सोशल मीडिया पर एक नई लेथन फ़ैली है. रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड को लेकर. काहे? इस महीने 7 जून को अचानक ख़बर आई कि पिछले 17 सालों से दिया जा रहा ये जाना-माना अवॉर्ड इस बार भारत आया है. मिला है जावेद अख्तर को. मीडिया में ख़ूब ख़बरें चलीं, सोशल मीडिया में बधाइयां शधाइयां दी जाने लगीं. लोग ख़ुश थे कि जावेद अख्तर भारत के पहले शख्स हैं जिन्हें ये अवॉर्ड इस बार दिया जा रहा है. रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड साल 2003 से दिया जा रहा है. देती है एक अमरीकी संस्था Atheist Alliance of America. लेकिन 2019 में इस संस्था को टेकओवर कर लिया Center for Inquiry (CFI) ने. पिछले साल ये अवॉर्ड मिला था ब्रिटिश कॉमेडियन, एक्टर, लेखक और प्रोड्यूसर Ricky Gervais को.
जावेद अख्तर को मिले अवॉर्ड पर सवाल उठे तो शबाना आज़मी ने बोलती बंद कर दी
रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड मिलने पर सवाल उठा रहे थे लोग.

तब तक धांय-धांय मैसेज निकल पड़े कि ‘अरे अवॉर्ड मिला ही नहीं’ है. जावेद अख्तर तो फ़र्जी ख़ुश हो रहे हैं. इस पर शबाना आज़मी ने बाक़ायदा सोशल मीडिया की हवाई अदालत के सामने सुबूत पेश कर दिए. लेकिन पहले जान लीजिए कि कहा क्या जा रहा था.
# क्या आरोप लगा रहे लोग?
जावेद अख्तर को रिचर्ड डॉकिंस अवार्ड मिलने की ख़बर मीडिया में आते ही जो मैसेज फैलना शुरू हुआ वो कहता है कि ऐसा क्यों है कि मीडिया के दिखाए जाने के बाद भी इस अवॉर्ड के लिए किसी तरह की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई. इसकी वजह बताई गई कि लंदन में रहने वाले कुछ भारतीयों ने असल में जावेद अख्तर को अवॉर्ड दिए जाने के लिए नॉमिनेट किया. इसी नॉमिनेशन के ई-मेल की एक कॉपी वहां से जावेद अख्तर को भी भेजी गई. और उसे ही जावेद अख्तर ने अवॉर्ड की आधिकारिक घोषणा समझ लिया. इस मैसेज में ये भी कहा जा रहा था कि अब वही ग्रुप रिचर्ड डॉकिंस पर दबाव बना रहा है कि जावेद अख्तर को वाक़ई में अवॉर्ड दे दिया जाए.



# इस पर शबाना आज़मी ने जवाब दिया
जावेद अख्तर को अवॉर्ड ना मिलने का मैसेज जब लोग ट्विटर और फ़ेसबुक पर घुमाने लगे तब मीडिया ने शबाना आज़मी से बात की. उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज़ कर दिया. उनका कहना था कि अवॉर्ड ना मिलता तो जावेद अख्तर क्यों लोगों की शुभकामनाएं स्वीकार कर रहे होते. शबाना आज़मी ने बताया कि जो संस्था रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड हर साल देती है Cenntre For Inquiry उसकी प्रेज़िडेंट और सीईओ का ईमेल बाक़ायदा आया है जावेद अख्तर के पास. उस ईमेल में ये बात साफ़ लिखी हुई है कि जावेद अख्तर इस साल के रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड विनर हैं.
शबाना आज़मी ने ट्वीट करके भी इस तरह के मैसेजेज़ को बेबुनियाद बताया. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि 'ये सब एक कोरी बकवास है. हमारे पास 5 जून को आया हुआ ईमेल है जो ख़ुद रिचर्ड डॉकिंस की तरफ से आया था. रॉबिन ब्लूमर जो CFI USA के हेड हैं उन्होंने भी ये कन्फर्म किया है. मुझे इन ट्रोल्स पर दया आती है जिन्हें ये भी नहीं पता कि उनका झूठ पकड़े जाने में महज़ कुछ सेकंड्स ही लगेंगे.

ये है वो ईमेल जिसे संस्था ने जावेद अख्तर को भेजा.
शबाना आज़मी ने मीडिया को बताया कि CFI ने एक और ईमेल किया था जिसमें पिछले अवॉर्ड विनर्स की लिस्ट थी. इसी ईमेल में कहा गया है कि CFI 2020 के सालाना कॉन्फ्रेंस में ये अवॉर्ड दिया जाना था लेकिन संस्था इस बार कोविड महामारी की वजह से इस कॉन्फ्रेंस को रद्द कर रही है. इस साल का रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड जावेद अख्तर को ऑनलाइन सेरेमनी में दिया जाएगा. जो कि अक्टूबर 2020 में होगी.
# और आख़िरकार रिचर्ड डॉकिंस ने ख़ुद बताया
ये सब छीछालेदर यहां इंडिया के सोशल मीडिया पर फैला ही था. लेकिन इस लेथन को समेटने के लिए ख़ुद रिचर्ड डॉकिंस को ट्वीट करना पड़ा. रिचर्ड डॉकिंस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके जानकारी दी कि इस साल के अवॉर्ड विनर भारत से जावेद अख्तर हैं और रिचर्ड को ये अवॉर्ड अनाउन्स करते हुए गर्व हो रहा है.
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