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ब्रेस्ट का आकार बहुत बड़ा हो रहा है, कहीं इस 'मेडिकल कंडीशन' के चलते तो नहीं?

जानिए क्या होता है जाइगैन्टोमेस्टिया, कैसे लगाएं इसका पता, कैसे इससे मुक्ति पाएं.

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(सांकेतिक तस्वीर साभार: phitsanulokhotnews.com)
दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने एक महिला के शरीर पर से 11 किलो कम किए. आप सोच रहे होंगे ये ज़रूर कोई वज़न कम करने वाली सर्जरी रही होगी. लेकिन ऐसा नहीं है.
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, दिल्ली के डॉक्टरों ने 56 साल की एक महिला की सर्जरी की. इस सर्जरी में उसके ब्रेस्ट्स से टिशूज हटाए गए. इन टिशूज का वज़न 11 किलो था.

ऐसा क्या हुआ था?

ये महिला जाइगैन्टोमेस्टिया नाम की कंडीशन से जूझ रही थी. इसमें ब्रेस्ट के टिशूज काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. जिस डॉक्टर ने उनकी सर्जरी की, उनका नाम डॉक्टर अजय कश्यप है. उन्होंने बताया,
‘ब्रेस्ट रिडक्शन को अक्सर लोग एक कॉस्मेटिक प्रक्रिया मानते हैं. लेकिन इस मामले में इस सर्जरी ने इस महिला की ज़िन्दगी बदल दी. ये बहुत ज्यादा टिशूज की मात्रा है. वो मेरे पास आई तो बहुत ज्यादा दर्द था उन्हें, पीठ और कन्धों में. उनके ब्रेस्ट्स इतने भारी हो चुके थे कि उनको चलने फिरने में परेशानी हो रही थी. वो सीधे चल भी नहीं पाती थीं.’

इस कंडीशन में क्या होता है?

इस कंडीशन में कई बार जूझ रही महिला की रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ता है. (तस्वीर साभार: phitsanulokhotnews)
इस कंडीशन में कई बार जूझ रही महिला की रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ता है. (तस्वीर साभार: phitsanulokhotnews)

इस कंडीशन को जाइगैन्टोमेस्टिया, ब्रेस्ट हाइपरट्रोफी जैसे नामों से जाना जाता है. ये कॉमन नहीं है. इसमें ब्रेस्ट के टिशू नॉर्मल स्टार से काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. मेडिकल टर्म्स में कहें, तो शरीर के कुल वज़न के तीन फीसद से ज्यादा अगर ब्रेस्ट्स का वज़न हो, तो इस कंडीशन की आशंका होती है. यानी अगर आपका वज़न 70 किलो है, तो ब्रेस्ट्स का वज़न 2.1 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. लेकिन ये कोई इकलौता पैरामीटर नहीं है. इस कंडीशन का पहला रिकॉर्डेड केस साल 1670 में देखने को मिला था.

किन्हें होती है ये दिक्कत?

ये दिक्कत जेनेटिक भी हो सकती है, हॉर्मोनल भी. प्रेग्नेंसी के दौरान भी ये ट्रिगर हो सकता है. कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि लड़कियों के पहले पीरियड्स के समय अचानक उनकी ब्रेस्ट ग्रोथ काफी बढ़ जाती है. जापान में बारह साल की बच्ची के साथ ऐसा हुआ था, जब आठ महीने के भीतर उसके ब्रेस्ट्स का साइज़ काफी बढ़ गया था. इसकी वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी भी झुक गई थी. इसकी वजह से सर्जरी करना बेहद ज़रूरी हो गया था. ये  दिक्कत उन लोगों को होने की आशंका ज्यादा होती है जिन्हें हॉर्मोनल दिक्कतें ज़्यादा होती हैं. पहले पीरियड्स और प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, प्रोलैक्टिन इत्यादि हॉर्मोन काफी बनते हैं. इनकी वजह से भी ब्रेस्ट टिशू में काफी ज्यादा ग्रोथ देखने को मिलती है.
कुछ मामले इतने सीरियस होते हैं कि महिला का चलना फिरना तक मुश्किल हो जाता है. (सांकेतिक तस्वीर साभार: phitsanulokhotnews)
कुछ मामले इतने सीरियस होते हैं कि महिला का चलना फिरना तक मुश्किल हो जाता है. (सांकेतिक तस्वीर साभार: phitsanulokhotnews)

इलाज क्या है?

ये इस पर निर्भर करता है कि ब्रेस्ट्स टिशूज कितने अधिक बढ़े हुए हैं. अगर बहुत ज्यादा ग्रोथ है, और ये आपके शरीर की सेहत पर असर डाल रही है, तो सर्जरी भी करवाई जा सकती है. या फिर हॉर्मोनल ट्रीटमेंट की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है. आमतौर पर जब कम उम्र में ऐसे केसेज होते हैं, तो इंतज़ार करने की सलाह डॉक्टर्स देते हैं. इस समय शरीर में कई बदलाव आ रहे होते हैं जिन पर दवाइयों का गलत असर पड़ सकता है. जब तक ग्रोथ स्टेबलाइज नहीं हो जाती तब तक डॉक्टर कोई भी सर्जरी या हॉर्मोन ट्रीटमेंट करने से बचते हैं. अगर ब्रेस्ट का आकार प्रेग्नेंसी के दौरान ही बढ़ता है, तो दवाइयों के सहारे इसे कम करने की कोशिश की जाती है.
वैसे तो ये कंडीशन बहुत कॉमन नहीं है, लेकिन फिर भी अगर आपको अपने ब्रेस्ट के वज़न की वजह से दिक्कत होती है, या उसकी वजह से आपको बैक पेन की शिकायत हो रही है, तो आपको अपने डॉक्टर से एक बार सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए.


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