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हादसे के बाद क्रू मेंबर ने कहा, ये इंडियन डरपोक चूहे हैं

ये है आपको मुस्कुराते हुए जहाज में वेलकम करते एक क्रू मेंबर का असली चेहरा.

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Symbolic Image
आपने देखा होगा कि दो दिन पहले एमिरेट्स का एक जहाज लैंड करते हुए क्रैश हो गया था. ये जहाज तिरुवनंतपुरम से उड़ा था. और भारतीयों से ही भरा हुआ था. जहाज के क्रू की बहादुरी और स्टाफ की समझदारी से सैकड़ों पैसेंजरों को सुरक्षित जहाज से निकाल लिया गया था. एक फायर फाइटर की जान भी चली गई थी. सबने क्रू की तारीफ की. पैसेंजरों के घर वाले जरूर ही पूरे क्रू के शुक्रगुजार रहे होंगे. लेकिन क्रैश लैंडिंग के बाद एमिरेट्स के क्रू के एक सदस्य ने फेसबुक पर इंडियन लोगों के बारे में इतना भद्दा अपडेट किया कि लोग ये सोचने पर मजबूर हो गए कि क्रू के लोग जो मुस्कुराते हुए आपका वेलकम करते हैं, सब झूठे होते हैं. देखिए इस क्रू मेंबर ने क्या लिखा:
'इन फ़** चूहों को आइडिया भी नहीं है कि ये किस खतरे में फंसे हुए हैं. जब तक आप इन बेवकूफ इंडियन लोगों के साथ दिन के अजीब-अजीब समय पर ट्रेवल न करते हों, आपको नहीं पता चलता ये कैसे होते हैं.' racist 1
इस क्रू मेंबर को ये शिकायत थी कि लोग पैनिक कर गए. देखिए इंडियन लोगों ने कैसे रियेक्ट किया क्रैश के समय. https://www.youtube.com/watch?v=rnEvy29q_8E और जैसा इतना कम था. कि लोगों ने अपने कमेंट्स से उसकी पोस्ट पर चार चांद लगा दिए. racist comments ये सच है कि इस तरह की किसी भी दुर्घटना के समय लोगों से उम्मीद की जाती है कि वो धीरज रखें. लेकिन जो लोग इस जहाज में उड़ रहे थे, वो किसी जहाज के क्रू की तरह रोज नहीं उड़ते. उन्हें ऐसी दुर्घटनाओं के लिए महीनों ट्रेन नहीं किया जाता है. क्रू और पैसेंजर की साइकोलॉजी में फर्क होता है.
इस पोस्ट के बारे में लोगों को मोहित दांतरे की पोस्ट से पता चला. मोहित UAE में बसे हुए इंडियन RJ और टीवी प्रेज़ेंटर हैं. उन्होंने ये स्क्रीनशॉट लगाते हुए फेसबुक पर एक बड़ी टिप्पणी लिखी थी. जिसमें उन्होंने UAE में इंडियन लोगों के खिलाफ होने वाले रेसिस्म का जिक्र किया था. mohit 1 mohit 2
किसी भी देश के लोग परफेक्ट नहीं होते. क्योंकि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता. और सामने खड़ी मौत से तो हर आदमी घबराता है. इसलिए ऐसे नाजुक समय में लोगों को जज करना, एक घटिया हरकत है. वैसे ये भी सच है कि ये रेसिस्म एकतरफा नहीं है. इंडियन लोगों में भी मिडिल ईस्ट में रहने वाले लोगों के प्रति पूर्वग्रह हैं. लेकिन जब जान खतरे में होती है, तो नस्ल, रंग, भाषा हर चीज की दीवारें ढह जानी चाहिए. क्योंकि अंत में, हैं तो हम सब इंसान ही.

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