हमास के पॉलिटिकल विंग के मुखिया इस्माइल हानिया की मौत को लेकर हैरान कर देने वाली जानकारी आई है. बताया गया है कि हानिया को मारने के लिए ईरान की राजधानी तेहरान स्थित उनके गेस्टहाउस में दो महीने पहले ही एक विस्फोटक डिवाइस प्लांट कर दिया गया था. जबकि इससे पहले दावा किया गया था कि इजरायली सेना के हवाई हमले में इस्माइल हानिया और उनके एक अंगरक्षक की मौत हो गई. ईरान की सरकार और चरमपंथी समूह हमास की तरफ़ से भी यही कहा गया था.
"हमास लीडर की मौत हवाई हमले में नहीं हुई, दो महीने पहले कमरे में...", इस रिपोर्ट ने चौंका दिया
पहले कहा जा रहा था कि इज़रायल ने एक हवाई हमले में Ismail Haniyeh को मारा है. अब इनपुट आ रहा है कि ये एक विस्फोटक डिवाइस ने उसकी जान ली है, जिसे गेस्टहाउस के उनके कमरे में दो महीने पहले प्लांट किया गया था.

हानिया, राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन का शपथ ग्रहण समारोह अटेंड करने के लिए ईरान की राजधानी गए थे. यात्रा के दौरान वो सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनई से भी मिले. उन्हें उत्तरी तेहरान के एक पॉश इलाक़े में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के गेस्टहाउस में ठहराया गया था. वो अक्सर तेहरान की यात्राओं के दौरान उसी गेस्टहाउस में रुकते थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, जब ये पक्का हो गया कि हानिया अपने कमरे में है, तो बम का बटन दबा दिया गया. विस्फोट से कुछ खिड़कियां टूटीं, बाहरी दीवार दरक गई, कुछ हिस्से ढह गए. पूरी इमारत हिल गई. इस हमले में हानिया और उसका बॉडी गार्ड मारे गए.
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इसके तुरंत बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि इस हमले में इज़रायल का हाथ है और हो सकता है उसने मिसाइल हमला किया हो. मगर इज़रायल ने सार्वजनिक रूप से हत्या की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन NYT की रिपोर्ट में छपा है कि इज़रायली ख़ुफ़िया अधिकारियों ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी सरकारों को ऑपरेशन की जानकारी दी थी. हालांकि, अमेरिका ने ऐसी किसी भी जानकारी मिलने से इनकार किया है.
अब बात आ रही है कि मिसाइल हमला नहीं था, सुरक्षा चूक का फ़ायदा उठाया गया था. बम को इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से संरक्षित परिसर में लाया गया और हफ़्तों तक छिपाए रखा गया.
इस घटना को डील करना ईरान के लिए बड़ी चुनौती है. उनकी सीमा के अंदर किसी मेहमान की हत्या हुई है. ये उनकी संप्रभुता का उल्लंघन है. पिछली दफ़ा सीरिया में उसके कॉन्सुलेट पर अटैक हुआ था. IRGC के दो टॉप कमांडर्स मारे गए थे. तब ईरान ने उसका जवाब इज़रायल पर मिसाइल और ड्रोन अटैक से दिया था. इतिहास में पहली बार. इस बार भी वैसी ही आशंका जताई गई कि ईरान कुछ बड़ा कर सकता है.
इस हमले में चूंकि इज़रायल ने ख़ुद कुछ नहीं स्वीकारा है, इसीलिए हमास ने भी नाम लिए बिना इज़रायल पर निशाना साधा. कहा, क़रारा जवाब मिलेगा. हूती विद्रोहियों और हिज़बुल्लाह ने भी बदला लेने की चेतावनी दी.
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गुरुवार, 1 अगस्त को इज़रायली सेना ने पुष्टि की थी कि उन्होंने हमास के मिलिट्री कमांडर मोहम्मद दैफ़ को मार दिया है. ये हमला उन्होंने 13 जुलाई को किया था और अब सेना को ये खुफ़िया जानकारी मिली है कि उस हवाई हमले में हानिया की मौत हो गई थी.
मुहम्मद दैफ़, 1990 के दशक में हमास की सैन्य शाखा 'क़स्साम ब्रिगेड' के संस्थापकों में से एक था. 20 से ज़्यादा बरसों तक इस फ़ोर्स का नेतृत्व किया. इज़रायल उसे - और हमास के एक और लीडर याह्या सिनवार - को 7 अक्टूबर वाले हमले का मास्टरमाइंड मानता है, जिसमें दक्षिणी इज़रायल में कम से कम 1,139 लोग मारे गए और ग़ाज़ा युद्ध शुरू हुआ.
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