साउथ इंडिया में हिंदी भाषा के इस्तेमाल को लेकर डिबेट लंबे समय से चल रहा है. अक्सर दक्षिण के राज्य केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हैं. एक बार फिर विवाद छिड़ा है. ये विवाद जब दही के 'नाम' पर पहुंचा, तो काफी रायता फैला. पूरा मामला क्या है? ये विवाद कहां से शुरू होकर कहां तक पहुंच चुका है और इस पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने क्या कहा, एक-एक कर सब जानिए.
कर्नाटक-तमिलनाडु में दही को लेकर क्या 'रायता' फैला है, पूरा मामला समझ लीजिए
मामला ऐसा कि बीजेपी भी तमिलनाडु सरकार के साथ विरोध कर रही है.

इस वाले मामले में दो अहम किरदार हैं- तमिलनाडु और कर्नाटक के मिल्क फेडरेशन्स और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी FSSAI. दरअसल, हाल ही में FSSAI ने पैकेट पर 'दही' शब्द इस्तेमाल करने का सर्कुलर जारी किया था. तमिलनाडु के दुग्ध विकास मंत्री एस एम नसर के मुताबिक, FSSAI ने अपने पत्र में इस निर्देश को अगस्त से पहले लागू करने को कहा है.
इस नोटिस का विरोध करते हुए तमिलनाडु के मिल्क प्रोडक्शन यूनियन, आविन (Aavin) ने कहा था कि वो हिंदी शब्द 'दही' के बजाय 'तायिर' का ही इस्तेमाल करेगा. दोनों राज्यों ने इस पर आपत्ति जताई और इस कदम को ‘हिंदी थोपने’ वाला बताया. सोशल मीडिया पर 'दही नहीं पोडा' और #HindiImposition जैसे हैशटैग भी शुरू हो गए.
बात फेडरेशन तक ही सीमित नहीं रही, इस फैसले पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा,
#HindiImposition करने की जिद अब इस हद तक पहुंच गई है कि अब वो हमें दही के पैकेट पर भी हिंदी का लेबल लगाने के निर्देश दे रहे हैं, हमारे अपने राज्यों में तमिल और कन्नड़ हटाने को कह रहे हैं.
स्टालिन ने ट्वीट में आगे यह भी कहा कि 'हमारी मातृभाषाओं की अवहेलना करने के जिम्मेदार लोगों को दक्षिण से हमेशा के लिए भगा दिया जाना चाहिए'. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी इस नोटिस को वापस लिए जाने की मांग की.
इन सब विवादों के बीच FSSAI ने अपना नोटिस वापस ले लिया है. 30 मार्च को FSSAI ने एक प्रेस रिलीज जारी की.
इसमें पैकेट पर Curd के साथ तमिल और कन्नड़ भाषा के स्थानीय शब्द जैसे 'मोसरू' और 'तायिर' को ब्रैकेट में इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं.
वीडियो: ऑटो ड्राईवर महिला से भिड़ा, बोला- 'मैं हिंदी क्यों बोलूं, तुम कन्नड़ बोलो'