शराब के नशे में चूर होकर ऐसी नींद आई कि सुबह से कब दोपहर हो गई पता ही नहीं चला. ऑफिस जाने का भी टाइम निकल गया. किसी इंसान के साथ ऐसा हो जाए तो बॉस से क्या बहाने बनाएगा? ये जानने की जरूरत नहीं क्योंकि बहाने बनाने में महारत जो हासिल है. लेकिन कैसा हो अगर आपकी कंपनी की लीव पॉलिसी कहे, ‘नशा नहीं उतरा तो छुट्टी ले लो’? भारत में तो लोग इस तरह की लीव केवल 'ड्रीम जॉब' में ही सोच सकते हैं. मगर जापान की एक कंपनी कर्मचारियों को नशा न उतरने पर 'हैंगओवर लीव' दे रही है.
कम सैलरी में भी खुश हैं इस कंपनी के लोग, ऑफिस में शराब मिल जाती है, नशा ना उतरे तो हैंगओवर लीव ले लो
Hangover Leave: जापान की एक कंपनी भी मोटा प्रॉफिट नहीं कमा रही थी. इस कारण वो अपने कर्मचारियों को हाई इंक्रीमेंट नहीं दे पा रही थी. ऐसे में उसने अपनी लीव पॉलिसी के जरिये कर्मचारियों को राहत दी.

कई लोगों का एक्सपीरियंस होगा जब एक दिन की सिक लीव लेने पर भी बॉस और एचआर डॉक्टर का पर्चा और मेडिकल रिपोर्ट मांगते हैं. क्या दवा-दारू चल रही है वो अलग बताओ. बुखार हो जाए तो बोला जाता है- बुखार ही तो है, सीजनल है. लेकिन अप्रेजल के टाइम यही बॉस और एचआर कहते हैं कि कंपनी को बुखार है, मतलब घाटे में चल रही है. इसलिए बढ़िया अप्रेजल नहीं हो पाएगा.
जापान की एक कंपनी भी मोटा प्रॉफिट नहीं कमा रही थी. इस कारण वो अपने कर्मचारियों को हाई इंक्रीमेंट नहीं दे पा रही थी. ऐसे में उसने अपनी लीव पॉलिसी के जरिये कर्मचारियों को राहत दी. एक जापानी मीडिया पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबकि, ट्रस्ट रिंग नाम की आईटी कंपनी में 'हैंगओवर लीव सिस्टम' चलता है. यहां न केवल नशा नहीं उतरने पर छुट्टी मिलती है, बल्कि शराब पिलाने का भी खास इंतजाम किया गया है. इस कंपनी के ऑफिस में ही बार टेंडर है, जहां शराब परोसी जाती है.
यह कंपनी हैंगओवर लीव के अलावा 'सेलिब्रिटी लॉस लीव' भी देती है. ये लीव खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई है, जो सेलिब्रिटीज के साथ दिल लगाए रखते हैं. फेवरेट सेलिब्रिटी के शादी करने पर दिल टूट गया तो कर्मचारी इस लीव को ले सकते हैं.
अब सवाल उठता है कि कंपनी इतनी 'मदहोश' लीव पॉलिसी क्यों चला रही है, कर्मचारियों को इतनी मौज क्यों दी जा रही है? जिस ज़माने में इंसानों से मशीन की तरह काम लिया जाता है, तब ये कंपनी अपने कर्मचारियों को इतना खुला माहौल देकर 'महापाप' क्यों कर रही है?
दरअसल, इसके पीछे कंपनी की एक बड़ी मजबूरी है. जापान एक बूढ़ा देश माना जाता है. वहां काम करने के लिए युवा आबादी कम है. जो लोग काम कर रहे हैं वे सैलरी इशूज पर एक कंपनी से दूसरी कंपनी में जंप मार जाते हैं. छोटी कंपनियों के लिए मैनपावर की कमी एक बड़ी समस्या है. और ट्रस्ट विंग छोटी कंपनी है. उसके पास कर्मचारियों को मोटी सैलरी देने के लिए पैसा नहीं है. ऐसे में उसने उन्हें खुश रखने के लिए लीव पॉलिसी में बदलाव किया है.
इंक्रीमेंट या मोटी सैलरी देने के बजाय ये कंपनी अनोखी छुट्टियां देकर कर्मचारियों को खुश रखने की कोशिश करती है. कर्मचारी भी हैंगओवर लीव लेकर दावा करते हैं कि इससे उनके काम करने की क्षमता में इजाफा हुआ है.
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