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राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने क्या कहा था जो मल्लिकार्जुन खरगे ने 'वर्ण व्यवस्था' का आरोप लगा दिया?

Rajya Sabha Chairperson जगदीप धनखड़ ने जयराम रमेश पर व्यंग्य करने की कोशिश की. लेकिन तीर सही लगा नहीं. कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने पलटवार किया कि सभापति वर्ण व्यवस्था वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं.

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राज्यसभा के सभापति जयदीप धनकड़ बनाम नेता-प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे. (फ़ोटो - सोशल)

राज्यसभा में मंगलवार, 2 जुलाई को सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला. जगदीप धनखड़ ने जयराम रमेश पर व्यंग्य करने की कोशिश की, लेकिन तीर कहीं और लग गया. कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पलटवार किया कि सभापति वर्ण व्यवस्था वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं.

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क्या-क्या हुआ?

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी भाषण दे रहे थे. सभापति धनखड़ ने कहा कि तथ्य की पुष्टि की जाए. इस पर कांग्रेस के जयराम रमेश उठे और कहा कि वो इसे प्रमाणित करेंगे. तब धनखड़ ने कहा,

वरिष्ठ नेतृत्व यहां है. मुझे लगता है कि आपको (रमेश)... आप इतने बुद्धिमान हैं, इतने प्रतिभाशाली हैं कि आपको तुरंत आकर खरगे की जगह ले लेनी चाहिए, क्योंकि कुल मिलाकर आप उन्हीं का काम कर रहे हैं.

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इस पर कांग्रेस अध्यक्ष ने आपत्ति जताई. कहा,

आप बंटवारा मत कीजिए. वर्ण व्यवस्था को बीच में मत लाइए. आपके दिमाग़ में अभी तक है, इसलिए आप रमेश को बुद्धिमान कह रहे हैं... और मुझे मूर्ख.

इस पर तालियां बजीं. जयराम रमेश, पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के नेता हंसे. सभापति ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख उनकी बात ठीक से समझे नहीं और उन्होंने उनकी टिप्पणी ‘तोड़-मरोड़कर’ पेश की. 

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कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, “मैं जो कुछ भी हूं, सोनिया गांधी की वजह से हूं. देश की जनता की वजह से हूं… और, ये अधिकार केवल उन्हीं के पास है. न धनखड़ के पास है, न जयराम रमेश के.”

इसी के बाद धनखड़ ने कहा कि खरगे ने पीठ का अनादर किया है. बोले,

आप हर बार कुर्सी को नीचा नहीं दिखा सकते. आप हर बार कुर्सी का अनादर नहीं कर सकते. आप अचानक खड़े हो जाते हैं और बिना ये समझे कि मैं क्या कह रहा हूं, कुछ भी बोल देते हैं. इस देश और संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की कार्यवाही के इतिहास में कभी भी कुर्सी के प्रति इतनी अवहेलना नहीं हुई, जितनी कि आप लोगों ने की… आपकी गरिमा पर कितनी बार हमला किया गया है. मैंने हमेशा आपकी गरिमा की रक्षा करने की कोशिश की है. 

इस वाकयुद्ध के बाद प्रमोद तिवारी ने अपना भाषण जारी किया.

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