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42 हजार करोड़ के बाइक बोट घोटाले में कंपनी के मेन डायरेक्टर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है

जिस स्कैम के 16 डायरेक्टर अरेस्ट हो चुके हैं, उसके बारे में जान लीजिए.

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बाइक बोट घोटाले का मास्टरमाइंड सचिन भाटी (बाएं) ठगी के एक मामले में गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद था. अदालत की विशेष अनुमति के बाद दिल्ली पुलिस ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया है.
गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड. इस कंपनी के 16वें डायरेक्टर सचिन भाटी को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि कंपनी ने दिल्ली सहित देश भर के हजारों लोगों से करीब 42 हजार करोड़ रुपए की ठगी की है. पोंजी स्कीम बाइक बोट के जरिये कंपनी ने बड़ी संख्या में लोगों को चूना लगाया. इंडिया टुडे के तनसीम हैदर की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (GIPL) के बैंक अकाउंट IDBI Bank दिल्ली, ICICI Bank मेरठ व खुर्जा और नोबल को-ऑपरेटिव बैंक में था. इन्हीं शाखाओं से रकम ली गई. RBI ने जानकारी दी थी कि ये कंपनी उसके यहां रजिस्टर्ड नहीं थी. ऐसे में उसे जनता से पैसे लेने का अधिकार नहीं था. जांच के दौरान पता चला कि लगभग 8000 शिकायतकर्ता तो दिल्ली के ही हैं. उनसे ठगी गई राशि लगभग 250 करोड़ रुपये है. नोएडा और अन्य राज्यों में कई मामले दर्ज हैं. पता चला कि कंपनी का 16वां निदेशक सचिन भाटी ठगी के एक मामले में गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद है. दिल्ली पुलिस ने अदालत की अनुमति के बाद जेल से ही सचिन भाटी को गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले EOW  कंपनी के 15 निदेशकों को गिरफ्तार कर चुकी है.

घोटाला क्या है?

संजय भाटी ने साल 2010 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई. इस कंपनी ने फरवरी 2018 में बाइक बोट नाम से स्टार्टअप शुरू किया. ये ओला और उबर जैसी ऐप बेस्ड बाइक टैक्सी सर्विस थी. इन बाइकों को निवेशकों से पैसे लेकर खऱीदा गया था. लोगों को बताया गया कि आप एक या एक से ज्यादा बाइक की कीमत का पैसा कंपनी में निवेश करें. बदले में कंपनी आपको हर महीने एक निश्चित रिटर्न देती रहेगी. एक प्लान के मुताबिक 62,100 रुपए के निवेश पर कंपनी हर महीने 9,756 रुपए का रिटर्न देने का वादा करती थी. यानी साल भर में 1,17,180 रुपए का रिटर्न. कंपनी के ऐसे कई प्लान थे. कंपनी ने साल 2019 में इलेक्ट्रिक बाइक योजना शुरू की. लोगों से ऐसी हर बाइक के लिए 1.24 लाख रुपये जमा करवा लिए. एक वर्ष तक 17 हजार रुपए हर महीने देने का वादा किया. इतनी शानदार योजना के बारे में जानने के बाद सैकड़ों लोगों ने अपनी कमाई कंपनी में लगा दी. कंपनी ने इस तरह से पैसा जुटाने के लिए देशभर में फ्रैंचाइजी बांट रखी थीं. लोगों को झांसा दिया कि वे 3, 5 या 7 बाइक की लागत का पैसा कंपनी में निवेश कर सकते हैं. बदले में अच्छा खासा रिटर्न मिलेगा. संजय भाटी ने अपनी कंपनी का ऑफिस जीटी रोड पर दादरी के चीती गांव में बना रखा था. जब लोगों को रिटर्न मिलना बंद हो गया, तो कंपनी के अलग-अलग ऑफिसों में लोग हंगामा करने लगे. शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचने लगे. धीरे-धीरे मामला बढ़ता गया. पता चला कि ये घोटाला लगभग 42 हजार करोड़ रुपए का है. EOW के संयुक्त पुलिस आयुक्त डॉ. O.P मिश्रा के मुताबिक, कई लोगों ने ठगी की शिकायत पुलिस में दी. तभी से जांच चल रही है. लखनऊ से प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले में जांच कर रहा है.