22 जून को America ने Iran के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया था. 24 घंटे से भी कम समय में Iran ने इसका जवाब दिया. Iran ने Qatar में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकाने अल-उदीद को निशाना बनाया. यहां मिसाइल से हमला किया. दिलचस्प बात यह है कि ईरान ने हमले से पहले अमेरिका और क़तर को इसकी जानकारी दी थी ताकि जान-माल का नुकसान कम हो. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने इसकी पुष्टि की.
ईरान ने पहले ही दे दी थी अमेरिका-क़तर को हमले की जानकारी? क्या सब 'फिक्स' था?
Trump ने Truth Social पर लिखा कि Iran की प्रतिक्रिया कमज़ोर और अपेक्षित थी. उम्मीद है कि आगे इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं होगी. वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिका ने भी ईरान को हमले से पहले जानकारी दी थी. अमेरिका ने यह भी कहा था कि हमला सिर्फ एक बार ही होगा. यहां अमेरिका का मक़सद फिर से बात शुरू करना था.

लेकिन हमले से पहले नोटिस देने के मायने क्या हैं, क्या दोनों के बीच मैच पहले से ही फिक्स था? चलिए बताते हैं…
पूरे मामले की टाइमलाइन पर ग़ौर करने पर इसमें से ‘मैच फिक्स’ होने की बू आती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का अमेरिकी मिलिट्री बेसों पर यह हमला सांकेतिक और पूर्व घोषित था. ईरान ने अमेरिकी के हमले का जवाब इस तरह से दिया कि न बहुत आक्रामक लगे, न बहुत कमज़ोर. वहीं, पहले से नोटिस देना यह बताता है कि ईरान सिर्फ़ जवाब देना चाहता था. मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता था.
ईरान ने क़तर को भी हमले से पहले जानकारी दी थी. इसके बाद कतर ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया. वहीं, हमले की जानकारी के बाद अमेरिका ने भी अपने ज़्यादातर विमान पहले ही हटा लिए थे. जब ईरान ने हमला किया तो अमेरिकी बेस पर सिर्फ 5 अमेरिकी जेट्स ही थे.
अमेरिका ने ईरान पर 21-22 जून की दरमियानी रात हमला किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में अमेरिका ने न तो ईरान की संवर्धन क्षमताओं को पूरी तरह से ख़त्म किया और न ही यूरेनियम के उसके मौजूदा भंडार को नुकसान पहुंचाया. हमले का मकसद सिर्फ़ ईरान की परमाणु क्षमता को कमज़ोर करना था.
US को ईरान ने बताया था, हमला करेंगेकुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि अमेरिका ने भी ईरान को 22 जून के हमले की जानकारी पहले दे दी थी. यह भी कहा था कि हमला सिर्फ़ एक बार ही होगा. एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया कि ईरान ने अमेरिका के हमले से पहले ही अपनी सबसे अहम यूरेनियम स्टॉकपाइल (60%, 20%, और 3.67% शुद्धता वाले यूरेनियम) को Fordow से हटा लिया था. इसी वजह यह यूरेनियम बच गया.
अमेरिका के ईरान पर हमले के पीछे एटीट्यूड था कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. यानी वह बातचीत भी जारी रखना चाहता था और ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने का दिखावा भी करना चाहता था.
इसी के जवाब में ईरान ने 23 जून की रात न्यूट्रल क़तर में अमेरिका के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. ईरान के हमले को लेकर ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि ईरान की प्रतिक्रिया कमज़ोर और अपेक्षित थी. उम्मीद है कि आगे इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं होगी. उन्होंने लिखा,
ईरान ने हमारे हमले के जवाब के तौर पर बेहद कमज़ोर प्रतिक्रिया दी है. 14 मिसाइलें दागी गईं. इसमें से 13 को गिरा दिया गया. 1 को छोड़ दिया गया. मुझे यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि किसी भी अमेरिकी को नुकसान नहीं पहुंचा. उम्मीद है कि आगे कोई नफ़रत नहीं होगी. मैं ईरान को हमें पहले से सूचित करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. शायद ईरान अब क्षेत्र में शांति और सद्भाव की ओर बढ़ सकता है. मैं इज़राइल को भी ऐसा ही करने के लिए कहूंगा.
पोस्ट के महज दो घंटों में ही दोनों देशों के बीच ‘सीज़फायर’ का दावा किया. उन्होंने लिखा कि इज़राइल और ईरान सीज़फायर के लिए सहमत हो गए हैं. यह सीज़फायर अब से लगभग 6 घंटे में अमल में लाया जाएगा. लेकिन ईरान के विदेश मंत्री ने सीज़फायर से इनकार किया है.
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