हें ये फैसला लेना पड़ा. उन्होंने एक बयान में कहा था,
'इस घोषणा के बाद मैं भारतीय मीडिया के एक धड़े द्वारा मेरी नियुक्ति को गैर-जरूरी रंग देने की कोशिश वाली खबरों को ध्यान से देख रहा था. मेरे लिए परिवार की खुशी सर्वोपरि है. इसलिए मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि इस तरह की खबरों के बीच मेरे लिए ये पद स्वीकारना संभव नहीं होगा.'
इसी साल टाटा को वापस मिली थी एयर इंडिया
एयर इंडिया की शुरुआत टाटा समूह ने ही की थी. लेकिन बाद में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था. साल 2007-08 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से ही एयर इंडिया घाटे में चल रही थी. बिकने से ठीक पहले तक उस पर 61 हजार 562 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका था. सरकार इसे बेचने की पहले भी कई कोशिशें कर चुकी थी. लेकिन आखिरकार पिछले साल बात बनी. भारत सरकार ने 25 अक्टूबर 2021 को 18 हजार करोड़ रुपये में एयर इंडिया की बिक्री के लिए टाटा सन्स के साथ एक समझौता किया. डील में कहा गया था कि टाटा सरकार को 2700 करोड़ रुपये नकद देगी और एयरलाइंस पर बकाया 15 हजार 300 करोड़ रुपये के कर्ज की देनदारी भी स्वीकार करेगी. इसी साल 26 जनवरी को एयर इंडिया आधिकारिक तौर पर टाटा सन्स के हवाले कर दी गई.