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'ED की चार्जशीट में मेरा नाम कहीं नहीं', ये बोलकर राघव चड्ढा ने मीडिया को बड़ी चुनौती दे दी

AAP नेता राघव चड्ढा ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें बताया गया था कि शराब नीति मामले में ED की एक चार्जशीट में उनका नाम बतौर आरोपी शामिल है.

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शराब 'घोटाले' की चार्जशीट में नाम आने की खबरो पर भड़के राघव चड्ढा. (फोटो- ट्विटर)

आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राघव चड्ढा ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज किया है जिनमें बताया गया था कि शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक चार्जशीट में उनका नाम बतौर आरोपी शामिल किया गया है. राघव चड्ढा ने इन रिपोर्ट्स को पूरी तरह गलत और बेबुनियाद बताया और मीडिया संस्थानों को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी.

क्या बोले राघव चड्ढा?

ED की चार्जशीट में नाम होने की खबरें आने के बाद राघव चड्ढा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने मीडिया से कहा,

“मैं साफ करना चाहता हूं कि सुबह से मेरे बारे में जो भी रिपोर्ट्स आ रही हैं, वे पूरी तरह गलत, मनगढ़ंत हुई, दुर्भावनापूर्ण और झूठी हैं... बल्कि मैं यहां तक कहूंगा कि ये रिपोर्ट्स मोटिवेटिड हैं... तथ्यात्मक रूप से गलत और झूठी खबरें दिखाई जा रही हैं. मेरा नाम प्रवर्तन निदेशालय की किसी भी कंप्लेंट में बतौर आरोपी या संदिग्ध कहीं भी नहीं है. वो छोड़िए, बतौर गवाह भी मेरा नाम कहीं नहीं हैं. लेकिन पूरे देश में सुबह से प्रचार किया जा रहा है कि ED ने मुझे आरोपी बनाकर मेरा नाम चार्जशीट में डाला और कोर्ट में दायर किया.”

बयान में आगे उन्होंने मीडिया को चुनौती देते हुए कहा कि वो शराब नीति मामले को लेकर चल रही ED की जांच की किसी भी रिपोर्ट में उनका नाम शामिल होने की बात साबित करें. उन्होंने कहा कि चार्जशीट में उनका नाम होने की रिपोर्ट करने वाले मीडिया हाउस इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, वर्ना वो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे.

दरअसल कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि शराब घोटाले में आरोपी मनीष सिसोदिया के आवास पर हुई एक बैठक में आवास पर हुई एक बैठक में राघव चड्ढा भी शामिल थे. ‘ED की चार्जशीट’ के हवाले से कहा गया कि ये बैठक नई शराब नीति के संबंध में हुई थी जिसमें कथित घोटाले के कई आरोपी शामिल हुए थे. हालांकि राघव चड्ढा का दावा है कि मामले की किसी भी जांच रिपोर्ट में उनका नाम शामिल ही नहीं है. ना आरोपी के रूप में, ना संदिग्ध के रूप में और ना ही गवाह के रूप में. 

क्या है पूरा मामला? 

नवंबर 2021 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी. आबकारी नीति 2021-2022 आने के कुछ महीने बाद ही दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने AAP सरकार की नई आबकारी नीति पर रिपोर्ट तलब की. 8 जुलाई, 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी. उसमें नई आबकारी नीति बनाने में नियमों के उल्लंघन तथा टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया था.

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नई शराब नीति में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीओबीआर) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन बताया गया.

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नई पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई. टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के ‘144 करोड़ रुपए’ माफ किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के बहाने नई नीति के जरिए लाइसेंस की फीस माफ की गई. रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन था. ऐसे में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे.

इस रिपोर्ट के आधार पर जुलाई 2022 में वीके सक्सेना ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच के निर्देश दे दिए. CBI जांच के आदेश के कुछ दिन बाद ही केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति पर रोक लगा दी. 1 सितंबर 2022 से नई को हटाकर फिर पुरानी नीति लागू कर दी गई. छह महीने की जांच के बाद CBI ने मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया.

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