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प्रचार-प्रसार: 'सेल्फ़-डिस्कवरी वाया रिडिस्कवरिंग इंडिया' नामक प्रदर्शनी में मनाया गया सांस्कृतिक विरासत का जश्न

भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और साझा विरासत की झलक पेश करने वाली इस प्रदर्शनी को देखने में बड़ी बड़ी हस्तियां रूचि दिखा रही हैं.

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भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और विरासत की प्रदर्शनी को देखने में बड़ी बड़ी हस्तियां रूचि दिखा रही हैं.

देश की धड़कन माने जाने वाले शहर दिल्ली में इंडिया इंटरनैशनल सेंटर गैलरी में लगी 'सेल्फ़-डिस्कवरी वाया रिडिस्कवरिंग इंडिया' नामक प्रदर्शनी कला-प्रेमियों और कला के तमाम जानकारों के लिए उम्मीद की नई रौशनी के रूप में सामने आई है. भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और साझा विरासत की झलक पेश करने वाली इस प्रदर्शनी को देखने में बड़ी-बड़ी हस्तियां रूचि दिखा रही हैं. ऐसे में अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज माने जाने वाले प्रिंस मानवेंद्र सिंह गोहिल, रमोला बच्चन, संग्राम सिंह, पायल रोहातगी, आदित्य आर्य और एसएमएम ऑसजा ने द तुली रीसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज़ के संस्थापक नेविल तुली द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में हिस्सा लिया और इसकी जमकर तारीफ़ की.

सिनेमा की कहानियां भारतीय परंपराओं को समझाती हैं

एक बेहतरीन लेखक के रूप में विख्यात एसएमएम ऑसजा ने सिनेमा से जुड़ी अपनी तमाम जानकारियों, समझ और जुनून को इस प्रदर्शनी को साकार करने में लगा दी है. भारतीय सिनेमा की विरासत की गहरी समझ रखने वाले एसएमएम ऑसजा ने इस मौके पर कहा, "भारतीय सिनेमा के विशाल लैंडस्केप में ऐसी कहानियों की भरमार हैं जो अब तक लोगों के सामने नहीं आईं हैं. यह प्रदर्शनी फ़िल्मों के इतिहास के नज़रिए से, हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करने वाली भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बेहतर ढंग से समझने का मौका देती है."

उल्लेखनीय है अब तक इस अनोखी प्रदर्शनी को देख चुके तमाम‌ लोग भारत की सिनेमाई विरासत, कला और संस्कृति से जुड़े वास्तुशिल्प को देखकर काफ़ी अभिभूत नज़र आए. LGBTQ+ के अधिकारों के पैरोकार व सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के पक्षधर प्रिंस मानवेंद्र सिंह गोहिल ने प्रदर्शनी को लेकर अपना उत्साह जताया. उन्होंने कला व फ़िल्मों से संबंधित स्मृति चिह्नों की दृश्यतात्मक प्रस्तुति के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को साझा करने के इस प्रयास की भरपूर प्रशंसा की.

कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली रमोला बच्चन ने प्रदर्शनी को लेकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, "यह प्रदर्शनी भारत की समृद्ध व साझा संस्कृति की अनोखी झलक प्रस्तुत करती है. मैं इस प्रदर्शनी को हमारी साझा विरासत और हमारे अतीत, वर्तमान व भविष्य के जश्न के रूप में देखती हूं."

एक जाने-माने रेसलर‌ और टीवी जगत की मानी हुई शख़्सियत संग्राम सिंह ने इस मौके पर कहा कि इस प्रदर्शनी ने उन्हें एक बार फिर से अपनी भारतीय जड़ों की तरफ लौटने का बढ़िया अवसर प्राप्त हुआ है. ख़ुद एक ज़मीन से जुड़ा शख़्स होने के नाते मुझे प्रदर्शनी के रूप में सामने आई समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से बहुत प्रेरणा मिली है. यह प्रदर्शनी भारत की उन महान कहानियों और परंपराओं की याद दिलाती है जिसने हमारे राष्ट्र को एक सूत्र मे पिरोया है.

एक अभिनेत्री और एक सोशल मीडया इंफ़्लूएंसर के तौर पर अपनी पहचान रखने वाली पायल रोहातगी इस प्रदर्शनी से काफ़ी प्रभावित नज़र आईं. प्रदर्शनी देखने के बाद उन्होंने कहा, "प्रदर्शनी के ज़रिए भारत की सांस्कृतिक विरासत को बेहतर ढंग से समझना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव साबित हुआ. इसे देखने के बाद मुझे भारत के समृद्ध इतिहास और परंपराओं को बेहतर ढंग से जानने-समझने का मौका मिला."

उल्लेखनीय है कि इस अनूठी प्रदर्शनी को देखने वाले तमाम लोग अपने साथ सुनहरी यादों का कारवां लेकर लौट रहे हैं. इतना ही नहीं, भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनके मन में एक नई तरह का आदर और सम्मान भी देखने को मिल रहा है. इस प्रदर्शनी के आयोजन से आने वाली पीढ़ियों को भी भारत की सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू होने का मौका मिल रहा है.

द तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज़ के संस्थापक नेविल तुली कहते हैं कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हमारी सामूहिक पहचान का अक्स है. यह प्रदर्शनी लोगों को उनकी जड़ों की ओर लौटने और भारत की समृद्ध संस्कृति को अच्छी तरह से समझने में अपना अमूल्य योगदान दे रही है.

ग़ौरतलब है कि प्रिंस मानवेंद्र सिंह गोहिल, रमोला बच्चन, संग्राम सिंह, पायल रोहातगी, आदित्य आर्य और एसएमएम ऑसोजा के समर्थन से स्पष्ट है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत की उत्सवधर्मिता अभी जीवित है जो भारत के समावेशी भविष्य को भी रेखांकित करता है.

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