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हाथरस केस: एसपी और सीओ सस्पेंड, जानिए डीएम का क्या हुआ?

सभी पक्ष-विपक्ष वालों का पॉलीग्राफी टेस्ट भी होगा.

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हाथरस केस में रोज नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं. (फाइल फोटो)
हाथरस केस में चीजों को हाथ से निकलता देख उत्तर प्रदेश सरकार एक्शन लेने के मूड में आ गई है. गाज गिरी है एसपी और सीओ पर. आदेश जारी करते हुए एसपी विक्रांत वीर, सीओ राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार शर्मा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह और हेड कांस्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया है. एसपी शामली विनीत जायसवाल को एसपी हाथरस का चार्ज दिया गया है. एक और ख़ास बात ये भी है कि सभी पक्ष-विपक्ष के लोगों के पॉलीग्राफी टेस्ट कराए जाएंगे. आदेश में साफ-साफ लिखा है –
“सभी वादी-प्रतिवादी व्यक्तियों और पुलिस का पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट कराया जाएगा.”
हालांकि इन सबके बीच बड़ी बात ये भी है कि डीएम प्रवीण कुमार पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जबकि उनका एक अक्टूबर का वीडियो सामने आने के बाद सबसे ज़्यादा सवालों के घेरे में डीएम साब ही हैं. वीडियो में वे पीड़िता के परिवार पर बयान बदलने का दबाव बनाते हुए कहते दिख रहे थे कि “आधी मीडिया आज चली गई, आधी कल चली जाएगी. यहां हम और आप ही बचेंगे.” इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया –
“योगी आदित्यनाथ जी, कुछ मोहरों को सस्पेंड करने से क्या होगा? हाथरस की पीड़िता, उसके परिवार को भीषण कष्ट किसके ऑर्डर पर दिया गया? हाथरस के डीएम, एसपी के फोन रिकॉर्ड्स पब्लिक किए जाएं. मुख्यमंत्री अपनी ज़िम्मेदारी से हटने की कोशिश न करें. देश देख रहा है. @myogiadityanath इस्तीफा दो”
इससे पहले सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दो अक्टूबर की शाम को ही ट्वीट किया था-
"हाथरस कांड में जनाक्रोश से डरी भाजपा अपने कृत्य छिपाने के लिए DM, SP को हटा सकती है. सपा की मांग है कि इन पर FIR हो, जिससे ये सच उगलें कि इन्होंने किसके दबाव में ऐसा किया. भाजपा की नीतियों ने उप्र में DM-SP की कुछ नई गैंग को जन्म दिया है, पहले महोबा व अब हाथरस जिसके गवाह हैं."
इससे पहले एक अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मामले में स्वतः संज्ञान ले लिया. हाईकोर्ट में सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी. क्या होता है नार्को और पॉलीग्राफी टेस्ट? ये दोनों एक तरह की तकनीक हैं, जिसके ज़रिये पता लगाया जाता है कि कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है कि सच. पॉलीग्राफी टेस्ट में व्यक्ति को एक विशेष प्रकार के सेटअप में बैठाया जाता है. सामने एक स्क्रीन लगी होती है. जब वो कुछ बोलता है, तो स्क्रीन पर उसके हर्टरेट, बीपी वगैरह को दर्शाता एक ग्राफ बनता है. इसी ग्राफ का अध्ययन कर विशेषज्ञ पता लगाते हैं कि व्यक्ति सच बोल रहा या झूठ. इसी तरह नार्को टेस्ट में व्यक्ति को एक दवा या इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे वो आधी बेहोशी की हालत में आ जाता है. इस हालत में वो झूठ नहीं गढ़ पाता और हर सवाल का सही जवाब दे जाता है.