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डिलीट नहीं होंगे आपके कार्ड डेटा, जानिए RBI ने दी कितने दिन की मोहलत ?

डेबिट-क्रेडिट कार्ड का टोकनाइजेशन टला

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तस्वीरें पीटीआई और Unsplash.com से साभार हैं.
1 जनवरी से कार्ड पेमेंट के नियमों में होने वाला बदलाव फिलहाल छह महीने के लिए टल गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के टोकनाइजेशन की समय सीमा 30 जून 2022 तक बढ़ा दी है. आरबीआई ने सभी पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स और अन्य स्टेक होल्डर्स को भेजे अपने सर्रकुलर में कहा है कि कार्ड ऑन फाइल (CoF) डेटा स्टोर करने की रियायत एक बार फिर बढ़ाई जा रही है. यह समयसीमा 31 दिसंबर 2021 को खत्म हो रही थी. इससे ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी जैसे ऑनलाइन प्लैटफॉर्म और दूसरे पेमेंट रिसीवर्स के लिए जरूरी हो गया था कि वे आगे से किसी भी ग्राहक का कार्ड डेटा जैसे बैंक अकाउंट नंबर, सीवीवी वगैरह अपने पेमेंट इंटरफेस पर सेव न करें. साथ ही अब तक सेव्ड सभी डेटा डिलीट करें. इसके पहले आरबीआई ने 30 जून 2021 तक ऐसा करने को कहा था, लेकिन इंडस्ट्री और स्टेक होल्डर्स की मांग पर 31 दिसंबर तक की मोहलत दी गई थी. अब एक बार फिर डेडलाइन बढ़ाने के पीछे आरबीआई ने यही दलील दी है कि इंडस्ट्री और स्टेकहोल्डर्स इसके लिए तैयार नहीं हैं. नए सर्कुलर में आरबीआई ने पेमेंट नेटवर्क्स, इंडस्ट्री और अन्य स्टेकहोल्डर्स को निर्देश दिया है कि आगे से टोकनाइजेशन के अलावा पेमेंट सेफ्टी के अतिरिक्त उपाय भी करने चाहिए. इसके लिए ऐसे वैकल्पिक तरीके ढूंढने होंगे, जिससे ईएमआई पेमेंट या पोस्ट पेमेंट ट्रांजैक्शंस जैसे कैशबैक, रिवॉर्ड या डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन में भी कार्ड डेटा सेव न होने पाए. 1 जनवरी के लिए क्या था आदेश पिछले आदेश के तहत केंद्रीय बैंक ने सभी ई-कॉमर्स पोर्टल्स और एग्रीगेटर्स को निर्देश दिया था कि 1 जनवरी 2022 से वे किसी भी ग्राहक की कार्ड डिटेल्स सेव नहीं करेंगे. कार्ड से पेमेंट करने वालों के पास दो विकल्प होंगे. या तो वो हर शॉपिंग के लिए बार-बार कार्ड नंबर, सीवीवी, डेट ऑफ एक्सपायरी की एंट्री करें या फिर अपना कार्ड टोकनाइज कराकर पहले की तरह झटपट शॉपिंग और पेमेंट कर ले. साथ ही सभी कार्ड नेटवर्क्स जैसे वीजा, मास्टरकार्ड, रूपे को निर्देश दिया गया था कि वे कार्ड जारी करने वाले बैंकों की ओर से रिक्वेस्ट आने पर इन्क्रिप्टेड टोकन जारी करें. क्या है टोकनाइजेशन? एक तरह से यह आपके कार्ड का निक नेम है, जो बाहरी दुनिया को पता नहीं होगा. यानी आपके 16 अंकों के कार्ड नंबर और दूसरे सेंसिटिव डेटा को कुछ खास अक्षरों या अंकों वाला कोड दे दिया जाता है. यह टोकन कहलाता है और ऐसा कराना ही टोकनाइजेशन है. इसके बाद ऑनलाइन स्पेस में यह टोकन ही एक्सपोज होता है, न कि आपका कार्ड या सीवीवी नंबर. ये टोकन हर कार्ड, डिवाइस या प्लैटफॉर्म कॉम्बिनेशन के लिए अलग-अलग होता है. यानी एक ही कार्ड से ऐमजॉन या फ्लिपकार्ट पर शॉपिंग के दो टोकन होंगे. कार्ड बदलते ही इन दोनों प्लैटफॉर्म के लिए फिर से दो नए टोकन जारी कराने होंगे. टोकनाइजेशन की सहूलियत है कि आपको पेमेंट के दौरान कार्ड नंबर, सीवीवी, एक्सपायरी डेट डालने की जरूरत नहीं पड़ती. कैसे मिलेगा टोकन? जैसे ही आप किसी मर्चेंट/प्लैटफॉर्म को पेमेंट करेंगे, वो आपसे टोकनाइजेशन की मंजूरी मांगेगा. आपके कंसेंट के बाद वो पेमेंट नेटवर्क को एक रिक्वेस्ट भेजेगा. नेटवर्क उस कार्ड नंबर के लिए इनक्रिप्टेड टोकन क्रिएट करेगा और उसे दोबारा मर्चेंट को भेजेगा. एक कार्ड और एक मर्चेंट के लिए एक ही टोकन होगा. कोई एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा? टोकनाइजेशन बिल्कुल मुफ्त है. आपके पास कितने भी कार्ड हों, उन सबके लिए और कितने ही मर्चेंट्स के लिए आप नए टोकन जारी करा सकते हैं. जब भी आप अपने कार्ड को इनक्रिप्टेड टोकनाइजेशन से मुक्त कराना चाहें, करा सकते हैं. इसे डीटोकेनाइजेशन कहते हैं. टोकनाइजेशन अनिवार्य है? फिलहाल नहीं. आप हर बार कार्ड डिटेल्स की एंट्री कर पेमेंट करना चाहें तो ऐसा कर सकते हैं. आप टोकनाइज्ड नंबर्स को जब चाहें डीटोकनाइज करा सकते हैं. अभी टोकनाइजेशन सिर्फ मोबाइल फोन, टैब और कंप्यूटर के जरिए पेमेंट के लिए ही प्रस्तावित था. आगे से इसका दायरा काफी बढ़ सकता है. कितना सेफ है टोकन? सीधे कार्ड नंबर से भुगतान या कार्ड नंबर सेव्ड रखने के मुकाबले ये काफी सेफ है. आरबीआई ने अपनी वेबसाइट और हाल में जारी दिशा निर्देशों में कहा है कि इन्क्रिप्शन तकनीक और कई क्लोज्ड एक्सेस सिस्टम के चलते धोखाधड़ी करना आसान नहीं होगा. साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो सेव्ड कार्ड की तुलना में यहां फ्रॉड के चांसेज 60-70 प्रतिशत कम हो जाते हैं. डिवाइस, कार्ड और मर्चेंट कॉम्बिनेशन के लिए अलग टोकन की जरूरत भी इसे धोखेबाजों के लिए अभेद्य बनाती है. टोकनाइजेशन से जुड़े आरबीआई के सभी दिशानिर्देशों को आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं.

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