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शिवराज सिंह चौहान के पौधों को पानी देने के इस तरीके पर जनता वारी गई!

मामा ट्रोल हो गए.

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इन फोटोज़ पर शिवराज सिंह चौहान ट्रोल हो रहे हैं. (फोटो- ट्विटर, शिवराज इंस्टाग्राम)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 सितंबर को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो डाली. फोटो में वे पौधरोपण कर रहे थे. कैप्शन दिया –
“भोपाल के स्मार्ट पार्क में आज अशोक का पौधा लगाया. जीवन का आधार हैं वृक्ष, पृथ्वी का श्रृंगार हैं वृक्ष. प्राण वायु दे रहें हैं हम सभी को, ऐसे परम उदार हैं वृक्ष. आइये, वर्तमान और भावी पीढ़ियों के स्वस्थ, श्रेष्ठ और मंगलमय जीवन के लिए पौधरोपण करें. #OnePlantADay
नेक काम है. CM रोज एक पौधा लगाने की बात कर रहे हैं. खुद भी लगा रहे हैं. लेकिन फिर भी सोशल मीडिया की जनता मौज लेने की कोई न कोई वजह निकाल लाती है. शिवराज को भी ट्रोल कर दिया गया. क्यों? पौधा लगाने के तरीके पर. दरअसल शिवराज ने इंस्टाग्राम पर जो फोटो अपलोड की, उसमें वो पौधा लगा रहे हैं और पीछे उनके बॉडीगार्ड शिवराज के सिर पर छाता लगाए खड़े हैं. छाते की आड़ में पौधा भी आ रहा था. अब जनता कहने लगी कि जब पौधा लगा ही रहे हैं, तो बारिश का पानी भी उस पर गिरने दीजिए.
खेमचंद्र पटेल नाम के यूज़र ने लिखा -
"शर्म करो नेता जी. छाता लगाकर पेड़ लगा रहे हो."
पहले तो हम खेमचंद्र जी को करेक्ट करना चाहेंगे कि गुरुजी सिखा गए हैं कि पेड़ नहीं लगाया जाता, पौधा लगाया जाता है. ख़ैर, एक अन्य यूज़र वर्षा चौधरी ने लिखा -
"सोचिए किसान कैसे करता होगा. धूप में, सर्दी में."
शैलेंद्र सिंह ने लिखा -
"आपके जूते ख़राब हो जाएंगे."
शिवराज के जूतों को लेकर और भी कॉमेंट्स आए. क्योंकि बाकी जगह तो मिट्टी थी, लेकिन जहां शिवराज खड़े होकर पौधा लगा रहे थे, वहां मार्बल्स रखे हुए थे.
ट्विटर पर तो एक फोटो चल रही है, जिसमें छाते के नीचे शिवराज पौधे को पानी दे रहे हैं. बताने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए कि यहां भी जनता ने मौज ली और कहा कि बारिश में पौधों को पानी कौन देता है भई. एक यूज़र ने इसे अंदाज अपना-अपना बताया और लिखा कि वो समझ नहीं पा रहे कि हो क्या रहा है. एक यूज़र ने लिखा कि शिवराज जैसा CM नहीं देखा, जो बारिश में भी पौधों को पानी देता है. एक यूज़र ने लिखा कि मामा ये कुछ ज़्यादा हो गया. ख़ैर, मजाक-मस्ती अपनी जगह लेकिन पौधे लगाने, लगवाने का जो काम शिवराज कर रहे हैं, वो बढ़िया है. पौधे लगाना अच्छा काम भी है और नितांत ज़रूरी भी.