Chandrayaan 3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिग हो गई है. इसी के साथ भारत चांद पर उतरने वाला चौथा देश बन चुका है और उसके साउथ पोल पर अपना लैंडर उतारने वाला पहला देश भी. शाम 6 बजे के बाद जैसे ही विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा पूरा देश जश्न में डूब गया. लेकिन इस जश्न के लिए कड़ी मेहनत की है इसरो के वैज्ञानिकों ने. देश को गौरव करने का इतना बड़ा मौका देने वाले इन वैज्ञानिकों के बारे में जानना ही उतना ही जरूरी है, जितना चंद्रयान के चांद पर उतरने का जश्न.
Chandrayaan-3 को चांद पर उतारने वाले इन वैज्ञानिकों को नहीं जानते तो इस जश्न कोई मतलब नहीं
जिस चंद्रयान मिशन की इतनी चर्चा, उसे इस मुकाम तक पहुंचाने वाले लोग कौन हैं?

इस लिस्ट में पहला नाम आता है इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ का. वे 57 साल की उम्र में ISRO चीफ बने हैं. एस सोमनाथ को स्पेस इंजीनियरिंग से जुड़े कई मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है. सोमनाथ को बीते साल जनवरी में ISRO चीफ के पद पर नियुक्त किया गया. इससे पहले वो विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के डायरेक्टर भी रह चुके हैं. चंद्रयान के अलावा कुछ और मिशन भी इनके जिम्मे हैं. इनमें पहली बार किसी इंसान को चांद पर भेजने वाला मिशन ‘गगनयान’ और सूर्य पर जाने वाला ‘आदित्य-L1’ मिशन भी शामिल हैं.

अगला नाम आता है चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल का. आईआईटी मद्रास से पढ़ाई करने वाले वीरामुथुवेल चंद्रयान-3 से पहले चंद्रयान-2 में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं. इन्हें चांद पर कई तरह की खोज के लिए भी जाना गया है. पी वीरामुथुवेल को 2019 में मिशन चंद्रयान की जिम्मेदारी दी गई थी.
इनके बाद नाम आता है विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर रे डायरेक्टर एस. उन्नीकृष्णन नायर का. इन्होंने 1985 में वीएसएससी तिरुवनंतपुरम में अपना करियर शुरू किया था. नायर ने केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक, आईआईएससी, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमई और आईआईटी (एम), चेन्नई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है. नायर ने स्पेस सेंटर सेंटर में जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी GSLV मार्क 3 रॉकेट को बनाय था. उन्नीकृष्णन और उनकी टीम को मिशन की कई अहम जिम्मेदारिया मिली थीं.

आखिरी नाम है यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम. शंकरन का. इन्होंने जून, 2021 से इसरो में भूमिका निभाई. संगठन के सैटेलाइट सेंटर में इसरो के सभी सैटेलाइट को बनाया जाता है. यह केंद्र इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है. फिलहाल शंकरन की टीम ही देश में कम्यूनिकेशन, नेविगेशन और मौसम से संबंधित जरूरी चीजों को देख रही है.
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