उत्तर प्रदेश के मेरठ में कुछ दिन पहले एक मेडिकल कॉलेज में फर्जी सर्टिफिकेट से जुड़े फ्रॉड का भंडाफोड़ हुआ था (UP Fake Certificate Admission). आरोप लगे कि कुछ छात्रों ने अल्पसंख्यक कोटे के तहत आरक्षित सीटों पर फर्जी सर्टिफिकेट दिखाकर एंट्री लेने की कोशिश की. अब छात्रों का एडमिशन रद्द किया गया है. खबर है कि मामला सामने आने के बाद कुछ छात्र खुद ही सीट छोड़कर भाग गए.
डॉक्टर बनने के लिए धर्म बदल दिया, पकड़े जाने पर आठ के एडमिशन रद्द, बाकी कॉलेज छोड़कर भाग गए
Meerut UP: एक यूनिवर्सिटी में मामला सामने आने के बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले अल्पसंख्यक छात्रों के सर्टिफिकेट की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं.

आजतक से जुड़े संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला सुभारती यूनिवर्सिटी का है. यहां काउंसलिंग के पहले चरण में अल्पसंख्यक कोटे के तहत बौद्ध धर्म के छात्रों के लिए 22 सीटें आरक्षित की गई हैं. पिछले हफ्ते खबर आई कि इन 22 सीटों में से कथित तौर 20 पर छात्रों ने फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर MBBS के कोर्स में एडमिशन के लिए अप्लाई किया.
मामला सामने आने पर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले अल्पसंख्यक छात्रों के सर्टिफिकेट की जांच के आदेश दिए गए. चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक किंजल सिंह ने कहा था कि जांच में जिन अभ्यर्थियों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया जाएगा, उनका एडमिशन निरस्त कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
अब चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जांच के बाद MBBS में एडमिश पाने वाले 8 छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया है. इसके अलावा नौ छात्रों ने अपनी सीट छोड़ दी और एडमिशन लिया ही नहीं. फर्जी सर्टिफेकेट लगाने वाले बाकी तीन छात्र काउंसलिंग राउंड से आगे नहीं बढ़ सके.
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पिछले दिनों पूर्व IAS पूजा खेडकर का फर्जी जाति और विकलांगता सर्टिफिकेट देकर नौकरी पाने से जुड़ा मामला खूब चर्चा में रहा था. फिर अगस्त में एक RTI में पता चला कि नौ सालों में सरकार को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने की 1,084 शिकायतें मिली हैं. ये आंकड़ें साल 2019 तक के हैं. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के रिकॉर्ड के मुताबिक, इनमें से 92 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.
फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में रेलवे ने सबसे ज्यादा 349 शिकायतें दर्ज की हैं. वहीं डाक विभाग ने 259, शिपिंग मंत्रालय ने 202 और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 138 शिकायतें दर्ज कीं. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इनमें से कई मामले अलग-अलग अदालतों में भी लंबित हैं.
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