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गडकरी की एक चिट्ठी, फिर पत्नी का नाम आया और बवाल हो गया, पूरा मामला जान लीजिए

गडकरी ने कहा कि उन्हें बदनाम करने की साजिश हो रही है.

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नितिन गडकरी. (PTI)

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक चिट्ठी लिखी, जो खबर बन गई. गडकरी ने ये चिट्ठी भेजी महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और चीफ सेक्रेटरी मनुकुमार श्रीवास्तव को. न्यूज़ एजेंसी PTI की खबर के मुताबिक, चिट्ठी में गडकरी ने महाराष्ट्र की मेडिकल एजुकेशन सेक्रेटरी डॉ. अश्विनी जोशी के तबादले की मांग की. सवाल उठे कि क्या यहां हितों के टकराव की स्थिति बन गई है? गडकरी और उनके परिवार पर सवाल उठे तो उन्होंने सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि उनके लेटर को गलत तरीके से पेश किया गया है और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई.

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गडकरी ने चिट्ठी क्यों लिखी?

PTI की खबर के मुताबिक, लेटर में गडकरी ने आरोप लगाए हैं कि अश्विनी जोशी अपने डिपार्टमेंट के काम में बाधा पहुंचा रही हैं. गडकरी ने कहा कि IAS जोशी कॉलेज ऑफ फिज़ीशियन एंड सर्जन एफलिएटेड (CPS) कोर्सेज़ की 1100 सीटों पर एडमिशन नहीं होने दे रही हैं. गडकरी ने ये लेटर 9 मार्च को लिखा था.

इस बीच गडकरी पर भी आरोप लग रहे हैं. कहा जा रहा है कि नितिन गडकरी की पत्नी कंचन गडकरी सीपीएस संस्थानों के सलाहकार बोर्ड में सदस्य हैं, जो हाल ही में गठित किया गया था. इस एसोसिएशन से 100 से ज्यादा कॉलेज जुड़े हुए हैं जहां CPS के कोर्स ऑफर किए जाते हैं.

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इधर संस्था की तरफ से कंचन गडकरी का बचाव किया गया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बकुल पारेख ने जोर देकर कहा कि वे मुख्य रूप से प्रशासनिक मामलों पर उनकी सलाह लेते हैं. उन्होंने कहा -

कंचन गडकरी एसोसिएशन की सलाहकार हैं. केवल एक राजनेता की पत्नी होने से वह अयोग्य नहीं हो जातीं. अपने सार्वजनिक जीवन में उनकी अपनी पहचान है. और इस क्षेत्र में उनकी  एक्सपर्टीज़ है.

पारेख ने ये भी कहा कि जिस एसोसिएशन से कंचन गडकरी जुड़ी हैं, उसने कभी केंद्रीय मंत्री से कोई संपर्क नहीं किया. उन्होंने कहा कि हो सकता है CPS मैनेजमेंट ने गडकरी से संपर्क किया हो.

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दूसरी तरफ, अश्विनी जोशी पहले से CPS को लेकर सवाल खड़ी करती रही हैं. उन्होंने कुछ समय पहले केंद्र से शिकायत करते हुए कहा था कि जिन संस्थानों में CPS के कोर्सेज कराए जाते हैं, वहां 'भयानक गड़बड़ियां' हैं.

बताया जा रहा है कि अश्विनी जोशी CPS के कोर्सेज की काउंसिलिंग की इजाजत नहीं दे रही हैं. जोशी ने अपने लेटर के माध्यम से कहा है कि जब तक उन्हें सीपीएस से कथित कमियों के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तब तक वो इजाजत नहीं दे सकतीं. यथास्थिति बनी रहेगी. इस बीच उन्होंने 14 मार्च को सीपीएस को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था और 21 मार्च तक जवाब देने को कहा था.

गडकरी बोले- बदनाम करने की साजिश

गडकरी के लेटर पर खबर हुई तो उनकी नाराज़गी भी सामने आई. उन्होंने बकायदा एक पेज का लेटर लिखकर अपनी सफाई पेश की और खबर पेश करने के तरीके को गलत बताया. गडकरी ने लिखा, 

“मीडिया के एक वर्ग ने मेरे पत्र को गलत तरीके से रिपोर्ट किया है. ये लेटर महाराष्ट्र के CPS कोर्सेज के एडमिशन में तेजी लाने के संबंध में था. खबर पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण है और तोड़-मरोड़ कर पेश की गई है, जिसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है. इसे झूठ फैलाने और भ्रम पैदा करने के निहित उद्देश्यों के साथ प्रकाशित किया गया. एक जनप्रतिनिधि के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अलग-अलग प्राधिकरणों के साथ सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाएं. मैं अपने लंबे राजनीतिक जीवन में ऐसा करता रहा हूं. इससे ज्यादा झूठी बात कुछ और नहीं हो सकती कि मैंने चिकित्सा शिक्षा विभाग में संबंधित अधिकारी के तबादले की सिफारिश की थी. ऐसा कहना हास्यास्पद है कि इस मामले में मेरे परिवार का कुछ व्यक्तिगत हित है. मैं और मेरा परिवार पिछले 40 से अधिक वर्षों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ काम कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि मातृ सेवा संघ, नागपुर जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए एक धर्मार्थ अस्पताल है, जहां संयोग से मेरी पत्नी अध्यक्ष हैं और इस मामले में संगठन की कोई भूमिका नहीं है. मातृ सेवा संघ की स्थापना कमलाबाई होस्पेट जैसे महान सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक सदी से भी पहले की थी. यह विभिन्न स्थानों पर कई सेवा परियोजनाएं चलाता है और एक सम्मानित संगठन है.

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि रिपोर्ट का एकमात्र उद्देश्य राज्य में हमारी सरकार को बदनाम करना था, जो सीएम और डिप्टी सीएम के कुशल नेतृत्व में गरीबों, युवाओं और समाज के सभी वर्गों के लिए अच्छा काम कर रही है. रिपोर्ट प्रतिक्रिया देने और खंडन करने के लायक भी नहीं है, लेकिन स्पष्टता के लिए मैं मीडिया को उच्चतम पत्रकारिता मानकों का पालन करने और आधारहीन कहानियों को प्रकाशित करने से परहेज करने की सलाह देता हूं. ऐसा न करने पर मेरे पास उचित कानूनी कार्रवाई करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा. मुझे यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार भी इस रिपोर्ट पर ध्यान देगी और इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करेगी.

CPS है क्या?

CPS मुंबई की एक स्वायत्त संस्था है. जो पूरे राज्य में 2 साल का डिप्लोमा और 3 साल का फेलोशिप मेडिकल कोर्स चलाता है.

वीडियो: 'चुनावी बजट' के सवाल पर नितिन गडकरी ने क्यों कहा, 'मैं साफ दिल का हूं, बात नहीं छुपाता'?

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