खैर ये तो हुई पिच्चर की कहानी. पर इंडिया में एक आदमी बिना किसी गृहयुद्ध के छिड़े या फिल्मी शूटिंग से इतर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर करीब 10 दिन रहा, एकदम छिपकर. इसे हमारी सिक्योरिटी की मजबूती की मिसाल ही कहेंगे कि ये बात जनवरी की है. तब, जब सारे देश में 26 जनवरी के चलते हाई सिक्योरिटी लगी रहती है. IGI एयरपोर्ट तो और भी ज्यादा सुरक्षा के घेरे में होता है.एनबीटी की खबर के मुताबिक, अब्दुल्ला नाम का एक 25 साल का लड़का फर्जी टिकट के जरिए एयरपोर्ट के भीतर घुस गया. लड़का हैदराबाद का रहने वाला है. और गुड़गांव (गुरुग्राम) की एक कंपनी में जॉब करता है. उसके मां-बाप UAE में रहते हैं. मजे से ये लड़का टर्मिनल-3 में छिपा रहा. और 10 दिन वहीं गुजार दिए. इस बारे में किसी को पता भी नहीं चलता, अगर उसने एक गलती न की होती. दरअसल हुआ यूं कि उसने 10वें दिन UAE जाने के लिए एक टिकट काउंटर पर थोड़ी पूछताछ कर ली. इस दौरान एयरलाइंस काउंटर पर बैठे स्टाफ को उसके ऊपर शक हो गया. उन्होंने CISF के सुरक्षाकर्मियों को तुरंत इसके बारे में बताया. उनके भी होश उड़ गए. फटाफट इन्फॉर्म किया गया दिल्ली पुलिस, आईबी, स्पेशल सेल और होम मिनिस्ट्री सबको. किसी के पास इस बंदे की कोई जानकारी नहीं थी. सुरक्षा अधिकारियों ने बंदे को पकड़ा. IGI थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट हुई. बाद में अब्दुल्ला जमानत पर छोड़ दिया गया. दिल्ली पुलिस के अफसरों के मुताबिक, आईबी और स्पेशल सेल सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर अब्दुल्ला से पूछताछ की. पर ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा, जिससे लगता हो कि अब्दुल्ला किसी आतंकवादी संगठन से जुड़ा हुआ है और वहां रेकी कर रहा था. पर अब भी नहीं पता नहीं चल सका है कि आखिर वो 10 दिन वहां रहा क्यों. सुरक्षा एजेंसियों ने इस बारे में बताने से इंकार किया. फिर से कोई नकली टिकट लेके न घुस जाए, इसलिए अब सिस्टम इम्प्रूव करने की कोशिश की जा रही है.
10 दिन दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर छिपा रहा ये बंदा
ये बात उस दौरान की है, जब इंडिया में सबसे ज्यादा सिक्योरिटी टाइट रहती है.
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फोटो - thelallantop
एक हॉलीवुड फिल्म आई थी. नाम था 'द टर्मिनल'. फिल्म में एक आदमी था विक्टर नावोर्सकी, जो एक छोटे से देश से अमेरिका आया था. ऐसा देश जिसका किसी ने नाम भी नहीं सुना था. अमेरिका पहुंचते ही उसके देश में गृहयुद्ध छिड़ जाता है. जिसकी वजह से उसका वीजा कैंसिल कर दिया जाता है. विक्टर को अमेरिका में घुसने नहीं दिया जाता है. गृह युद्ध की वजह से उसके देश के लिए अमेरिका से फ्लाइट भी नहीं जा रही है. और इसी वजह से उसे डिपोर्ट (वापस भेजना) भी नहीं किया जा सकता. वो आदमी एयरपोर्ट पर ही रहना शुरू कर देता है. वहीं खाता-पीता है, वहीं सोता है. एयरपोर्ट के अधिकारी उससे परेशान हैं. वो चाहते हैं कि किसी तरह से वो एयरपोर्ट से भागने की कोशिश करे, ताकि उसे पकड़कर जेल में डाला जा सके. पर वो ऐसा कुछ नहीं करता. पूरे आराम के साथ वो टर्मिनल पर रहता है. टर्मिनल को ही अपना घर बना लेता है, और टर्मिनल के कर्मचारियों के साथ फैमिली मेंबर्स की तरह ट्रीट करने लगता है.
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