दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) को लंबे समय से वामपंथ के गढ़ के रूप में देखा जाता रहा है. 2016 के बाद से खासतौर पर. जब कन्हैया कुमार और उमर खालिद जैसे छात्र नेताओं द्वारा कैंपस में किए गए विरोध प्रदर्शनों को नेशनल लेवल पर अटेंशन मिली. अब एक RTI के तहत मांगी गई जानकारी से पता चला है कि JNU को मौजूदा सरकार से सबसे ज्यादा फंडिंग मिली है. वहीं इस दौरान JNU के छात्रों पर सबसे ज्यादा FIR भी दर्ज हुई हैं.
मोदी सरकार में JNU को 'सबसे ज्यादा' पैसा मिला, पर थाने-कचहरी के चक्करों में भी 'रिकॉर्ड' बना डाला
Jawaharlal Nehru University को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा सब्सिडी मिली है. एक RTI के तहत मांगी गई जानकारी से ये बात पता चली है. और क्या-क्या पता चला?

इंडिया टुडे से जुड़े साहिल जोशी और विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक पुणे के एक RTI कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारदा ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत ये जानकारी हासिल की है. उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल और उससे पहले के दशक के दौरान JNU को दी गई सब्सिडी के बारे में जानकारी मांगी थी.
RTI से मिले जवाब के मुताबिक 2004-05 और 2014-15 के बीच जेएनयू को 2,055 करोड़ की सब्सिडी मिली. वहीं 2015-16 और 2022-23 के बीच यह सब्सिडी बढ़कर 3,030 करोड़ रुपए हो गई. इससे पता चलता है कि मोदी के शासन के दौरान JNU को पिछले दशक (UPA शासनकाल) के मुकाबले लगभग 1.5 गुना ज्यादा फंडिंग मिली.
हालांकि RTI में एक और खुलासा भी हुआ है. यूनिवर्सिटी की फंडिंग बढ़ने के साथ-साथ JNU के छात्रों पर FIR दर्ज करने के मामले भी काफी तेजी से बढ़े हैं. 2016 से पहले छात्रों पर कोई FIR दर्ज नहीं की गई थी. लेकिन इसके बाद से JNU प्रशासन ने अपने ही छात्रों के खिलाफ 35 FIR दर्ज करवाई हैं.
प्रफुल्ल सारदा ने इस बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल करने की कोशिश की तो उन्हें जवाब नहीं मिला. उन्होंने RTI के जरिए जानकारी हासिल करने में आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया और अधूरे जवाबों के बारे में भी बताया.
सारदा ने बताया,
2016 में जेएनयू के इतिहास में पहली बार JNU प्रशासन द्वारा 35 FIR दर्ज करवाई गईं. उन्होंने नाम या इसमें शामिल लोगों की संख्या शेयर नहीं की. कई दूसरे डिटेल्स का भी अब तक इंतजार है. मुझे उम्मीद है कि इस बार बिना किसी देरी के केंद्रीय सूचना अधिकारी (CPIO) तुरंत जवाब देंगे.
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सारदा ने आगे बताया कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में निवेश करना चाहिए. और मौजूदा विश्वविद्यालयों को सपोर्ट करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि मुंबई और पुणे के विश्वविद्यालयों को इस तरह की मदद के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए. क्योंकि यहां हर साल ग्रामीण क्षेत्रों से लाखों छात्र एडमिशन लेते हैं.
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