मंगलवार शाम जारी आदेश में कहा गया है कि 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी को तुरंत श्रीनगर में पुलिस मुख्यालय से जोड़ा जाता है. बसंत रथ से कहा गया है कि वो जम्मू-कश्मीर पुलिस के डायरेक्टर जनरल की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ सकते.

लेटर से वबाल मच गया था
बसंत रथ ने हाल ही में एक लेटर लिखा था. यह लेटर सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. इसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह की वजह से खुद की सुरक्षा को लेकर आशंका जताई है. बसंत रथ ने 25 जून को गांधीनगर थाना प्रभारी को यह कथित पत्र लिखा था. इस लेटर में उन्होंने एफआईआर दर्ज करने की मांग नहीं की थी. हालांकि इसे डेली डायरी में दर्ज करने के लिए कहा था. गांधीनगर थाने के प्रभारी गुरनाम चौधरी ने इस तरह का कोई पत्र मिलने से इनकार किया था.आईजी बसंत रथ ने इस कथित लेटर में कहा था,
मैं आपको अपनी सुरक्षा और प्रतिष्ठा के प्रति वास्तविक आशंका को लेकर पत्र लिख रहा हूं. मैं यह देश के आम नागरिक के तौर पर कर रहा हूं. अपनी व्यक्तिगत क्षमता में, न कि लोकसेवक के रूप में, न कि पुलिसकर्मी के रूप में. मैं आपसे उपर्युक्त व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को नहीं कह रहा हूं. मैं आपसे सिर्फ यह कह रहा हूं कि आप इसे अपने थाने में रोजनामचा का हिस्सा बनाएं...अगर मेरे साथ कुछ बुरा होता है, तो आपको पता होना चाहिए कि किसका नंबर आपको डायल करना है.

पत्र में सब्जेक्ट के रूप में जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह का नाम है. सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस पत्र ने केंद्रशासित प्रदेश में विवाद खड़ा कर दिया था.

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. बसंत रथ ने लिखित शिकायत की एक प्रति डीजीपी सिंह को दी थी. बसंत रथ को IGP, होमगार्ड का जिम्मा मिला था. 2018 में वह IGP के रूप में प्रमोट हुए थे. जम्मू-कश्मीर में ट्रैफिक नियमों को प्रभावी बनाने की वजह से सोशल मीडिया पर चर्चा में आए थे. हालांकि लोगों की ओर पसंद किए जाने के बावजूद IGP, ट्रैफिक के रूप में उनका कार्यकाल कुछ समय का ही रहा.
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