महाराष्ट्र सरकार, सीएम उद्धव ठाकरे, शिवसेना और महा विकास अघाडी को हिला कर रख देने वाले एकनाथ शिंदे के लिए पहली बार झटका देने वाली खबर आई है. महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल (Narhari Zirwal) ने एकनाथ शिंदे खेमे से मिले संकल्प पत्र की सच्चाई जांचने की बात कही है. उन्होंने लेटर में कुछ विधायकों के हस्ताक्षर पर संशय जताया है. एकनाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर को 34 विधायकों का साइन किया हुआ लेटर भेजा था. लेकिन नरहरि ज़िरवाल का कहना है कि शिंदे के खेमे में विधायकों की संख्या निश्चित नहीं है.
महाराष्ट्र: पहली बार एकनाथ शिंदे को झटका, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने इरादे साफ कर दिए
एकनाथ शिंदे खेमे से मिले संकल्प पत्र की सच्चाई पर अहम बात बोल गए महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल.


इंडिया टुडे के ऋत्विक भालेकर की रिपोर्ट के मुताबिक डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल का कहना है,
मुझे इस पत्र की प्रामाणिकता की जांच करने की ज़रूरत है, भले ही वो सच हो.
ज़िरवाल ने आगे कहा,
विधायक नितिन देशमुख का दावा है कि वे अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं, लेकिन संकल्प पत्र पर उनके हस्ताक्षर मराठी में हैं. पत्र में दावा किया गया है कि वहां मौजूद सभी विधायकों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. हालांकि विधायक नितिन देशमुख का दावा है कि उनके हस्ताक्षर नहीं हैं. इसलिए, मुझे इस बात की जांच करने की जरूरत है कि क्या दूसरे विधायकों का भी यही पक्ष है.
डिप्टी स्पीकर ने कहा है कि इस पूरे मामले में आगे जो भी कदम उठाया जाएगा, वो कानून के मुताबिक होगा. इस पर एक दो दिन में फैसला हो जाएगा.
वहीं विधायकों को शिंदे का समर्थन करने के लिए मजबूर किए जाने की अटकलों पर डिप्टी स्पीकर ने कहा,
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विधायकों को गुवाहाटी में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय थानों में शिकायतें हैं, जिनकी जांच की जाएगी.
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर संकट के बादल छाए हैं. महा विकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके एकनाथ शिंदे ने अब 40 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नरम पड़ते दिख रहे हैं. उनके नेता संजय राउत ने यहां तक कह दिया कि अगर सभी विधायक कहेंगे तो MVA (महा विकास अघाडी) से अलग होने पर भी विचार किया जा सकता है. उद्धव ठाकरे भी कह चुके हैं कि वो पद छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले जो बागी हुए हैं, वो सामने आकर बात करें.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक बागी विधायकों का क्या करना है, ये तय करना स्पीकर का काम होता है. हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर के पद पर कोई नेता नहीं है, जिसके चलते सारा कार्यभार डिप्टी स्पीकर के कंधों पर है. बागी विधायक दल-बदल कानून के तहत आते हैं. उनकी दलीलें स्वीकार करना या ठुकराते हुए अपने विवेक से निर्णय लेते हुए उनकी योग्यता-अयोग्यता पर फैसला लेना अब डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी होगी. बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल एनसीपी के हैं.












.webp)



.webp)




.webp)
