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उत्तराखंड में जमीन धंस रही, दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें, सड़कों पर उतरे लोग

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक साल में जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं काफी बढ़ी हैं.

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जमीन धंसने और दीवारों पर दरारें आने से जोशीमठ के लोग परेशान हैं (फोटो: आजतक)

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले का जोशीमठ. यहां शनिवार, 24 दिसंबर को लोग सड़कों पर उतर आए. क्यों? क्योंकि जोशीमठ (Joshimath) के कई इलाकों में लोगों के मकान जमीन के अंदर धंस रहे हैं. दीवारों पर दरारें आ रही हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा कई दिनों से हो रहा है. 

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दीवारों पर दरारें, क्या ये खतरे की आहट है?

आजतक के कमल नयन सिलोड़ी की रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ में 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. हर दिन जोशीमठ के अलग-अलग वार्डों से घरों में दरार की खबर मिलती है. लोग डरे हुए हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता हो रही है.

लोगों का कहना है कि यहां बनने वाली तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना (Tapovan Vishnugad Hydropower Project) की टनल यानी सुरंग के कारण जोशीमठ में जमीन धंस रही है. नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पवार का कहना है कि आज तक एक पटवारी भी यहां निरीक्षण के लिए नहीं पहुंचा है. सरकार और प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जाने के कारण लोग अब विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 

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जमीन धंसने की घटनाओं को लेकर 24 दिसंबर को जोशीमठ में हजारों लोगों ने एक बड़ी जन आक्रोश रैली निकाली. इस दौरान जोशीमठ के व्यापार मंडल ने बताया कि नगर की 800 से अधिक दुकानें पूरी तरह बंद रहीं. 

विधायक बोले- 'नया मास्टर प्लान तैयार करना होगा'

जन आक्रोश रैली बद्रीनाथ स्टैंड से थाना जोशीमठ होते हुए तहसील परिसर पहुंचा. यहां एक जनसभा हुई. इसमें बद्रीनाथ सीट से विधायक राजेंद्र भंडारी भी शामिल हुए. लोगों की समस्या को देखते हुए उन्होंने आगामी विधानसभा सत्र में जोशीमठ की समस्या को रखने की बात कही. 

विधायक ने माना कि जोशीमठ खतरे की जद में है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ की सुरक्षा के लिए सरकार को जल्दी से जल्दी कोई एक्शन लेना होगा, नहीं तो यहां बहुत बड़ी जन और धन की हानि होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि सरकार को नया मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए ताकि जोशीमठ को बचाया जा सके.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक साल में जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं काफी बढ़ी हैं. कितने ही मकान ढह चुके हैं. लोगों की मांग है कि इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. इसकी एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए.

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