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भारतीय फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में भेजने से मना करनेवालों को शर्म नहीं आती?

कह रहे हैं कि मेडल की उम्मीद नहीं है तो क्यों भेजें! इस मूर्खता का है कोई जवाब?

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IOA अभी भारतीय फुटबॉल टीम पर भरोसा करने को तैयार नहीं है.

ये स्टोरी हमारे मित्र सूरज ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखी है. उनकी इजाजत से हम ये स्टोरी आपके सामने पेश कर रहे हैं.

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IOA यानि कि इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने इंडोनेशिया में होने वाले एशियन गेम्स में भारतीय फुटबॉल टीम को भेजने से साफ मना कर दिया है. IOA का कहना है कि इनसे मेडल की उम्मीद नहीं है इसलिए इन्हें नहीं भेजेंगे. भारतीय फुटबॉल टीम पिछले कुछ महीनों से बेहतरीन फॉर्म में है, हालांकि मैं ये नहीं कहता कि ये लड़के वहां से मेडल लेकर ही लौटेंगे लेकिन असफलता के डर से अगर हम प्रयास ही करना छोड़ दें तो मनुष्य जीवन का अर्थ ही क्या है? मनुष्य की पहचान का एक अहम हिस्सा है जीवटता- लगातार प्रयास करना, लड़ना, गिरना, उठना और फिर एक दिन सरपट भाग पड़ना ही जीवन है और अगर आप हमें गिरने का मौका ही नहीं दोगे तो हम उठेंगे और भागेंगे कब?
इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन
इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन.

--------------------------- देश में फुटबॉल के हालात किसी से छिपे नहीं हैं ऐसे में अगर इन लड़कों को मौका मिले तो क्या पता ये कुछ ऐसा कर जाएं जिससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिले और हम एक और स्पोर्ट में महाशक्ति हो जाएं. कोई भी सफलता बिना प्रयास के नहीं आती और नरिंदर बत्रा, IOA चीफ हमारी फुटबॉल टीम को वो प्रयास करने ही नहीं देना चाहते. भारतीय खेलों को बर्बाद कर देने वाली स्पोर्ट्स पॉलिटिक्स इस देश से खत्म ही नहीं हो रही क्योंकि किसी स्वनामधन्य पत्रकार को इस गंदगी में उतरने की जरूरत ही नहीं लगती. सब क्रिकेट की सफलता मे इतने चूर हैं कि बाकी गेम्स का बुरा हाल इन्हें दिखता ही नहीं.
भारतीय फुटबॉल टीम.
भारतीय फुटबॉल टीम.

--------------------------- फुटबॉल टीम को रोकने वाले बत्रा को याद है कि हम एक दौर में एशियन गेम्स में दबदबा रखने वाले चंद देशों में से एक होते थे? इसी दबदबे को बनाए रखने के लिए हमने वर्ल्ड कप में खेलने का मौका ठुकरा दिया था और आज हाल ये है कि चंद नीच लोग अपने निजी हित साधने और एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए प्लेयर्स के भविष्य से खेल रहे हैं. ये ऐसा कर सकते हैं क्योंकि जनता को सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट में इंट्रेस्ट है. इन्हें दूसरे गेम्स तभी याद आते हैं जब क्रिकेट में हाल खराब हो या फिर किसी विदेशी टीम को देखकर अपने प्लेयर्स को गाली देनी हो. ---------------- ओलंपिक और एशियन गेम्स में मेडल की उम्मीद रखने से पहले अपने प्लेयर्स को सपोर्ट करिए सर.


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