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केरल की पहली विधानसभा की सदस्य रहीं केआर गौरी अम्मा का निधन

गौरी अम्मा को क्रांतिकारी कृषि संबंध विधेयक लाने का भी श्रेय दिया जाता है.

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गौरी अम्मा (फाइल फोटो)
केरल की सबसे पुरानी वामपंथी नेता गौरी अम्मा (K. R. Gouri Amma) का निधन हो गया है. वे 102 साल की थीं. गौरी अम्मा लंबे समय से बीमार थीं. अस्पताल में इलाज के दौरान 11 मई को उन्होंने अंतिम सांस ली. वे साल 1957 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ईं. एम. एस. नंबूदरीपाद के नेतृत्व वाली पहली कम्युनिस्ट सरकार की सदस्य रहीं थीं. उन्हें केरल की सबसे शक्तिशाली महिला नेताओं में से एक माना जाता है. गौरी अम्मा पहली केरल विधानसभा की एकमात्र जीवित सदस्य भी थीं. अपने आठ दशक के लंबे पॉलिटिकल करियर में गौरी ने राज्य के विकास के लिए बहुत योगदान दिया. उन्होंने अपने दल जनाधिपत्य संरक्षण समिति यानी जेएसएस का गठन किया था. ये राज्य में कांग्रेस नीत यूडीएफ का घटक बना. गौरी का विवाह टी वी थॉमस से हुआ था. जो उनके कैबिनेट सहयोगी भी रहे थे. थॉमस का निधन 1977 में हो गया. क्रांतिकारी कृषि विधायक के लिए जाना जाता था नंबूदरीपाद मंत्रालय में राजस्व मंत्री रहीं गौरी अम्मा को क्रांतिकारी कृषि संबंध विधेयक लाने का भी श्रेय दिया जाता है. इस विधेयक के तहत किसी परिवार के पास ज़मीन की सीमा तय की गई है. इसी विधेयक के कारण अतिरिक्त जमीन पर अपना दावा पेश करने का भूमिरहित किसानों के लिए मार्ग प्रशस्त हो सका. 1964 में कम्यूनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद गौरी माकपा (सीपीआई-एम) में शामिल हो गईं. मगर उनके पति थॉमस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में रहे. उम्र नहीं आई आड़े जब गौरी ने सीपीआई (एम) पार्टी को छोड़ा तो उनकी उम्र 76 साल की थी. मगर उनकी उम्र कभी भी उनकी राजनीतिक करियर के आड़े नहीं आई. उन्होंने अपनी नई पार्टी जेएसएस बनाई. उनकी पार्टी जेएसएस बाद में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ में जुड़ गई. 2001 में, वह एके एंटनी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री बनी और कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया. युवावस्था से ही राजनीति में रहीं एक्टिव गौरी अम्मा 11 बार केरल विधानसभा के लिए चुनी गईं. अकेले अलाप्पुझा में अरूर सीट से 8 बार जीती थीं. चार बार वो वाम दलों के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रहीं थी. इसके बाद वे एक बार चुनावा हारीं. लेकिन अगले ही चुनाव में उन्होंने फिर से शानदार जीत दर्ज की. साल 2006 तक बतौर विधायक रहीं. गौरी अम्मा को हमेशा से ही राजनीति में रुचि थी. वह 1948 में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुईं थीं. इसी साल वो जेल भी गईं थीं. बेबाक होकर अपने विचार रखने वाली गौरी अम्मा 1952 से 1954 में त्रावणकोर-कोच्चि विधानसभा सीट से चुनी गई थीं.

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