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Deloitte ने ऑस्ट्रेलिया को AI वाली रिपोर्ट दे दी, धराए तो पैसे लौटाने को तैयार हुए

Deloitte AI Report: रिपोर्ट में फर्जी अकादमिक रेफरेंस और एक मनगढ़ंत कोर्ट केस तक शामिल था. यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के एक रिसर्चर डॉ. क्रिस्टोफर रज ने कहा कि AI बिना सही जानकारी के खुद से जवाब बनाकर दिया है. रिपोर्ट में एक झूठे रेफरेंस को सही करने की जगह कई और फर्जी रेफरेंस डाल दिए गए.

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कंपनी ने अपनी गलती स्वीकार की है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

लंदन की मल्टी नेशनल कंपनी Deloitte को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करना भारी पड़ गया. कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार के लिए एक रिपोर्ट तैयार की थी. लेकिन इसमें काफी गलतियां पाई गईं. रिपोर्ट में कथित वो बातें भी लिखी गईं थी जो असल में थी ही नहीं. कंपनी ने अपनी गलती मानते हुए भुगतान की रकम का एक हिस्सा वापस करना होगा. यह गलती डेलॉइट को करीब 4.4 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी लगभग 2.6 करोड़ रुपये महंगी पड़ी. 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिसंबर 2024 में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने डेलॉइट को एक प्रोजेक्ट सौंपा था. इसमें कंपनी को देश के Targeted Compliance Framework (TCF) और उसके आईटी सिस्टम का रिव्यू करना था. सात महीने बाद जुलाई 2025 में कंपनी ने रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में टेक्निकल फॉल्ट समेत कई खामियां बताई गईं. 

अगले महीने अगस्त में ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने रिपोर्ट में कई गंभीर गलतियों को रिपोर्ट किया. इसमें फर्जी अकादमिक रेफरेंस और एक मनगढ़ंत कोर्ट केस तक शामिल था. यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के एक रिसर्चर डॉ. क्रिस्टोफर रज ने कहा कि AI बिना सही जानकारी के खुद से जवाब बनाकर दिया है. रिपोर्ट में एक झूठे रेफरेंस को सही करने की जगह कई और फर्जी रेफरेंस डाल दिए गए.

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आलोचना के बाद डेलॉइट ने रिपोर्ट में सुधार किया और नई रिपोर्ट जारी की. इसमें 12 से ज्यादा फेक रेफरेंस हटाए गए और बाकी गलतियां भी सुधारी गईं. इसी अपडेटेड रिपोर्ट में कंपनी ने माना कि उसने Azure OpenAI GPT-4o नाम के AI टूल से रिपोर्ट बनवाई थी. साथ ही यह भी कहा कि गलतियों का कारण AI नहीं है और रिपोर्ट की अहम बातें और सुझाव पहले जैसे ही हैं.

ऑस्ट्रेलियाई सांसद डेबोरा ओनील ने कहा कि इस घटना ने AI पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता को लेकर चिंताएं पैदा की हैं. डेलॉइट में ह्यूमन इंटेलिजेंस की की समस्या है. आधा पैसा लौटाना, आधी माफी के बराबर है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी एजेंसियों को अब यह जांचना चाहिए कि जो काम उन्हें दिया गया है, वह असल में कौन कर रहा है, इंसान या AI.

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