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RTI कार्यकर्ता ने जानकारी मांगी तो मिला 40 हजार पेज का जवाब, कागज से पूरी गाड़ी भर गई

RTI फाइल करने वाले व्यक्ति के 80,000 रुपये बच गए!

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सरकार को चूना भी लग गया! (फोटो - स्पेशल अरेंजमेंट)

मध्य प्रदेश के इंदौर से आई इस ख़बर को पढ़कर आप सिर तो पकड़ ही लेंगे. यहां एक RTI कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत सरकार से जवाब मांगा. जवाब ऐसा मिला कि गाड़ी प्रशासन से मिले कागज़ों से भर गई. और वो भी कोई छोटी-मोटी गाड़ी नहीं, पूरी एसयूवी. जवाब में प्रशासन से उन्हें 40 हज़ार पन्नों का जवाब मिला है. दिलचस्प ये भी है कि इस जवाब के लिए उस शख्स को एक भी पैसा चुकाना नहीं पड़ा.

आमतौर पर ऐसे जवाबों के लिए आवेदनकर्ता को सरकार को हर पन्ने के लिए 2 रुपये देने पड़ते हैं. पर ऐसा सिर्फ तब होता है जब जवाब 30 दिन के अंदर मिल जाए. सरकार की तरफ से एक्टिविस्ट धर्मेंद्र शुक्ला को जवाब मिलने में देर हुई और इस वजह से उन्हें पैसे भी नहीं चुकाने पड़े.

क्या था सवाल?

धर्मेंद्र शुक्ला ने दी लल्लनटॉप से बात करते हुए बताया कि उन्होंने लगभग तीन महीने पहले RTI के जरिए इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के पास एक आरटीआई आवेदन दायर किया था. धर्मेंद्र बताते हैं,  

“मैंने कोरोना काल के दौरान दवाओं, चिकित्सकीय उपकरणों और अन्य सामग्री की खरीद से संबंधित निविदाओं और बिल भुगतान का विवरण मांगा था. मैंने कोरोना काल में खरीदी गई हर सामग्री, हर टेंडर, कितनी मात्रा में क्या खरीदा गया, कैशबुक से जुड़ी जानकारियां, बिल्स और वाउचर, सब कुछ मांगा था.”

धर्मेंद्र ने आगे कहा कि उन्हें एक महीने के अंदर ये जानकारी नहीं मिली. इसलिए उन्होंने प्रथम अपीलीय अधिकारी डॉ. शरद गुप्ता से संपर्क किया. धर्मेंद्र ने बताया,

“डॉ. शरद गुप्ता ने मेरी अर्जी स्वीकार कर ली. उन्होंने निर्देश दिया कि मुझे सूचना नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए.”

धर्मेंद्र को आरटीआई का जवाब गुरुवार, 27 जुलाई को मिला था. ये लेने वो अपनी गाड़ी लेकर गए, जो पूरी तरह से भर गई थी. धर्मेंद्र बताते हैं कि कि उनकी पूरी SUV दस्तावेजों से भर गई थी. सिर्फ ड्राइवर की कुर्सी खाली थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपीलीय अधिकारी और राज्य स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक डॉ. शरद गुप्ता ने भी इस बात की पुष्टि की है. गुप्ता ने आगे CMHO को उन कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिनके कारण समय पर जानकारी नहीं दी गई. इससे सरकारी खजाने को करीब 80 हजार रुपये का नुकसान हुआ है.

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